अस्थिसंस्था भाग – ३१

पैर की हड्डिया – टिबीया
अब हम अपने पैर की अस्थियों के बारे में जानकारी लेंगें। पैरों में घुटनों के नीचे और एडी तक के विभाग में दो हड्डियां होती हैं। टिबिया यह पैर में अंदर की ओर होती है; वहीं फिब्यूला यह पैर के बाहर के भाग में होती हैं। घुटने के जोड़ में सिर्फ टिबिया ही सहभागी होती है। पहले हम टिबिया के बारे में जानकारी लेंगे।

tibiya

टिबियल अस्थि अथवा टिबिया :
शरीर में फीमर के ठीक नीचे यह लम्बी हड्डी होती है बीच का शाफ्ट प्रिझम के आकार होता है। दोनों सिरों की ओर यह हड्डी चौड़ी होती जाती है। इसका सामने का सिरा एकदम नुकीला होता है व त्वचा के नीचे सहजता से हाथों में लगता है। घुटने के पास का भाग काफी चौड़ा होता है। क्योंकि फीमर के माध्यम से आने वाला शरीर का पूरा भार इस पर प्रक्षेपित (ट्रांसफर) होता है। इस भाग में इस में भी दो कोंडाइल्स होते हैं। बाहरी कोंडाइल्स ज्यादा मोटी होती हैं। इसके अलावा एक छोटा उभार होता है। जिसे टिबियल ट्युबरकल कहते हैं। दोनो कोंडाइल्स के ऊपरी ओर आर्टिक्युलर सरफेसेस होते हैं। ये दोनों कोंडाइल्स सहजता से हाथों को लगती हैं तथा दिखायी भी देती है। अंदरूनी कोंडाइल्स के ऊपर का आर्टिक्युलर सरफेस लंबवर्तुळाकार होता हैं। तथा बाहरी तरफ वर्तुलाकार होता है। घुटने के जोड़ में मेनिसकस होता है। इसका स्पष्ट चिन्ह इस आर्टिक्युलर सरफेस पर दिखायी देता हैं । लॅटरल कोंडाश्‍व पर बाहर की तरफ फिब्यूला के लिये छोटा गोलाकार आर्टिक्युलर सरफेस होता है।

टिबियल ट्युबरॉसिटी पूरी तरह सबक्युटेनिअस अर्थात त्वचा के नीचे होता है। हमारे हाथों को, घुटनों के नीचे सामने की दिशा में जो उभार लगता हैं वो है ट्युबरॉसिटी।

टिबिया का शाफ्ट त्रिकोणी आकार का होता है। उसे तीन बाजू होते है। अंदर की बाजू, बाहर की बाजू व पीछे की बाजू तथा तीन किनारे होते हैं। सामने का, अंदर का व बाहरी किनारा। ऊपर का २/३ व नीचे का १/३ भाग से बना हुआ यह सबसे बारीक होता है। तथा दोनों सिरो की ओर चौड़ा होता जाता है। इसका अंदरुनी भाग हड्डी की कुल लम्बाई के बाहर थोड़ा सा बढ़ता है तथा फूला हुआ बन जाता है। इसे मिडीअल मॅलॅओलस कहते हैं। (यह वो भाग है जो हमारे घुटनों के अंदर की तरफ उभार होता हैं)। इसके कारण मॅलिओलस के अंदर की तरफ एक नॉच बन जाता है। घुटने की टेंडर अस्थि के साथ इसका जोड़ बनता है।

टिबिया का ओसिफिकेशन तीन केंन्द्रों के द्वारा होता है। शाफ्ट के मध्य भाग में गर्भ के सातवे सप्ताह से ओसिफिकेशन शुरु होता है। ऊपरी सिरे की ओर साधारणतया जन्म के समय व नीचे के सिरे की ओर उम्र के प्रथम वर्ष में ओसिफिकेशन शुरू होता है। टिबियल ट्युबरॉसिटी के लिये अलग केन्द्र बारहवें वर्ष में तैयार होते हैं। निचली एपिफ़ीसिस उम्र के १५ से १७ वर्षों के दरम्यान जुड़ता है तथा ऊपरी एपिफ़ीसिस १७ से १९ वे वर्ष के दौरान जुड़ता हैं।

अब पैर की दूसरी अस्थि फिब्यूल की संक्षेप में जानकारी लेते हैं।

फिब्यूला :
यह पैर की बाहर की ओर की हड्डी है। यह अत्यंत नाजुक होती है। भार अको वहन में इसका सीधा सहभाग नहीं होता। ऊपरी ओर साधारण गोलाकार सिरा, बीच में पतला शॅफ्ट व नीचे की ओर लॅटरलमॅलिओलस ऐसी इसकी रचना होती है। फिब्यूला का सिरा थोड़ा फैला हुआ होता है। इसके अंदर के भाग के ऊपर का आर्टिक्युलर सरफेस व टिबिया का लॅटरल कोंडाइल के ऊपर का आर्टिक्युलर सरफेस के साथ ऊपरी टिबियो-फिब्यूलर का जोड़ बनता है। फिब्यूला का शॅफ्ट त्रिकोणी होता हैं। इसका घुटनों की ओर के सिरे पर एक उभार होता है। इसे लॅटरल मॅलिओलस कहते हैं। (घुटने के बाहरी ओर का उभार)। इसका निचला किनारा टिबिया के निचले किनारे से संलग्न रहता है।

फिब्यूला का ओसिफिकेशन भी तीन केन्द्रों के द्वारा होता है। शाफ्ट के केन्द्र गर्भ के आठवे सप्ताह में कार्यरत होते हैं। निचले सिरे का केन्द्र पहले वर्ष में तथा ऊपरी सिरे के केन्द्र लड़कियों में तीसरे वर्ष में तथा लड़कों में चौथे वर्ष में दिखायी देने लगते हैं। ऊपरी एपिफ़ीसिस लड़कियों में १७ वें वर्ष में तथा लड़कों में १९ वर्ष में जुड़ता है।

(क्रमश:)

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