बायडेन प्रशासन की कमज़ोर नीति की वजह से ही चीन के राष्ट्राध्यक्ष ने तिब्बत जाकर भारत को धमकाया – अमरिकी सांसद का दावा

बीजिंग/वॉशिंग्टन – ‘चीन के राष्ट्राध्यक्ष सी जिनपिंग ने बीते हफ्ते किया हुआ तिब्बत का दौरा सिर्फ भारत को धमकाने के लिए ही था। ब्रह्मपुत्रा नदी पर बांध का निर्माण कार्य शुरू करके चीन ने भारत और बांगलादेश का पानी रोकने की तैयारी की है। यह इशारा भी चीन के राष्ट्राध्यक्ष को इस तिब्बत दौरे के माध्यम से देना था। चीन इस तरह से आगे बढ़ रहा है और राष्ट्राध्यक्ष बायडेन का प्रशासन ऐसी सभी हरकतें बर्दाश्‍त कर रहा है। केवल चीन विरोधी कार्रवाई करने का दिखावा खड़ा करने से स्थिति में बदलाव नहीं आएगा’, ऐसी तीखी आलोचना अमरिकी कांग्रेस के सदस्य डेविन न्यूनेस ने की है। अमरीका के विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन के भारत दौरे के दौरान ही अमरिकी सांसद ने ऐसी तीखी आलोचना करके बायडेन प्रशासन पर दबाव ड़ाला हुआ दिख रहा है।

Biden-Tibet-India-01चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग ने बीते हफ्ते तिब्बत का दौरा किया था। उनका यह दौरा भारत को इशारा देने की मंशा से ही किया गया था और भारत ने इसका संज्ञान भी लिया है। अपने इस दौरे के बीच राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने ब्रह्मपुत्रा नदी पर हो रहे बांध के निर्माण कार्य का जायज़ा लेने की रपट सामने आयी है। इसके ज़रिये हम भारत और बांगलादेश का पानी रोक सकते हैं, यह इशारा देने की कोशिश राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग ने की थी। लेकिन, अधिकृत स्तर पर चीन ने यही कहा है कि, अपने इस निर्माण कार्य का भारत और बांगलादेश को प्राप्त हो रहा ब्रह्मपुत्रा के पानी पर असर नहीं पड़ेगा।

अमरीका के कांग्रेसमन डेविन न्यूनेस ने राष्ट्राध्यक्ष जिनपिंग के इस तिब्बत दौरे का गंभीरता से संज्ञान लिया। भारत जैसे परमाणु हथियारों से लैस देश को धमकाने के लिए ही चीन के राष्ट्राध्यक्ष के इस दौरे का आयोजन किया गया था। इसके बावजूद अमरीका के बायडेन प्रशासन ने इस विषय पर नरम भूमिका अपनाकर चीन को जो चाहे करने का अवसर प्रदान किया है, यह आरोप भी डेविड न्यूनेस ने लगाया है। राष्ट्राध्यक्ष बायडेन के प्रशासन का पूरा जोर चीन विरोधी कार्रवाईयाँ करने के विज्ञापन दिखाने पर ही है। इससे स्थिति में बदलाव नहीं आता। चीन ने आगे बढ़ना जारी रखा है, ऐसी जोरदार फटकार भी न्यूनेस ने लगाई है।

Biden-Tibet-Indiaअमरीका के विरोधी दल रिपब्लिकन पार्टी के अन्य नेताओं ने भी बायडेन की सरकार बनने के बाद चीन की वर्चस्ववादी हरकतों में बढ़ोतरी होने का इशारा समय-समय पर दिया था। अमरीका और अमरीका के सहयोगी देशों को चीन से प्राप्त हो रही चुनौतियों को राष्ट्राध्यक्ष बायडेन नजरअंदाज़ कर रहे हैं, यह आलोचना तीव्र होने के बाद बायडेन प्रशासन को चीन के खिलाफ गतिविधियाँ करनी पड़ीं थी। इसके बावजूद यह गतिविधियाँ सिर्फ प्रसिद्धी के लिए ही हैं, वास्तव में चीन को रोकने में बायडेन प्रशासन की रूचि नहीं है, यह आरोप भी होने लगा है। कांग्रेसमन डेविन न्यूनेस ने भी बायडेन प्रशासन पर यही आरोप लगाया है।

बायडेन अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बनने के बाद चीन ने म्यांमार में लष्करी विद्रोह करवाया और इस देश की लोकनियुक्त सरकार का तख्ता पलटा। इसके बाद चीन ने हाँगकाँग में लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शनकारियों पर सख्त कार्रवाई शुरू की। इसके अलावा चीन के लड़ाकू विमानों ने तैवान की सीमा में घुसपैठ की घटनाएँ बढ़ाई हैं और जापान जैसे अमरीका का करीबी सहयोगी देश को भी चीन युद्ध की धमकियाँ दे रहा है। ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चीन ने व्यापारयुद्ध शुरू किया है और चीन ने अमरीका के साथ कनाड़ा, ब्रिटेन, जापान और तैवान पर सायबर हमलों का सिलसिला शुरू किया है।

सिर्फ चीन विरोधी बयान और तैवान की खाड़ी में नौसेना की गश्‍त लगवाके बायडेन प्रशासन चीन को रोक नहीं सकेगा, इस बात का अहसास अमरीका के कुटनीतिज्ञ लगातार करा रहे हैं। कोरोना की महामारी का उद्गम चीन में ही हुआ और चीन ने जानबूझकर इस महामारी का फैलाव पूरे विश्‍व में होने दिया, इस पर वैज्ञानिकों की सहमति होने लगी है। इसके बावजूद बायडेन प्रशासन चीन के प्रति नरम भूमिका अपनाकर काफी गैरज़िम्मेदाराना रवैया दिखा रहा है, ऐसी आलोचना तटस्थ निरिक्षकों ने की थी।

न्यूनेस ने नए से यही आरोप लगाकर बायडेन प्रशासन पर दबाव बढ़ाने की बात दिख रही है। अमरीका के विदेशमंत्री एंथनी ब्लिंकन भारत के दौरे पर हैं और इसी बीच न्यूनेस ने यह आरोप लगाकर बायडेन प्रशासन की चीन विरोधी नीति की विश्‍वासार्हता पर ही सवाल खड़ा करना ध्यान आकर्षित करनेवाली बात है। चीन की वजह से भारत के साथ अमरीका के हितों के लिए भी गंभीर खतरा बन रहा है और ऐसी स्थिति में भी बायडेन का प्रशासन भारत जैसे लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देश को मानव अधिकारों के मुद्दों पर घेरने की तैयारी कर रहा है। लेकिन, मानव अधिकार से पूरी तरह इन्कार कर रहे चीन के खिलाफ सख्त भूमिका अपनाने से बायडेन प्रशासन दूर रह रहा है। इसके ज़रिये राष्ट्राध्यक्ष बायडेन और उनका प्रशासन अपनी मानव अधिकारों की प्रतिबद्धता पर ही आशंका निर्माण करता हुआ दिखाई देने लगा है।

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