….तो चीनी कंपनियों को भी यूरोपिय बाज़ार में प्रवेश नहीं मिलेगा – जर्मन चान्सलर एंजेला मर्केल का इशारा

बर्लिन – चीन को यूरोप के साथ निवेश से संबंधित समझौता करना हो तो इसमें एक-दूसरे से सहयोग की उम्मीह होगी। यूरोपिय कंपनियों को चीन के बाज़ार में प्रवेश करने में अब भी बाधाओं का मुकाबला करना पड़ रहा है। यदि आगे भी यूरोपियन कंपनियों को चीन के बाज़ार में प्रवेश मिलता नहीं है तो चीनी कंपनियों को भी यूरोप के बाज़ार में प्रवेश नहीं मिलेगा, इस बात का अहसास चीन की हुकूमत को होना चाहिए, ऐसा इशारा जर्मन चान्सलर एंजेला मर्केल ने दिया है। मर्केल चीन को इशारा दे रही थीं तभी ५-जी क्षेत्र में खतरनाक बताई जा रही चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगाने पर यूरोपिय महासंघ की सहमति होने का समाचार सामने आया है। इससे नज़दिकी भविष्य में यूरोप और चीन के बीच दरार बढ़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

Markel-chinaचीन के संबंधों के मुद्दे पर अमरीका और यूरोप में मतभेद होने की बात लगातार सामने आती रही है। लेकिन, कोरोना की महामारी की पृष्ठभूमि पर स्थिति में धीरे धीरे बदलाव होने लगा है और यूरोप में चीन के विरोध में असंतोष तीव्र हो रहा है। कोरोना की महामारी को जैसे संभाला है और इसी बीच हाँगकाँग एवं उइगरवंशियों को लेकर चीन ने किए गए निर्णय यूरोप की नाराज़गी के प्रमुख कारण हैं। चीन के संबंधों के मुद्दों पर यूरोपिय महासंघ ने दिए इशारे और आवाहन भी चीन ने ठुकराया होने की बात दिखाई पड़ी है। इस पृष्ठभूमि पर यूरोप स्थित प्रमुख देश जर्मनी के राष्ट्रप्रमुख ने चीन को फटकारना अहमियत रखता है।

जर्मन चान्सलर एंजेला मर्केल ने चीन को लक्ष्य करने की यह बीते पांच दिनों में दूसरी घटना है। कुछ दिन पहले ही जर्मन संसद में किए गए भाषण के दौरान मर्केल ने हाँगकाँग और उइगरों के मुद्दों पर चीन को आड़े हाथों लिया था। हाँगकाँग में जारी घटनाओं को लेकर जर्मनी में कड़ी नाराज़गी है। ‘एक देश, दो व्यवस्थाएं’, की नीति का लगातार उल्लंघन होना, चिंता की बात मानी जाती है। ऐसे में चीन में अल्पसंख्यांकों से काफ़ी क्रूरता और बुरा बर्ताव किए जाने की बात भी सामने आ रही है। चीन के साथ चर्चा के दौरान यह मुद्दे सख्ती से रखे जाएंगे, यह इशारा मर्केल ने दिया था। फिलहाल महासंघ के अध्यक्षपद की ज़िम्मेदारी जर्मनी के हाथों में है। यूरोपिय कमिशन के प्रमुख पद पर भी जर्मन नेता की नियुक्ती हुई है। इससे महासंघ की नीति और निर्णयों में जर्मनी की भूमिका निर्णायक साबित होगी। इससे पहले चीन के लिए यूरोप का बाज़ार खुला करने के साथ यूरोप और चीन के संबंध मज़बूत करने के लिए जर्मनी ने पहल की थी। इससे अब चान्सलर एंजेला मर्केल ने चीन के विरोध में नाराज़गी दर्शानेवाले बयान करना ध्यान आकर्षित करता है।

Markel-chinaजर्मन चान्सलर चीन को आड़े हाथों ले रही थीं तभी यूरोपिय महासंघ भी आक्रामक होने की बात सामने आयी है। हाल ही में हुई एक अहम बैठक में ५-जी क्षेत्र में चीनी कंपनियों पर रोक लगाने के मुद्दे पर महासंघ की सहमति होने की जानकारी सामने आयी है। जनवरी महीने में ५-जी तकनीक के क्षेत्र की साइबर सुरक्षा से संबंधित रूपरेखा को मंजूरी दी गई थी। इनमें किए गए प्रावधानों का इस्तेमाल करके सदस्य देशों को संवेदनशील क्षेत्र में ४-जी तकनीक का इस्तेमाल करते समय खतरा साबित होनेवाली कंपनियों पर प्रतिबंध लगाना मुमकिन होगा, यह बात यूरोपियन कौन्सिल ने अपने निवेदन में स्पष्ट की है। साथ ही अगले दौर में यूरोपिय देशों में ५-जी तकनीक की आपूर्ति करनेवाली कंपनियों के लिए समान निकष तय रहेंगे, यह बात भी दर्ज़ की गई है। यूरोपिय महासंघ ने कुछ दिन पहले ही अमरीका ने तकनीकी क्षेत्र के लिए घोषित किए हुए ‘क्लीन नेटवर्क’ की मु्हिम का समर्थन करने के स्पष्ट संकेत दिए थे। अमरीका ने तकनीक और मोबाईल क्षेत्र की चीनी कंपनियों का वर्चस्व तोड़ने के लिए क्लीन नेटवर्क नाम से स्वतंत्र मुहिम शुरू की है।

यूरोप के ब्रिटेन और फ्रान्स जैसे प्रमुख देशों ने ५-जी क्षेत्र में चीनी कंपनियों को रोकने के लिए अहम निर्णय किए हैं। तभी पोलैण्ड ज़ेक रिपब्लिक और स्लोवेनिया जैसे देशों ने अमरीका की पहल से शुरू हुई मु्हिम में शामिल होने के लिए समझौते भी किए हैं। अमरीका के विदेशमंत्री माईक पोम्पिओ ने हाल ही में की हुई अपनी यूरोप यात्रा के दौरान इटली को चीनी ५-जी तकनीक का इस्तेमाल करने के मुद्दे पर कड़ी चेतावनी दी थी। इसके बाद इटली ने भी हम अमरीका ने जताई चिंता पर संज्ञान लेने का वादा किया था। ऐसी पृष्ठभूमि पर जर्मन चान्सलर ने चीनी कंपनियों को लेकर किया बयान और महासंघ ने ५-जी तकनीक को लेकर चीन के विरोध में अपनाई भूमिका, चीन के लिए बड़ा झटका साबित होता है।

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