जापान के प्रधानमंत्री शिंझो ऍबे युरोप दौरे पर; जर्मनी और फ्रान्स का दौरा संपन्न

बर्लिन/पॅरिस, दि. २१ : एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन के बढ़ती प्रभुता का मुकाबला करने के उद्देश से जापान आक्रामक कदम उठा रहा है, ऐसा दिखाई दे रहा है| इसी आक्रामकता के तहत जापान के प्रधानमंत्री शिंझो ऍबे युरोप के दौरे पर दाखिल हुए हैं| ऍबे ने जर्मनी और फ्रान्स का दौरा किया है| जर्मनी में चॅन्सेलर अँजेला मर्केल के साथ हुई मुलाकात में, जापान और युरोप के बीच मुक्त व्यापार समझौते को प्रोत्साहन देने पर सहमति बनी| फ्रान्स के साथ परमाणुऊर्जा समझौता करते हुए प्रधानमंत्री ऍबे ‘साऊथ चायना सी’ के मुद्दे पर समर्थन हासिल करने में भी कामयाब हुए हैं|

जर्मनी और फ्रान्स पिछले सालभर में चीन ने ‘साऊथ चायना सी’, ‘ईस्ट चायना सी’ में सैनिकी गतिविधियाँ बढ़ाई हैं| साथ ही, आर्थिक स्तर पर ‘आशियन इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्व्हेस्टमेंट बँक’ एवं ‘वन बेल्ट वन रोड’ इस उपक्रम के जरिए आक्रामक नीति को लागू करना शुरू किया है| चीन के इस बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए जापान ने भी आंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कदम उठाने शुरू किए हैं| अमरीका, भारत, ऑस्ट्रेलिया, रशिया इन देशों के साथ खाड़ी देश, अफ्रीका, लॅटिन अमरीका और युरोप के साथ सहयोग बढ़ाना, यह इसी योजना का हिस्सा है| जापान के प्रधानमंत्री ऍबे का युरोप दौरा इसी कोशिश का हिस्सा है|

जापान के प्रधानमंत्री ऍबे और जर्मन चॅन्सेलर मर्केल के बीच हुई मुलाकात में ‘मुक्त व्यापार’ संकल्पना का जोरशोर से समर्थन किया गया है| फिलहाल विश्‍व में व्यापार क्षेत्र में संरक्षणवादी नीति को बढ़ावा देने के लिए कोशिशें की जा रही हैं, ऐसा दिखाई दे रहा है| ऐसे समय, जापान और युरोप ने एक साथ मिलकर अमरीका से सहयोग लेकर मुक्त व्यापार का झंडा हमेशा लहराते रखना चाहिए, ऐसे शब्दों में ऍबे ने मुक्त व्यापार नीति का समर्थन किया है| तभी जर्मन चॅन्सेलर ने कहा कि ‘फिलहाल मुक्त व्यापार, खुली सीमा और लोकशाही मूल्य जैसे मुद्दों पर विवाद होने की स्थिति है| लेकिन इसके बावजूद, जापान और जर्मनी के बीच इस मुद्दे पर विवाद नहीं हो रहा यह अच्छी बात है’ ऐसे शब्दों में अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष डोनाल्ड ट्रम्प पर निशाना साधा|

जर्मनी के दौरे के बाद सोमवार शाम जापान के प्रधानमंत्री ऍबे फ्रान्स की राजधानी पॅरिस में दाखिल हुए| फ्रान्स के राष्ट्राध्यक्ष फ्रँकोईस हॉलांदे ने ऍबे का स्वागत किया इस समय दोनों देशों के बीच हुई बैठक में परमाणुऊर्जा सहयोग समझौते पर दस्तखत किए गए| इस समझौते के अनुसार, दो जापानी परमाणुऊर्जा कंपनियों को फ्रान्स की अग्रसर कंपनी में १० प्रतिशत का हिस्सा मिलनेवाला है| इसके लिए ५३.७ करोड डॉलर्स का निवेश किया गया है|

उसी समय फ्रान्स ने, साऊथ चायना सी’ की जापान की भूमिका को समर्थन देते हुए, एशिया-प्रशांत क्षेत्र के सागरी हिस्से में खुली और मुक्त व्यवस्था रहनी चाहिए, ऐसा आवाहन किया है| कुछ दिन पहले फ्रान्स ने, मई महीने में प्रशांत महासागर में होनेवाले बहुराष्ट्रीय नौसेना के युद्धाभ्यास में अपनी ‘मिस्राल’ युद्धनौका भेजने के संकेत दिए थे| इस अभ्यास में अमरीका, जापान और ब्रिटन शामिल होनेवाले हैं और चीन को ठोस संदेश देने के लिए इसका आयोजन किया गया है, ऐसा दावा किया जाता है|

फ्रान्स दौरे के बाद ऍबे ब्रुसेल्स में युरोपीय महासंघ के नेताओं से मुलाकात करनेवाले हैं| इसके बाद इटली का दौरा करते हुए बुधवार को अपने देश लौटेंगे, ऐसी जानकारी जापान के सूत्रों ने दी|

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