अस्थिसंस्था भाग – २८

पेलविस मानवी अस्थिपंजर का अध्ययन करते समय स्त्री व पुरुष के अस्थिपंजर में यदि फर्क  ढू़ढ़ँने लगे तो उसके लिये पेलविस जैसा अन्य कोई भी भाग नही हैं। इसमें इन दोनों में रहने वाला अंतर काफी  स्पष्ट होता है। यहाँ तक कि गर्भावस्था में भी यह अंतर स्पष्ट दिखायी देता है। सामने की तरफ़ रहनेवाली जो सब प्युबिक आर्च अथवा कमान होती है उसमें यह फर्क  तुरंत पता चलता है। उम्र के पहले नौ वर्षों में लड़कों में पेलविस का आकार लड़कियों की अपेक्षा ज्यादा बड़ा होता है। परन्तु इस उम्र के बाद यह समीकरण बदल जाता है और लड़कियों का पेलविस बढ़ता जाता है।

पेलविस के लिंगवाचक बदल मुख्यत: उसके कार्यों से संबंधित होते हैं। स्त्री व पुरुष दोनों में शरीर की गती अथवा हलचल ही पेलविस का प्रथम कार्य है। स्त्रियों के मामले में मुख्यत: छोटे पेलविस में शिशु की प्रसूति के लिये आवश्यक बदलाव होते हैं। इसके परिणाम स्वरूप ऊपर के बड़े पेलविस में भी आवश्यक बदलाव होते दिखायी देते हैं।

पुरुषों के स्नायु स्त्रियों की अपेक्षा ज्यादा शक्तिशाली होते हैं। जिसके फलस्वरूप पुरुष की हड्डियां भी ज्यादा तगड़ी होती हैं। पेलविस भी इसका अपवाद नहीं हैं। पुरुषों में अयलियाल क्रेस्ट ज्यादा मोटा तथा खुरदरा होता है तथा उसका सामने का सिरा शरीर के मध्यभाग की ओर ज्यादा झुकता है।

asthisansthaस्त्रियों में आयलियाक ज्यादा सीधी होती है। फलस्वरूप उसके कारण बनने वाली इलियाक रिक्त स्थान (गुफा ) गहरी नहीं होती है। सॅक्रल बेस अथवा नींव जो पाँचवे नंबर की मणिका से जुड़ती है वो बेस स्त्रियों में ज्यादा चौड़ा होता है। अ‍ॅसिटाब्युलम पुरुषों में बड़ा होता है व स्त्रियों में छोटा होता है। इसका मोजमाप अ‍ॅसिटाब्युलम  के सामने के सिरे से लेकर सिमफ़ायसीस प्युबिक तक का जितना अंतर होता है उतना इसका व्यास पुरुषो में होता है। स्त्रियों में वो अंतर की अपेक्षा कम होता है।

ऑबच्युरेटर फोरामेन पुरुषों में लंबवर्तुलाकार तथा स्त्रियों में त्रिकोणी होता है। प्युबिक अस्थि के बीच में सामने की ओर जो कमान बनती है तो पुरुषों में ज्यादा मजबूत होती है तथा स्त्रियों में ज्यादा चौड़ी होती है। इसमें कमानी के ऊपरी सिरे पर जो कोण बनता है वो पुरुषों में ५०० से ६०० अंश होता है तथा क्रियों में ८०० से ८५० तक होता है। दोनों प्युबिक ट्युबरकल्स और इश्‍चियल स्पाइन्स के बीच कअ अंतर स्त्रियों में ज्यादा होता है। सॅक्रम का घुमाव कम होता है। इसके अलावा अपराध अन्वेषण शास्त्र में पेलविस का अनन्यसाधारण महत्व है। संपूर्ण पेलविस इस बारे में उपयुक्त साबित होता ही है परन्तु उसका कोई भी भाग व्यक्ती के लिंग की पहचान करने के लिये काफी  होता है।

पेलविक अस्थि शरीर के अंतर्गत अवयवों का रक्षण करती हैं। परन्तु हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि पेलविक गर्डल यह सबसे पहले पैरों के अस्थिपंजर का एक अविभाज्य अंग है। शरीर के ऊपरी भागों का वजन पैरों पर अच्छी तरह से उठाना ही इसका काम है। दोनों अ‍ॅसिटॅब्युलम के बीचों बीच से यदि एक रेखा खीची जाय तो उस रेखा का पीछे का भाग भार ढ़ोने का काम करता है। सामने का प्युबिक भाग इमारत के आडे बीम की तरफ दोनों बाजुओं को एक साथ लाकर बांधने का काम करता है।

गर्भावस्था में पेलविस के जोड़ व लिंगामेंटस् फैलते  हैं, जिसके कारण सॅक्रो-इलियॅक जोड़ की लॉकींग मेकॅनिझम भी फैलती है और इसके कारण बच्चे के जन्म के समय पेलविस के सभी व्यासों में वृद्धि होती हैं। अभी हमने एक क्रिया का उल्लेख किया- सॅक्रो-इलियॅक जोड़ में लॉकींग होती है। अब हम देखेगें कि यह क्रिया क्या होती है?

सॅक्रा-इलियाक जोड में लॉकिंग : सॅक्रम और दोनों ओर की इलियाक अस्थि के बीच में दोनों ओर के जोड़ बनते हैं। यह जोड़ सायनोवियल जोड़ है। इसमें सॅक्रम के आर्टिक्युलर सरफ़ेस  पर हायलाईन कूर्चा होती है और इलियाक अस्थि पर ङ्गायब्रोेकार्टिलेज होती है। बचपन में ये दोनों आर्टिक्युलर सरफ़ेस  अखंडित एवं चिकने होते हैं। बढ़ती उम्र में ये सरफ़ेस  अनियमित खुरदरे बन जाते हैं तथा जिस तरह किसी जिग सॉ पझल के टुकड़े एक-दूसरे में अटकते हैं, उसी तरह ये एक-दूसरे के साथ अटकते हैं। फलस्वरूप इस जोड़ की गतियाँ कम होती हैं, परन्तु भार ढ़ोने की क्षमता बढ़ जाती है।

ऐसा है यह पेलविस गर्डल एवं पेलविस। अब हम प्रत्यक्ष पैरों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।

(क्रमश:)

Leave a Reply

Your email address will not be published.