चीन की उकसाऊ हरकतों के विरोध में अमरीका भारत के साथ – अमरीका के विदेश मंत्रालय की घोषणा

वॉशिंग्टन – गलवान वैली के संघर्ष में घायल हुए अपने लष्करी अधिकारी को चीन ने विंटर ओलंपिक में विशेष सम्मान प्रदान किया था। चीन की इस उकसाऊ हरकत के विरोध में अमरीका भारत के साथ है, ऐसा दावा अमरीका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राईस ने किया। साथ ही, अगर युक्रेन के मसले पर भारत ने रशिया के विरोध में जाने से इन्कार भी किया, तो भी उसका अमरीका-भारत संबंधों पर असर नहीं होगा, ऐसा भी प्राईस ने स्पष्ट किया।

us-india-side-chinaसन 2020 के जून महीने में लद्दाख की एलएसी पर गलवान वैली में भारत और चीन की सेनाओं के बीच संघर्ष हुआ था। इसमें भारतीय सेना के कर्नल संतोष बाबू समेत 20 जवान शहीद हुए थे। इस संघर्ष में चीन की सेना ने भारत से अधिक जवान गँवाए थे। लेकिन चीन ने इसकी जानकारी को छिपा दिया। हालाँकि इस संघर्ष में घायल हुए अपने अधिकारी को बीजिंग विंटर ओलंपिक की मशाल सौंपकर चीन ने उसका सम्मान किया था। चीन के इस उकसावे पर भारत से क्रोधित प्रतिक्रिया आई थी। भारत के विदेश मंत्रालय ने चीन की इस हरकत को दुर्भाग्यपूर्ण बताकर, उसका निषेध दर्ज किया। चीन में होनेवाले विंटर ओलंपिक के उद्घाटन और समापन समारोह को अनुपस्थित रहकर भारत अपना निषेध दर्ज करेगा, ऐसा विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने घोषित किया था।

भारत के इस फैसले की गूंजें सुनाई दीं हैं। अमरीका ने, इस मामले में वह भारत के साथ होने का ऐलान किया। अमरीका के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नेड प्राईस ने चीन की इस हरकत की आलोचना की। भारत और चीन की सीमा पर बने तनाव पर अमरीका ने इससे पहले चिंता ज़ाहिर की थी। इस मसले पर अमरीका अपना साझेदार देश भारत के साथ दृढ़तापूर्वक खड़ी है, ऐसा प्राईस ने कहा। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की समृद्धि, स्थिरता इस बारे में अमरीका और भारत की नीतियाँ एकसमान हैं, ऐसा प्राईस ने आगे कहा।

इससे पहले भी अमरीका के विदेश मंत्रालय ने भारत की सीमा पर तथा अन्य पड़ोसी देशों के विरोध में चल रहीं चीन की उकसाऊ हरकतों पर चिंता ज़ाहिर की थी। लेकिन भारत और चीन सामोपचार से एलएसी का मसला हल करेंगे, उसमें अमरीका टांग ना अड़ाएँ, ऐसा चीन ने डटकर कहा था। मगर विंटर ओलंपिक के दौरान भारत को उकसाकर चीन ने यह दिखा दिया है कि सीमाविवाद को सामोपचार से हल करने के लिए आवश्यक प्रामाणिकता और प्रगल्भता उसके पास नहीं हैं।

इसी बीच, युक्रेन के मसले पर अमरीका ने रशिया के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाई है। भारत भी उसका साथ दें और रशिया के विरोध में भूमिका अपनाएँ, इसके लिए अमरीका ने कोशिशें शुरू कीं थीं। संयुक्त राष्ट्र संगठन की सुरक्षा परिषद में इस मुद्दे पर भारत ने तटस्थता दिखाकर अनुपस्थित रहने का फ़ैसला किया था। इसके लिए रशिया ने भारत का शुक्रिया अदा किया था। लेकिन भारत ने रशिया के विरोध में जाने से इन्कार भी किया, तो भी उसका अमरीका-भारत संबंधों पर असर नहीं होगा, ऐसा प्राईस ने स्पष्ट किया। भारत और अमरीका के संबंध स्वतंत्र होकर, उनपर भारत की रशियाविषयक भूमिका का असर नहीं होगा, ऐसा प्राईस ने कहा।

अमरीका का विदेश मंत्रालय हालाँकि ऐसे दावे कर रहा है, फिर भी मानवाधिकार तथा व्यापारी मतभेदों के मुद्दे को फिजूल की अहमियत देखकर बायडेन प्रशासन भारत पर दबाव बढ़ाने की कोशिश करता दिख रहा है। लेकिन अगर भारत के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाई, तो उसकी गूंजें सुनाई देंगी, इसका एहसास होनेवाले बायडेन प्रशासन द्वारा इस मामले में अधिक सावधानी बरती जा रही दिख रही है।

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