भारत की मांग पर श्रीलंका ने चीन के जासूसी करने वाले जहाजों को प्रवेश देने से किया इनकार

नई दिल्ली – अगले १२ महीनों के लिए चीन के अनुसंधान करने वाले जहाज को अपने बंदरगाह में प्रवेश नहीं दिया जाएगा। साथ ही चीन का यह जहाज हमारे विशेष समुद्री आर्थिक क्षेत्र में भी प्रवेश नहीं कर सकेगा, ऐसा इशारा श्रीलंका ने दिया है। इसकी जानकारी श्रीलंका ने भारत से साझा की है और राजनीतिक स्तर पर भारत को प्राप्त हुई बड़ी जीत है। क्यों कि, श्रीलंका के बंदरगाह में समुद्री अनुसंधान करने वाले जहाज भेज कर चीन भारतीय नौसेना की जासूसी करने की कोशिश में लगा होने की बात स्पष्ट हुई थी। इसी वजह से भारत ने इस पर गंभीर चिंता जताकर इस मामले में श्रीलंका को उचित कदम उठाने का आवाहन किया था।

भारत की मांग पर श्रीलंका ने चीन के जासूसी करने वाले जहाजों को प्रवेश देने से किया इनकारवर्ष २०१९ से अब तक चीन ने समुद्री अनुसंधान के नाम से करीबन ४८ जहाज रवाना दिए थे। वर्ष २०२३ में चीन ने हिंद महासागर क्षेत्र में करीबन २५ बार युद्धपोत, पनडुब्बियां और बैलेस्टिक मिसाइल का पता लगाने की क्षमता रखने वाले जहाज भेजने के बात स्पष्ट हुई थी। पिछले साल अगस्त महीने में हिंद महासागर क्षेत्र के ‘सुंदा खाड़ी’ में चीन का ‘डेंग जियाशियान’ नामक ‘हाइड्रोग्राफिक वेसल’ देखा गया था। यह जहाज अनुसंधान नहीं, बल्कि भारत पर जासूसी करने में लगा होने के आरोप हुए थे। लेकिन, चीन ने इससे इनकार किया था। भारत ने भी इस मुद्दे को उठाकर यह हमारे सुरक्षा से जुड़ा मसला होने का अहसास श्रीलंका को कराया था। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति रानील विक्रमसिंघे से हुई बातचीत में यह मुद्दा उठाया था।

इसके बाद भारत के रक्षा संबंधित हितसंबंधों का अहसास रखकर श्रीलंका के राष्ट्रपति विक्रमसिंघे ने चीन के जहाजों को अपने समुद्री क्षेत्र में आने से रोकने का निर्णय किया था।

इससे जुड़ी सूचना श्रीलंका ने जारी की है। श्रीलंका ने राजनीतिक स्तर पर भी भारत से यह जानकारी साझा की है। चीन जैसा देश श्रीलंका को अपने वर्चस्व में रखने की कोशिश कर रहा हैं और ऐसे में श्रीलंका की सरकार ने यह निर्णय करना भारत के लिए अहम है। यह भारत की राजनीतिक जीत होने के दावे किए जा रहे हैं।

चीन का जहाज अनुसंधान के नाम से ५ जनवरी को हिंद महासागर में दाखिल होने ही वाला था। लेकिन, श्रीलंका ने अनुमति देने से इनकार करने पर इस जहाज को हिंद महासागर में प्रवेश करना कठिन हुआ है। हिंद महासागर क्षेत्र को भारत अपना बरामदा न समझे, ऐसा इशारा चीन ने दिया। इस क्षेत्र में चीन वर्चस्व बनाए रखेगा, यह इशारा भी चीन ने इसके ज़रिये दिया था। लेकिन, आगे से भारत के प्रभाव क्षेत्र में प्रवेश करना चीन के लिए उतना आसान नहीं होगा, यही बात श्रीलंका ने किए वर्णित निर्णय से स्पष्ट हुई है।

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