शिमला

हिमालय! हमारे भारत की उत्तरी सीमा की रखवाली करनेवाला पर्वतराज! हिमालय में कई तीर्थस्थान हैं, कई ऋषिगण इस हिमालय में ही तपश्‍चर्या करते हैं ।  हिमालय और शिवशंकरजी के अटूट रिश्ते के बारे में तो हम सब जानते ही हैं। तो ऐसा यह हिमालय, जहाँ पर पवित्रता और सुन्दरता का अनोखा संगम हुआ है ।

शिमला यह हिमालय की गोद में बसा हुआ ऐसा ही एक खूबसुरत शहर हैं ।  हिमाचल प्रदेश की इस राजधानी की उँचाई समुद्री सतह से लगभग ७५०० फीट है ।

Snow-at-Kufriप्राचीन समय से शिमला में लोग बस रहे थे ।  लेकिन उस समय के शिमले के इतिहास के बारे में कुछ अधिक जानकारी प्राप्त नहीं होती । कई वर्ष पूर्व यहाँ पर ‘श्यामला’ देवी का मंदिर था और इसी कारण इस जगह का नाम ‘शिमला’ हो गया, ऐसा कहा जाता है। वहीं कुछ लोगों की राय में ‘शिमला’ यह शब्द ‘श्यामल’ इस शब्द से बना है।

अंग्रेज़ों ने शिमला में कदम रखने के बाद का शिमला का इतिहास ही उपलब्ध है ।  अंग्रेज़ और गोरखा सैनिकों हे बीच में हुए युध्द के बाद इसवीसन १८१९ में अंग्रेज़ों ने शिमला नाम के छोटे से गाँव में पहला कदम रखा और जैसा कि पहले ही हम देख चुके हैं, श्यामला देवी का मंदिर यहाँ पर होने के कारण इस स्थान का नाम ‘शिमला’ पड़ गया था।

भारत पर राज करने आये अंग्रेज़ों के लिए भारत की गर्मियों को बर्दाश्त करना काफ़ी मुश्किल था और इसी कारण अंग्रेज़ो ने हर एक प्रान्त के उँचाई पर स्थित गाँवों की खोज करके उन्हें ‘हिल स्टेशन’ बना दिया और इस तरह उन्होंने गर्मियों से राहत पाली ।

इतिहास के अनुसार इसवीसन १८१९ में शिमला पर कब्ज़ा करने के बाद ‘लेफ्टनंट रॉस’ नामक अंग्रेज़ अफ़सर ने वहाँ एक लकड़ी से बने घर का निर्माण किया ।  बाद में इसवीसन १८२२  में ‘चार्ल्स केनेडी’ ने सिमला में एक पक्के घर का निर्माण किया, जो ‘केनेडी हाऊस’ इस नाम से पहचाना जाता था ।  इसवीसन  १८२७ में ‘लॉर्ड अ‍ॅमहर्स्ट’ नाम के अंग्रेज़ गव्हर्नर जनरल ने गर्मियों में शिमला में ड़ेरा डाला ।  अब अंग्रेजों की नज़र में धीरे धीरे शिमला का महत्व बढता गया, क्योंकि तेज़ गर्मियों के मौसम में भी शिमला में काफ़ी ठण्डा वातावरण रहता था, इस बात का उन्हें पता चल गया था। इसी कारण विशेषत: उत्तरी भारत के मैदानी प्रदेश में रहनेवाले अंग्रेज़ गर्मियों में अपने परिजनों के साथ शिमला में डेरा डालने लगे ।

लॉर्ड बेंटींग के समय में शिमला का तेज़ी से विकास होने लगा ।  उनके कार्यकाल से शिमला यह अंग्रेज़ सरकार की गर्मियों की राजधानी अर्थात् समर कॅपिटल बन गया ।

अब जब सरकार ने ही गर्मियों में शिमला में डेरा डाल दिया हो, तब उनके साथ सरकारी कार्यालय और कर्मचारियों का भी वहाँ पर रहना यह तो स्वाभाविक हैं ।  यहीं से सरकारी कामकाज के लिए विभिन्न इमारतों का निर्माण शुरू हुआ। आज भी शिमला में हम उन विशेषतापूर्ण इमारतों को देख सकते हैं।  इन इमारतों का निर्माण ‘निओ-गॉथिक’ एवं ‘टुर्डोबेथन’ शिल्पशैलियों द्वारा किया गया है।

