सौदी-ईरान सहयोग इस्रायल के लिए आपदा साबित होगा – ब्रिटिश अखबार की चेतावनी

लंदन – सौदी अरब और ईरान का स्थापित सहयोग खाड़ी में विवाद खत्म करके नया सहयोग शुरू करेगा। इससे सीरिया का बड़े आसानी से अरब लीग में समावेश हो सकेगा और येमन, लेबनान के साथ अरब देशों के ताल्लुकात सुधरेंगे। सौदी-ईरान सहयोग के कारण खाड़ी में पहले ही अमरीका का प्रभाव कम होने से चीन के लिए बड़ा अवसर उपलब्ध हुआ है। लेकिन, आनेवाले समय में यह सहयोग इस्रायल के लिए आपदा साबित होगा, ऐसी चिंता ब्रिटेन के शीर्ष अखबार ने दी है।

एक महीने पहले चीन की मध्यस्थता से सौदी अरब और ईरान का सहयोग स्थापित हुआ। पिछले हफ्ते ईरान ने सौदी में अपना दूतावास शुरू करके इस नए सहयोग का अहम कदम बढ़ाया। इस बीच, सौदी ने भी सूड़ान संघर्ष में फंसे ६० ईरानी नागरिकों को वहां से सुरक्षित बाहर निकाला है। आगे के समय में सौदी और ईरान का सहयोग अधिक बढ़ेगा, ऐसी खबरें प्राप्त हो रही हैं।

ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी जल्द ही सौदी का दौरा करके राजे सलमान एवं क्राउन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान से मुलाकात कर सकते हैं। इसके साथ ही दोनों देशों के बीच जल्द ही यात्रि हवाई सेवा शुरू होगी। सौदी का बाज़ार ईरान के पोलाद के लिए खुला होगा, ऐसी खबरें भी प्राप्त हो रही हैं। अन्य क्षेत्रों में भी ईरान-सौदी का सहयोग जल्द ही स्थापित होगा, ऐसा दावा किया जा रहा है।
ब्रिटेन के ‘द गार्डियन’ अखबार ने अरब विश्लेषक के दाखिले से जारी की हुई खबर में यह कहा है कि, सौदी-ईरान सहयोग अन्य अरब देशों के लिए भी सहायक साबित होगा। ४० सालों में पहली बार सौदी और ईरान एक-दूसरें का बैर बाजू करके साथ आए हैं और इससे अरब-खाड़ी के दो गुट भी एकत्रित हो जाएंगे, ऐसा बयान वर्णित अरब विश्लेषक ने किया है।

सीरिया की अस्साद हुकूमत को सौदी और अरब लीग के अन्य देशों की स्वीकृति प्राप्त हो सकती है। साथ ही येमन के हौथी विद्रोही और लेबनान की हिज़बुल्ला के साथ भी अरब देशों के ताल्लुकात सुधर सकते हैं, ऐसा दावा इस विश्लेषक ने किया। साथ ही इस सहयोग से ईरान की आर्थिक घेराबंदी खत्म हुई और सौदी का बाज़ार चीन के लिए खुल गया है, ऐसा इन विश्लेषकों का कहना है।

यह सभी गतिविधियां खाड़ी में अमरीका का प्रभाव खत्म करने के लिए और चीन को खाड़ी में पैर जमाने के लिए सहायक साबित होने की ओर विश्लेषक ने ध्यान आकर्षित किया है। इससे अब्राहम समझौते को भी खतरा बन सकता है, यह चेतावनी इस विश्लेषक ने दी। गौरतलब है कि, चीन की मध्यस्थता से हुआ सहयोग काफी धीमा विकसित होगा, यह दावा यूरेशिया ग्रूप नामक अभ्यास गुट के प्रमुख अयहम कामेल ने किया।
इसी बीच, ब्रिटेन के अन्य एक अभ्यास गुट ने सौदी-ईरान सहयोग आगे के समय में खत्म हो जाएगा, यह कहा है। लंदन स्थित ‘यूरोपियन

उंसिल ऑन फॉरेन रिलेशन्स’ नामक अभ्यास गुट के विश्लेषक सिंझीया बियांको ने सौदी-ईरान सहयोग से फिजूल उम्मीद ना रखे, यह कहा है। सौदी-ईरान सहयोग स्थापित करने के लिए समझौता हुआ हो, फिर भी यह जल्द ही खत्म हो सकता है, ऐसा बियांको का कहना हैं। अगले साल अमरीका के चुनाव में रिपब्लिकन राष्ट्राध्यक्ष चुना जाता है या इस्रायल ने ईरान में हमला किया तो सौदी-ईरान की ज्यादा अहमियत नहीं रहेगी, ऐसा इस अभ्यास गुट ने कहा है।

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