जर्मनी में ‘मर्केल एक्ज़िट’ की पृष्ठभूमि पर फ्रान्स और इटली ने किए ऐतिहासिक ‘क्विरिनाले ट्रीटि’ पर हस्ताक्षर

merkel-exit-1रोम/पैरिस – चान्सलर एंजेला मर्केल जर्मनी की राजनीति से ‘एक्ज़िट’ कर रही हैं और तभी फ्रान्स और इटली ने ऐतिहासिक ‘क्विरिनाले ट्रीटि’ पर हस्ताक्षर किए हैं| फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष इमैन्युएल मैक्रॉन और इटली के प्रधानमंत्री मारिओ द्रागी ने इस समझौता को अभूतपूर्व क्षण बताया है| इस समझौते के माध्यम से दोनों देशों के रक्षा क्षेत्र समेत औद्योगिक, आर्थिक, विदेश, शिक्षा एवं सांस्कृतिक क्षेत्र का सहयोग अधिक मज़बूत किया जाएगा, ऐसे संकेत दिए गए हैं|

फ्रान्स और इटली दोनों यूरोपिय महासंघ के संस्थापक सदस्य है| मज़बूत और अधिक सार्वभौम यूरोप ही फ्रान्स और इटली का ध्येय है और हम इसी दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं| हमारी सीमाओं की सुरक्षा करने के लिए सक्षम यूरोप का निर्माण करना हमारा उद्देश्य रहेगा’, इन शब्दों में फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने इस समझौते का समर्थन किया| यह समझौता इटली और फ्रान्स की मित्रता अधिक मज़बूत करेगा, यह दावा भी उन्होंने किया|

इटली के प्रधानमंत्री मारिओ द्रागी ने कहा कि, फ्रान्स के साथ यह समझौता एक ऐतिहासिक क्षण है| यूरोप की एकजूट की प्रक्रिया गतिमान करने के लिए यह समझौता अहम साबित होता है, यह भी द्रागी ने स्पष्ट किया| ऊर्जा, तकनीक और अंतरिक्ष क्षेत्र में दोनों देश सहयोग बढ़ाएँगे, ऐसा इटली के प्रधानमंत्री ने कहा| फ्रान्स और इटली के बीच इस समझौते को लेकर पहली बार वर्ष २०१७ में बातचीत हुई थी| लेकिन, इसके बाद कुछ समय के लिए यह बातचीत स्थगित की गई थी|

इस वर्ष द्रागी ने इटली में सरकार का गठन करने के बाद फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष ने फिर से इस समझौते के लिए पहल की थी| फ्रेंच राष्ट्राध्यक्ष मैक्रॉन ने अलग अलग अंतरराष्ट्रीय मंचों के माध्यम से द्रागी से संपर्क भी बढ़ाया था| इससे पहले विवादित साबित हुए लीबिया जैसे मुद्दों पर भी समझौता करने की भूमिका अपनाई थी| इटली की कुछ मॉंगें फ्रान्स ने स्वीकारी हैं, यह दावा सूत्रों ने किया है|

merkel-exit-2यह समझौता फ्रान्स और जर्मनी ने वर्ष १९६३ में किए ‘फ्रैन्को-जर्मन पैक्ट’ पर आधारित है| इस समझौते ने यूरोपिय महासंघ के जर्मनी और फ्रान्स के लंबे समय तक चलनेवाले सहयोग की नींव रखी और यूरोपिय महासंघ के गठन में अहम भूमिका निभाए जाने की बात कही जाती है| इस वजह से फ्रान्स और इटली का यह समझौता ध्यान आकर्षित कर रहा है| अगले वर्ष महासंघ का अध्यक्षपद ‘रोटेशन’ पद्धति के कारण फ्रान्स को मिलेगा| फ्रान्स को इस ज़िम्मेदारी के दौरान ही ‘ब्रेक्ज़िट’ के मुद्दे पर ब्रिटेन के साथ शुरू हुआ विवाद, कोरोना की महामारी, आक्रामक रशिया, चीन और पूर्व यूरोपिय देशों की नाराज़गी जैसी चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा|

चुनौतियॉं तीव्र हो रही हैं और तभी जर्मनी में बड़ा सत्ता परिवर्तन भी हो रहा है| बीते १६ साल से सत्ता में रहीं चान्सलर मर्केल का जर्मन राजनीति का कार्यकाल खत्म हुआ है| जर्मनी में तीन दलों की नई संयुक्त सरकार बनी है और कई मुद्दों को लेकर इन तीनों दलों की नीति एक-दूसरे के खिलाफ है| क्या इस पृष्ठभूमि पर जर्मनी यूरोपिय महासंघ में पहले की तरह सक्रिया रहेगा, इस पर आशंका जताई जा रही है| इस वजह से फ्रान्स ने इटली जैसे शीर्ष देश के साथ महासंघ का नियंत्रण लेने के संकेत दिए हैं और ‘क्विरिनाले ट्रीटि’ इसी का हिस्सा होने की बात विश्‍लेषक कह रहे हैं|

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