अंदाजन् इसवीसन  १८६४ से लेकर १९३९ तक की अवधि में शिमला यह शहर अंग्रेज़ों की गर्मियों के मौसम की राजधानी था। भारत के आज़ाद हो जाने के साथ ही अंग्रेज़ों का शासन ख़त्म हो गया; मगर फ़िर भी इस शहर का राजधानी का दर्जा क़ायम रहा ।  हिमाचल प्रदेश की निर्मिति के बाद यह शहर हिमाचल प्रदेश की राजधानी बन गया।

मैदानी इलाके में बसनेवालों के लिए गर्मियों के मौसम में शिमला यह एक बहुत ही सुविधाजनक आधार था, लेकिन उस समय शिमला तक पहुँचना यह काफ़ी मुश्किल काम था ।  शिमला तक जाने के लिए घोड़ा, घोड़ागाड़ी, डोली जैसे साधनों का इस्तेमाल करना पडता था । मग़र इसवीसन १९०३  में हुई एक महत्वपूर्ण घटना के कारण इस सफ़र को कम समय में तय किया जा सका, दिक्कतें भी काफ़ी हद तक कम हो गयी और यात्री बड़े आराम के साथ शिमला का सफ़र करने लगे ।

९ नवंबर १९०३  को ‘काल्का-शिमला’ रेलगाड़ी चलने लगी और रेल से शिमला पहुँचना मुमक़िन हो गया। लगभग  ९६.५ कि.मी. के इस रेलमार्ग का निर्माण ‘दिल्ली-अंबाला-काल्का’ रेल्वे कंपनी ने किया। इस रेलमार्ग का निर्माणकार्य इसवीसन १८९८ में शुरू हुआ ।

यह रेलमार्ग ‘नॅरो गेज’ है और इस रेलमार्ग का हाल ही में युनेस्को की ‘वर्ल्ड हेरिटेज’ की सूचि में समावेश किया गया है। दर असल शिमला की सुन्दरता और प्राकृतिक ख़ूबियों को इस रेल के सफ़र के साथ ही हम देखने लगते हैं। पर्वत की तलहटी से चलनेवाली यह रेलगाडी जैसे जैसे ऊपर चढ़ने लगती है, वैसे वैसे हिमालय की पहाड़ियों की सुन्दरता और हरीभरी वादियाँ हमारे मन को मोह लेती हैं।       इस रेलमार्ग का निर्माणकार्य यह भी मानवी कोशिशों का एक उत्तम नमुना माना जा सकता है ।  पर्वत पर चढ़नेवाली यह रेलगाड़ी कुल १०२ सुरंगों में से गुजरती है ।  इस छोटीसी टॉय ट्रेन के लिए बनाए गए पुलों की भी अपनी एक ख़ासियत है ।  इस मार्ग पर कुल ८६४  पुल हैं ।

काल्का से चलनेवाली यह ट्रेन धरमपुर, सोलन, कंडाघाट, तारादेवी, बरोग, समरहिल जैसे कई स्टेशनों से गुजरती हुए आख़िर पर्वत की चोटी पर स्थित शिमला तक पहुँच जाती है ।  इस रेलमार्ग की विशेषता यह है कि यहाँ पर विभिन्न प्रकार की रेलगाड़ियाँ चलायी जाती हैं और गाडी के प्रकार के अनुसार सफ़र के लिए लगनेवाला समय भी कम-अधिक होता है ।  संक्षेप में कहा जाये तो इन में से कुछ रेलगाडियाँ फास्ट ट्रेन्स होती है, वहीं कुछ स्लो ट्रेन्स ।

गर्मियों में सुखद ठंडक और सर्दियों में कडाके की ठंड ऐसा मौसम है, शिमला का ।  यहाँ पर देवदार, पाइन, ओक, र्‍होडोडेंड्रॉन इन पेडों के घने जंगल हैं ।  सर्दियों में शिमला शहर और इसके आसपास का इलाक़ा बहुत बार ब़र्फ की सफेद चादर ओढ लेता है ।  इसलिए आजकल गर्मियों के मौसम में राहत पाने के उद्देश्य के साथ साथ सर्दियों में इस शहर में होनेवाली हिमवर्षा को देखने और उसका लु़फ़्त उठाने के लिए भी कई पर्यटक शिमला आते हैं ।  क्योंकि मुंबई जैसे शहर में ब़र्फ को तो स़िर्फ  फ्रिज में ही देखा जा सकता है, फिर शिमला के ब़र्फ में खेलने का लु़फ़्त उठाना तो स्वाभाविक ही है। लेकिन ग्लोबल वॉर्मिंग (जागतिक तापमान में हो रही बढोतरी) का असर यहाँ पर भी हो रहा है ।

