अस्थिसंस्था भाग – २१

अब तक हमने कंधों एवं बाँहों के बारे में जानकारी प्राप्त की। आज हम बाँह के नीचे हाथ का भाग- जो कलाई तक आता है, उसकी जानकारी प्राप्त करेंगें। हाथ के इस भाग में दो लम्बी अस्थियाँ होती हैं। बाहर की ओर की अस्थि है ‘रेडिअस’ और अंदर की ओर की अस्थि है ‘अल्ना’। हम इन दोनों अस्थियों की संक्षेप में जानकारी प्राप्त करेंगें और कोहनी के जोड के बारे में भी जानकरी लेंगें।

Asthisansthaरेडिअस अस्थि:

हमारे हाथों की दोनों अस्थियों में से बाहरी अर्थात अंगूठे की रेषा में रहनेवाली हड्डी को रेडियस कहा जाता है। दोनों सिरों पर चौड़ी व बीच में पतला शाफ्ट, ऐसी होती है इसकी रचना । इसका कलाई की तरफ का हिस्सा कोहनी की तरफ वाले हिस्से की अपेक्षा ज्यादा चौड़ा होता है। इसके ऊपरी चौड़े भाग के, रचना के आधार पर तीन प्रकार होते हैं। किसी मोटी चकती के जैसा गोल सिर, उसके नीचे संकरी गर्दन तथा उसके बाद शाफ्ट के ऊपर का उभार है ट्युबरॅसिटी। सिर का ऊपरी हिस्सा उथले रूप अथवा रकाबी जैसा होता है तथा ह्युमरस की कॅपिट्युल से जुड़ती है। सिर की चकती मुलायम होती है और इस पूरे भाग पर हायलाईन कुर्चे का स्तर होता है। इस चकती की रेषा में बगल की अल्ना अस्थि पर एक छोटा सा खड्डा होता है। इसे रेडिअस नॉच कहते हैं। यहाँ पर इन दो अस्थियों का पहला जोड़ बनता है। कोहनी के नीचे के खड्डे में रेडिअस का सिरा हाथ में लगता है। इसका शाफ्ट बाहर से गोलाकार होता है व अल्ना के बाजू में इसे एक धारधार किनारा होता है। जिसके कारण यह सारा भाग त्रिकोणी होता है।

कलाई की ओर का चौड़ा भाग चौसोर होता है। बाहर की ओर अंत में स्टायलॉईड प्रोसेस नाम का सिरा होता है। अंदर की ओर अल्ना के लिये गड्ढा होता है। जिसे अल्नर नॉच कहते हैं। पीछे के भाग पर एक छोटासा उभार होता है। कलाई की ओर का भाग कलाई की हड्डियों से जुड़ता है। यह भाग हायलाईन कूर्चा से ढंका होता है। इसका बाहरी भाग त्रिकोणीय व अंदर का भाग चौकोर होता है।

ओसिफिकेशन  :

इसके तीन केन्द्र होते हैं। शाफ्ट व दोनों सिरों पर चौडे भागों में गर्भ के आठवे सरताह में केन्द्र तैयार हो जाते हैं। जन्म के बाद दूसरे वर्ष में कलाई की ओर के भाग का ओसिफिकेशन  शुरू हो जाता है। कोहनी की ओर के भाग का ओसिफिकेशन  लड़कियों में चौथे वर्ष लड़कों में पाँचवे वर्ष शुरू होता है। कोहनी के पास के भाग का ओसिफिकेशन  लड़कियों में १५ वे वर्ष तथा लड़कों में १७  वे वर्ष मुख्य हड्डी से जुड़ती है। कलाई की तरफ की एपिङ्गिसिस लड़कियो़ में १७      वे साल व लड़कों में १८ वे साल जुड़ती है। यानी इस हड्डी की वृद्धि कलाई की दिशा में ज्यादा होती है।

अल्ना :

हाथ में रेडिअस की अंदर की ओर अल्ना अस्थि होती है। कोहनी के पास का इसका सिरा किसी बड़े हुक अथवा आकडे के आकार का दिखायी देता है। इसे रेडिअस के करीब के हिस्से पर धारदार किनारा होता है। इसका शफ्ट भी पतला होता है। कलाई के पास का सिरा थोड़ासा चौड़ा होता है। इस सिरे को गोलाकार सिर होता है और उसके ऊपर एक स्टायलॉइड प्रोसेस होता है।

इसके कोहनी के पास के सिरे पर ऑलिक्रॉनन व कोरोनाईड नाम के दो बड़े प्रोसेसेस व ट्रॉक्लिअर व रेडियल नॉचेस होते हैं। ऑलिक्रानॅन प्रोसेस ह्युमरस के पिछले भाग पर ऑलिक्रॉनन खड्डे में पूरी तरह बैठ जाती है। जब कोहनी से हाथ को सीधा करते हैं तो इसका उभार खाल के नीचे कोहनी के पिछले भाग में दिखायी देता है तथा हाथ को लगता भी है। इस स्थिती में ह्युमरस के दोनों एपिकोंडाइल्स और ऑलिक्रॉनन एक आड़ी सरल रेखा में होते हैं। कोहनी पर हाथ मोड़ने पर ऑलिक्रॉनन प्रोसेस नीचे सरकता है व इस स्थिती मे दोनों एपिकोंडाइल्स के साथ एक समद्विभुज त्रिकोण तैयार होता है।

