नई दिल्ली में रायसेना डायलॉग शुरू हुआ

नई दिल्ली – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथों ९ वें ‘रायसेना डायलॉग’ का उद्घाटन किया गया। अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा के मुद्दे पर भारत ने आयोजित किए परिषद के तौर पर रायसेना डायलॉग की पहचान बनी है। ११५ देशों के ढ़ाई हजार से अधिक प्रतिनिधि इस परिषद में शामिल हुए हैं। ‘चतुरंगः कन्फ्लिक्ट, कंटेस्ट, को-ऑपरेट, क्रिएट’ के मुद्दे पर इस वर्ष के रायसेना डायलॉग का आयोजन हो रहा है। भारत दौरे पर पहुंचे ग्रीस के प्रधानमंत्री इस परिषद के प्रमुख अतिथि हैं।

‘रेड सी’ के क्षेत्र में हो रहे हौथी विद्रोहियों के हमले, इस्रायल और हमास का संघर्ष और रशिया-यूक्रेन युद्ध के कारण विश्व के सामने खड़ी चुनौतियों की गूंज इस वर्ष के रायसेना डायलॉग में सुनाई देने के स्पष्ट आसार दिख रहे हैं। भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने एक दिन पहले ही इसके संकेत दिए थे। नई दिल्ली में रायसेना डायलॉग शुरू हुआयेमन के हौथी विद्रोहियों के रेड सी में हो रहे हमले और सोमालिया के समुद्री ड़कैतों की एडन की खाड़ी में शुरू गतिविधियों की वजह से अंतरराष्ट्रीय व्यापार को खतरा निर्माण हुआ है, इस ओर जयशंकर ने ध्यान आकर्षित किया। इस वजह से नए व्यापारी मार्ग विकसित करना बड़ा आवश्यक हुआ है, इशका अहसास भारत के विदेश मंत्री ने कराया।

भारत में आयोजित ‘जी २०’ बैठक के दौरान ‘इंडिया-मिडिल ईस्ट-यूरोप इकॉनॉमिक कॉरिडोर’ (आईएमईसी) का ऐलान किया गया था। लेकिन, उस समय वैश्विक व्यापार के लिए बने यह खतरे सामने नहीं आए थे। इस वजह से इन खतरों के मुद्दे पर सोच-विचार नहीं हुआ था, यह बात विदेश मंत्री जयशंकर ने कबूल की। लेकिन, मौजूदा समय में ‘आईएमईसी’ जैसे प्रकल्प की बड़ी आवश्यकता स्पष्ट दिख रही है। इसी कारण से इस तरह के ‘कनेक्टिव्हिटी कॉरिडोर’ विकसित करने पर ध्यान केंद्रीत करना आवश्यक हुआ है। इससे वैश्विक आर्थिक विकास के नए मार्ग तैयार होंगे, ऐसा विश्वास विदेश मंत्री जयशंकर ने व्यक्त किया। रायसेना डायलॉग में इसी मुद्दे पर भारत विशेष जोर देगा, ऐसे स्पष्ट संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

साथ ही इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की गतिविधियों पर भी रायसेना डायलॉग में विशेष चर्चा होने के आसार दिखने लगे हैं। विशेष तौर पर यूरोपिय देश इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में अपने हितसंबंधों की सुरक्षा करने के लिए अधिक उत्सुकता दिखा रहे हैं। ऐसे में इस सुरक्षा संबंधित परिषद में इंडो-पैसिफिक की स्थिति पर गहरी चर्चा होने की उम्मीद है। इस समुद्री क्षेत्र को चीन से होने वाले खतरे का मुद्दा इससे नए से विश्व के सामने रखना संभव होगा।

पिछले कुछ सालों से चीन के कारण इस समुद्री क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा के लिए हो रहा खतरा अधिक पुख्ता रूप से विश्व के सामने भारत पेश कर रहा है। इसे अन्य देशों का भी समर्थन प्राप्त होने लगा है। इस साल रायसेना डायलॉग में इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता और सुरक्षा का मुद्दा भारत अधिक आक्रामकता से उपस्थित करेगा, ऐसे आसार दिखाई देने लगे हैं।

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