शिमला शहर सात पहाड़ियों पर बसा हुआ है यानि कि पूरे शहर का विस्तार सात पहाडियों पर हुआ है और इन सब में ‘जाखू’ नाम की पहाड़ी की उँचाई सब से अधिक है। इस पहाडी से पूरे शिमला शहर को देखा जा सकता है ।  शहर का मुख्य और मध्यवर्ती विभाग है – ‘माल रोड’।  इस रास्ते पर पर्यटकों को खरीदारी (शॉपिंग) से लेकर भोजन (डायनिंग) तक की सभी सुविधाएँ प्रदान करनेवाली दुकानें, होटल हैं और यहीं पर कुछ कार्यालय भी हैं।

हम यह देख ही चुके हैं कि अंग्रेज़ों के शासनकाल में बनायी गयी इमारतें यहाँ की एक ख़ासियत है और आजभी उनमें से कुछ इमारतें अच्छी स्थिति में हैं। लॉर्ड डफरीन नामक व्हाइसरॉय के लिए बनायी गई ‘व्हाइसरिगल लॉज’ नाम की इमारत में इसवीसन १९६५ से ‘इंडियन इन्स्टिट्यूट ऑफ अ‍ॅडव्हान्स स्टडीज’ यह संस्था कार्यरत है ।

इसवीसन १८८७ में शिमला में ‘गेईटी थिएटर’ का शुभारंभ हुआ ।  हेन्री आयर्विन इस वास्तुविशेषज्ञ ने इस का निर्माण किया ।  नाटक, संगीत के प्रस्तुतीकरण के माध्यम से इस गेईटी थिएटर ने अंग्रेज़ों की सांस्कृतिक ज़रूरत को पूरा किया ।

अंग्रेज़ों के आने के साथ साथ शिमला में शिक्षाव्यवस्था भी कार्यान्वित हुई ।  अंग्रेज़ों ने यहाँ पर शिक्षासंस्थाओं की स्थापना की ।  यहाँ की दो लायब्ररियों में कुल मिलाकर ४७००० पुरानी पुस्तकें संग्रहित की गयी है ।  इसी शहर में उत्तरी भारत का एक पुराना चर्च भी है ।

शिमला में डॉक्टरी शिक्षा प्रदान करनेवाला कॉलेज तथा कुछ अस्पताल भी हैं ।  हिमाचल प्रदेश की दुर्गमता और वहाँ के छोटे-बडे गाँवों की स्थिति पर यदि ग़ौर करें, तो उस पार्श्‍वभूमि पर हम इस शहर की वैद्यकीय सुविधाओं के महत्त्व को आसानी से समझ सकते हैं ।

शिमला शहर और उसके आसपास के इला़के में कई प्रेक्षणीय स्थल है।  इनमें से शिमला की जाखू पहाड़ी पर स्थित हनुमानजी का मंदिर क़ाफ़ी मशहूर है ।  अन्य स्थानों की अप्रतीम प्राकृतिक सुन्दरता भी अवर्णनीय है ।

हिमालय की गोद में बसने के कारण तथा यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता के कारण शिमला में पर्यटन यह मुख्य व्यवसाय है ।  साथ ही लकड़ी पर किया जानेवाला ऩ़क़्क़ाशीकाम तथा ऊनी कपड़ो का निर्माण भी यहाँ के व्यवसाय हैं ।

शाम को सूर्यास्त हो जाने के बाद जब शिमला की पहाड़ियों पर स्थित गगन की चाँदनियों के दीप एक एक करके जलने लगते हैं, तब उस शान्त, नीले गगन को देखकर यह शहर शायद कहता होगा,‘‘यही है, यही है वह शान्त, सुखद, मनमोहक ‘श्यामलता’!’’

One Response to "शिमला"

  1. onkar wadekar   December 5, 2016 at 1:31 pm

    यू ही नहीं शिमला को गर्मियों की राजधानी कहा जाता है। कैसे बना यह समर कॅपिटल, शिमला का नामकरण की कहानी , नॅरो गेज की १०२ सुरंगों और ८६४ पुल का सफर ऐसी बहुत सारी विविधताओंसे भरे इस लेख को पढ़ने के बाद शिमला को देखने का नजरियाही बदल गया।

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