कोरोनाईड प्रोसेस के सामने की ओर होता है। इसके नीचे के भाग में रेडिअस नॉच होता है जिसका सांधा रेडिअस के सिर के साथ बनता है। ह्युमरस अस्थि का ट्रॉक्लिया नामक जो भाग होता है उसके पीछे के व नीचे के बाजू से ऑलिक्रॉनन व सामने की बाजूसे कोरोनॉइड प्रोसेस संपर्क में आता है। इन दो प्रोसेस में जो खड्डा होता है उसे ट्रॉक्लिअर नॉच कहते हैं।

इसका शाफ्ट का भाग ऊपर की बाजू में त्रिकोनाकार और कलाई के पास दंड़गोलाकार होता है । कलाई के पास फैला  हुआ गोलाकार सिर का भाग व स्टायलॉइड प्रोसेस आता है।

अल्ना का ओसिफिकेशन  चार ओसिफिकेशन  केन्द्रो के मार्फ़त  होता है। शफ्ट में व कलाई के पास के सिरे के एक-एक केन्द्र व ऑलक्रॉनन में दो शफ्ट के केन्द्र, गर्भ के आठवे सरताह में तैयार होते हैं। कलाई के पास के सिरे में, लड़कियों में पांचवी व लड़कों में छठवें वर्ष दिखायी देता हैं। ऑलिक्रॉनन में लड़कियों में नौवें व लड़कों में ११  वे वर्ष दिखायी देता है। ऑलिक्रॉनन मुख्य अस्थि से लड़कियों में १४ वें व लड़कों में १६  वें वर्ष जुड़ती हैं। कलाई के पास सिरे का भाग मुख्य हड्डी से बाद में यानी लड़कियों में १७ वे वर्ष व लड़कों में १८  वे वर्ष जुड़ता है। यहाँ पर भी हड्डी की बाढ़ कलाई की दिशा में होती हैं।

कुहनी के जोड़ में सहभागी होनेवाली तीनों अस्थियों की पहचान हमनें कर ली। अब हम यह समझेंगे कि कुहनी का सांधा कैसा होता है।

कुहनी का सांधा :

इसे मिश्र सायनोवियल सांधा अर्थात कंपाऊंड़ सायनोवियल लाईट कहते हैं। इसका कारण यह है कि इसमें दो जोड़ होते हैं। ह्युमरस का ट्रॅक्लिया व अल्ना का ट्रॅक्लिअर नॉच के बीच का जोड़ तथा दूसरा ह्युमरस के कॅपिट्युलम व रेडिअस के सिरे का जोड़। रेडिअस व अल्ना के बीच ऊपरी जोड़ कोहनी के जोड़ के कॅप्सूल के अंदर आता है और कोहनी में और भी जटिलता निर्माण करता है। जोड़ के सभी आर्टिक्युलर बाजुओं पर हायलाईन कुर्चा की परत होती है। जोड़ के बाहर फाइबर्स  कॅपसुल का आवरण होता है। जोड़ के अंदर सायनोवियल मेंब्रेन का आवरण होता है। जोड़ के दोनों बाजुओं में दो कोलॅटरल लिंगामेन्टस् होते हैं। अल्ना के बाजू में अल्नर लिंगामेन्ट व रेडिअस के बाजू के रेडिअल लिंगामेन्ट।  फलस्वरूप  जोड़ को एक प्रकार की मजबूती आ जाती है।

कोहनी की क्रियायें :

कोहनी के सांधा, बिजागरी सांधा के नाम से जाना जाता है। यह युनिऑक्सिअल अथवा एक अक्ष पर ही घूमने वाला सांधा है।  फलस्वरूप  इसमें दो ही महत्त्वपूर्ण क्रियायें होती हैं।

१)फ्लेक्शन अर्थात हाथ को कोहनी पर मोड़ना।
२)एक्स्टेन्शन अर्थात हाथ को कोहनी पर सीधा करना।

इस में ट्राक्सियाँ पर अल्नर अस्थि घूमती है तथा कॅपिट्युलम पर रेडिअल का सिरा घूमता हैं। ह्युमरस के ऑलिक्रॉनन फोसा में अल्ना का ऑलिक्रॉनन प्रोसेस  मजबूती से बैठ जाने पर हाथ कोहनी से सीधा हो जाता है। इससे ज्यादा यह और सीधा नही हो सकता। कोहनी पर हाथ को पूरा मोड़ने पर कोरोनॉईड प्रोसेस का सिरा ह्युमरस के कोरोनॉईड फोसा में तथा रेडिअस का सिरा रेडिअस फोसा में होता हैं।

हम सभी के द्वारा अनुभव की गयी एक बात यह हैं कि जब हमारा हाथ कोहनी पर सीधा एवं बाहर की ओर मुड़ा हुआ होता है। (यानी छोटी ऊंगली शरीर की ओर वहीं अंग़ूठा शरीर से दूर होता है) तब कोहनी का स्पर्श जाँघो को नहीं होता। इसका कारण यह है कि बाँह के नीचे का हाथ बाँह से बाहर की ओर एक कोण में घुमा हुआ होता है। इस कोण को कॅरिंग अँगल कहते हैं। कोहनी पर हाथ को पूरी तरह मोड़ने पर यह कोण समाप्त हो जाता है। इसी तरह कोहनी पर हाथ सीधा रखकर कोहनी के नीचे का हाथ अंदर की ओर मोड़ने पर भी यह कोण मिट जाता है। स्त्रियों में यह कोण पुरुषों की अपेक्षा बड़ा होता हैं।

अब हम रेडिअस और अल्ना के बीच जोड़ के बारे में जानकारी हासिल करेंगें।

(क्रमश:)

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