विश्व के प्रमुख सेंट्रल बैंकों द्वारा सोने की विक्रमी खरीद -राजनीतिक गतिविधियों से बनी अनिश्चितता का असर दिखने लगा

लंदन – वैश्विक स्तर की भू-राजनीतिक गतिविधियों के कारण बढ़ा तनाव और प्राप्त हो रहे आर्थिक मंदी के संकेतों के कारण केंद्रीय बैंकों ने अपना रुख अब सुरक्षित निवेश कहे जा रहे सोने की ओर किया है। वर्ष २०२३ के पहले नौ महीनों में ही केंद्रीय बैंकों ने कुल ८०० टन से भी अधिक सोने की खरीद की है। ‘वर्ल्ड गोल्ड कौन्सिल’ ने साझा की हुई जानकारी के अनुसार सोने की सबसे ज्यादा खरीद करने वाले देशों में इस बार चीन, पोलैण्ड, सिंगापूर, लिबीया और भारत का समावेश हैं।

विश्व के प्रमुख सेंट्रल बैंकों द्वारा सोने की विक्रमी खरीद -राजनीतिक गतिविधियों से बनी अनिश्चितता का असर दिखने लगा‘पीपल्स बैंक ऑफ चाइना’ (चीन), ‘नैशनल बैंक ऑफ पोलैण्ड (पोलैण्ड), ‘सेंट्रल बैंक ऑफ लिबीया (लिबीया), ‘मॉनेटरी ऑथॉरिटी ऑफ सिंगापूर’ (सिंगापूर) और ‘रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया’ (भारत) इन केंद्रीय बैंकों ने जनवरी से सितंबर के दौरान कुल ५०० टन से भी अधिक सोना खरीदा हैं। इसके अलावा झेक रिपब्लिक, कतर, किरगिझिस्तान, इराक के केंद्रीय बैंक के साथ यूरोपिय सेंट्रल बैंक ने भी सोने की खरीद करने की जानकारी वर्ल्ड गोल्ड कौन्सिल’ ने साझा की। सितंबर महीने में कुल ७७ टन सोने की खरीद होने की बात कौन्सिल की रपट में दर्ज़ है।

विश्व के प्रमुख सेंट्रल बैंकों द्वारा सोने की विक्रमी खरीद -राजनीतिक गतिविधियों से बनी अनिश्चितता का असर दिखने लगावर्ष २०१० से विश्व के प्रमुख केंद्रिय बैंक भारी मात्रा में सोना खरीद रहे थे। पिछले वर्ष इन बैंकों न कुल १,१३८ टन सोना खरीद करके ध्यान खींचा था। यह खरीद वर्ष १९६७ के बाद का सर्वोच्चांक था। वर्ष २०२३ में भी सोना खरीद का यही रुख कायम दिख रहा है। वर्ष के पहले दो महीनों में ही इन बैंकों ने कुल सवासो टन सोना खरीद किया था। इस वर्ष सबसे अधिक सोने की खरीद चीन की सेंट्रल बैंक ने की हैं और जनवरी से सितंबर के दौरान लगभग २०० टन सोना खरीदा गया हैं। वर्ल्ड गोल्ड कौन्सिल ने यह जानकारी साझा की।

सोने की खरीद का यही रुख कायम होने की जानकारी वर्ल्ड गोल्ड कौन्सिल की नई रपट से सामने आयी है। साल के पहले नौ महीनों में हुई विक्रमी खरीद आगे भी जारी रहेगी और पिछले साल का विक्रम टूट जाएगा, ऐसा अनुमान विश्लेषकों ने व्यक्त किया है। कुछ दिन पहले ही सोने की कीमत प्रति औंस दो हजार डॉलर से अधिक होने से ध्यान खींचा गया था। इस बीच केंद्रीय बैंकों की हो रही इस सोना खरीद के कारण सोने की कीमत दो हजार डॉलर प्रति औंस के स्तर से अधिक रहेगी, ऐसा दावा कौन्सिल ने किया है।

विश्व के प्रमुख सेंट्रल बैंकों द्वारा सोने की विक्रमी खरीद -राजनीतिक गतिविधियों से बनी अनिश्चितता का असर दिखने लगावर्ष २०२२ में शुरू हुआ रशिया-यूक्रेन युद्ध, चीन की अर्थव्यवस्था में हुई उथल-पुथल, आर्थिक मंदी के संकेत और खाड़ी में शुरू हुए संघर्ष के कारण वैश्विक स्तर पर अनिश्चितता का माहौल तैयार हुआ हैं। ऐसे में अमेरिकी फेडरल रिज़र्व ने अपनाई नीति के कारण अमेरिकी डॉलर मज़बूत हुआ हैं। लेकिन, इसके बावजूद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बनी अनिश्चितता कम नहीं हुई है। उल्टा इसमें बढ़ोतरी होती दिख रही हैं। आगे के दौर में डॉलर की गिरावट होकर ही रहेगी, ऐसा इशारा कुछ आर्थिक विशेषज्ञ दे रहे हैं। इस वजह से सोने की कीमत आगे के समय में अधिक उछलेगी, ऐसे आसार दिख रहे हैं।

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