भारत-ताइवान ने किया ‘वन चाइना पॉलिसी’ को झटका देने वाला समझौता

नई दिल्ली – भारत और ताइवान ने ‘माइग्रेशन ॲण्ड मोबिलिटी’ समझौता किया है। इस वजह से ताइवान के उत्पाद, निर्माण एवं कृषी क्षेत्र को महसूस हो रही वर्क फोर्स की कमी की समस्या खत्म होगी और इससे एक लाख भारतीय नागरिकों को ताइवान में रोजगार प्राप्त होगा। इस समझौते के कारण भारत और ताइवान का सहयोग मज़बूत होगा। साथ ही यह समझौता करके भारत चीन को काफी बड़ा झटका देता दिख रहा है। ताइवान यह चीन का हिस्सा होने की बात स्वीकार रही ‘वन चाइना पॉलिसी’ अस्वीकृत करने की तैयारी भारत ने अब रखी होने की बात इशसे स्पष्ट होने के दावे किए जा रहे हैं। इस वजह से भारत और ताइवान के इस सहयोग पर चीन की प्रतिक्रिया सामने आ सकती है।

भारत-ताइवान ने किया ‘वन चाइना पॉलिसी’ को झटका देने वाला समझौताभारत ने अभी भी ‘वन चाइना पॉलिसी’ अस्वीकृत नहीं की है। इस वजह से ताइवान यह चीन का हिस्सा होने की बात भारत स्वीकार कर रहा है, फिर भी पिछले कुछ सालों से भारत की ताइवान संबंधित नीति में बदलाव होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। व्यापार एवं प्रौद्योगिकी क्षेत्र में भारत ताइवान से सहयोग कर रहा है, यह भी अब स्पष्ट हो चुका है। ताइवान की कंपनियां भारत में बड़ी मात्रा में निवेश कर रही हैं। यह सहयोग बढ़ाने के लिए ताइवान उत्सुकता दिखा रहा हैं और भारत भी इसपर रिस्पान्स कर रहा है। कुछ महीने पहले ताइवान ने एक लाख भारतीय नागरिकों को रोजगार का अवसर देने का प्रस्ताव दिया था। इसके अनुसार शुक्रवार के दिन ‘इंडिया-ताइपे असोसिएशन’ (आईटीए) के डाइरेक्टर जनरल मनहरसिंह लक्ष्मणभाई यादव और ‘ताइपे इकॉनॉमिक ॲण्ड कल्चरल सेंटर’ के प्रमुख बाऊशुमान गेर ने ‘माइग्रेशन ॲण्ड मोबिलिटी एग्रिमेंट’ पर हस्ताक्षर किए।

इस समझौते के कारण एक लाख भारतीय नागरिकों को ताइवान में रोजगार पाने का बड़ा अच्छा अवसर प्राप्त होगा। ताइवान के उत्पाद, निर्माण और कृषि क्षेत्र में वर्कफोर्स की कमी महसूस हो रही हैं। ऐसे में भारत के साथ समझौता करके ताइवान अपनी समस्या का हल निकालता दिख रहा है। लेकिन, भारत-ताइवान के इस सहयोग की महज आर्थिक नहीं, बल्कि रणनीतिक अहमियत होने की बात पर ध्यान आकर्षित किया जा रहा है। ताइवान जैसे देश में एक लाख भारतीयों की मौजूदगी चीन के लिए बेचैन करने का मुद्दा बन सकती है। इससे पहले भारत और ताइवान के विकसित हो रहे आर्थिक सहयोग के कारण चीन असुरिक्षत होने की बात सामने आयी थी। इस वजह से भारत और ताइवान के नए समझौते पर चीन की प्रतिक्रिया सामने आने की कड़ी संभावना है।

ताइवान एक स्वतंत्र देश नहीं है, वह हमारा ही हिस्सा होने का दावा चीन कर रहा है। अमेरिका सहित विश्व के प्रमुख देशों ने और भारत ने भी चीन के इस ‘वन चाइना पॉलिसी’ का स्वीकार किया है। लेकिन, ताइवान में चीन से पुरी तरह से स्वतंत्र होने की मांग कर रही जनतांत्रिक सरकार शासन कर रही है। इस वजह से ताइवान पर कब्ज़ा करना चीन के लिए कठिन हो रहा है। वहीं, ताइवान की सरकार चीन के संभावित हमले का मुकाबला करने की तैयारी कर रही हैं और विश्वभर के प्रमुख देशों के साथ सभी स्तरों पर सहयोग विकसित करने की तैयारी भी जुटा रही है। भारत के साथ सहयोग करने के लिए ताइवान खास अहमियत दे रहा है और चीन की आक्रामकता को रोकने में काबिल देश के तौर पर ताइवान भारत की ओर बड़ी उम्मीद से देख रहा है।

वर्ष २०२० में गलवान की घाटी में घुसपैठ करके चीन ने भारत को चुनौती दी थी और उसके बाद भारत ने चीन संबंधित अपनी नीति में बदलाव किया है। इससे ताइवान को भारत से प्राप्त हो रहा रिस्पान्स अधिक बढ़ रहा है। शुक्रवार को भारत और ताइवान ने किए ‘माइग्रेशन ॲण्ड मोबिलीटी समझौते की यह पृष्ठभूमि है। आगे के समय में भारत और ताइवान का द्विपक्षीय सहयोग अधिक मज़बूत होगा, ऐसे संकेत इससे प्राप्त हो रहे हैं। साथ ही भारत के हितसंबंधों को झटके दे रहे चीन की उम्मीदों की आगे परवाह नहीं की जाएगी, यह संदेश इस समझौते के माध्यम से भारत ने दिया है।

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