दुनियाभर के प्रमुख देशों पर ‘रैन्समवेअर’ का दूसरा हमला; रशिया और युक्रेन का सबसे ज़्यादा नुकसान

किव्ह/मॉस्को/वॉशिंग्टन, दि. २८ : पिछले महिने में हुए ‘रैन्समवेअर’ साइबर हमले की पुनरावृत्ति हुई है| बुधवार को हैकर्स ने सायबर हमले द्वारा दुनियाभर के प्रमुख देशों और कंपनियों को दुविधा में डाल दिया है| युक्रेन और रशिया इन देशों का इस सायबर हमले में सबसे ज़्यादा नुकसान हुआ है, ऐसा कहा जाता है| साथ ही, ब्रिटन, फ्रान्स, जर्मनी, इटली और पोलंड इन देशों के साथ अमरीका पर भी ‘रैन्समवेअर’ का हमला हुआ है| अमरीका के अकेले न्यूयॉर्क शहर में ही २००० हमलें दर्ज़ हुए हैं|

‘गोल्डनआय’ और ‘पेट्या’ इन नामों से पहचाने जानेवाले इस सायबर हमले की वजह से प्रमुख देशों की परेशानी में इ़जाफा हुआ है| बुधवार को युक्रेन से इस हमले की शुरुआत हुई ऐसा कहा जाता है| युक्रेन के बैंकों को ‘रैन्समवेअर’ का झटका लगा| युक्रेन और रशिया इन देशों का इस सायबर हमले में सबसे ज्यादा नुकसान होने की जानकारी दी जाती है| इसके अलावा, अमरीका के न्यूयॉर्क शहर में दो हज़ार सायबर हमले दर्ज हुए हैं ऐसी जानकारी सायबर सुरक्षा देनेवाली एक रशियन कंपनी ने दी| इसके साथ ही ब्रिटन, फ्रान्स, जर्मनी, इटली और पोलंड समेत ऑस्ट्रेलिया और भारत पर भी ‘रैन्समवेअर’ के हमले हुए हैं|

‘रैन्समवेअर’इस व्हायरस के ज़रिये कॉम्प्युटर्स ब्लॉक करके हैकर्स ने, कॉम्प्युटर्सद्वारा होनेवाले व्यवहार तोड़ दिये| ‘यदि तुम्हें तुम्हाला ‘डाटा’ सुरक्षित रखना है और कॉम्प्युटर्स के व्यवहार सुचारु रूप से करने हैं, तो बिटकाईन्स के माध्यम से करीब ३०० डॉलर्स इतनी फिरौती देनी पड़ेगी’ ऐसी सूचना इन हैकर्स द्वारा दी जा रही है| लेकिन कोई भी इन धमकियों ड़रकर फिरौती ना दें, ऐसा आवाहन सायबर सुरक्षा क्षेत्र के विशेषज्ञ दे रहे हैं| इस समय हैकर्स को फिरौती दी, तो आगे चलकर भी इस प्रकार के हमले होते रहेंगे, ऐसी चेतावनी ये विशेषज्ञ दे रहे हैं| इसके अलावा सायबर सुरक्षा से जुड़े विशेषज्ञों ने, इस हमले के लिए कंपनियों का ढ़ीला व्यवहार ज़िम्मेदार है, ऐसा आरोप किया है|

‘रैन्समवेअर’सायबर सुरक्षा के लिए आवश्यक रहनेवाले प्रावधान कंपनियों द्वारा किये नहीं जाते| इस वजह से इस प्रकार के हमलें होते रहते हैं, ऐसा इन सायबर विशेषज्ञों का कहना है| पिछले महीने में हुए ‘वानाक्राय’ सायबर हमले में दुनियाभर के २०० देशों मे करीब तीन लाख कॉम्युटर्स की घेराबंदी की थी| इसकी तुलना में बुधवार को हुआ सायबर हमला उतना बड़ा नहीं था| लेकिन उसका स्वरूप समान है, ऐसा दावा किया जा रहा है| इस हमले का मूल, अमरीका की ‘नैशनल सिक्युरिटी एजन्सी’ से ‘इटरनल ब्लू’ नाम का सायबर वेपन चुराकर हैकर्स ने यह हमला किया है, ऐसा आरोप किया गया था|

इस हमले के लिए अमरीका की उदासीनता ज़िम्मेदार है, ऐसी आलोचना रशिया ने की थी| साथ ही, चीन ने भी इसके लिए अमरीका पर भड़काऊ बयानबाजी की थी| लेकिन इस हमले की पीछे रशिया रहने की आशंका अमरीका द्वारा जतायी जा रही थी| साथ ही, चीन की कुछ कंपनियाँ भी इस हमले के पीछे हैं, ऐसा आरोप करके अमरीका ने इन चिनी कंपनियों पर निर्बंध लगाये थे| अमरीका की यह कार्रवाई अन्यायकारक है, ऐसा कहकर, चिनी कंपनियों के विरोध में अमरीका के पास पर्याप्त सबूत ना होते हुए भी यह कार्रवाई की गयी है, ऐसी शिक़ायत चीन ने की थी|

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