सौदी को पीछे छोड़कर रशिया दुनिया का सबसे बड़ा ईंधन निर्यातदार देश बना

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लंडन, दि. ११ (वृत्तसंस्था) – सन २०१५ में रशिया दुनिया का सबसे बड़ा ईंधन निर्यातदार देश बना होने की जानकारी, ‘बीपी’ इस अग्रसर ईंधनकंपनी ने प्रकाशित किये हुए नये रिपोर्ट में दी गयी है। रशिया ने अपने तेल उत्पादन का तक़रीबन ७५ प्रतिशत तेल निर्यात किया होकर, ३३.७ प्रतिशत प्राकृतिक ईंधनवायु की निर्यात की है। रशिया के ईंधन उत्पादन में भी सन २०१४ की तुलना में १.२ प्रतिशत बढ़ोतरी रिपोर्ट में दर्ज़ की गयी है।

पिछले साल रशिया ने पूरे २२.०५ करोड़ टन कच्चे तेल की निर्यात की होने की जानकारी ‘बीपी’ ने अपने – ‘रिव्ह्यू ऑफ़ वर्ल्ड एनर्जी २०१६’ इस रिपोर्ट में दी है। रशिया की कुल निर्यात में से कच्चे तेल का हिस्सा २३ प्रतिशत है।

रशिया ने कच्चे तेल के उत्पादन को भी बढ़ाया होकर, सन २०१५ में प्रतिदिन पूरे १.१ करोड़ बॅरल्स के उच्चांक को छू लिया होने की बात सामने आयी है। रशिया से निर्यात होनेवाले ईंधन में सबसे बड़ा हिस्सा युरोप का होकर, युरोप की ज़रूरत में से पूरे ३७ प्रतिशत ईंधन की आपूर्ति रशिया द्वारा की जाती है।

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हालाँकि पिछले साल रशिया ने ईंधन निर्यात में बढ़त ली थी, मग़र अब सन २०१६ में उसमें बदलाव आने के संकेत दिखायी दिये हैं। अब सौदी अरेबिया, ईरान एवं इराक़ इन तीनों आखाती देशों ने भी अपने कच्चे तेल के उत्पादन को तेज़ी से बढ़ाने की शुरुआत की है। ये देश युरोपीय देशों को भारी मात्रा में तेल निर्यात कर रहे हैं।

सूत्रों द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, ईरान युरोपीय देशों को हर रोज़ चार लाख बॅरल्स और सौदी अरेबिया आठ लाख बॅरल्स तेल निर्यात करते हैं। ईरान तथा सौदी की युरोप में हो रही आक्रामक निर्यात के कारण, रशिया की युरोपीय तेल निर्यात में घटोतरी शुरू हो गयी है। हाल ही में, सौदी अरेबिया ने युरोप को आपूर्ति की जानेवाले कच्चे तेल की क़ीमतें कम करने की घोषणा की थी। सौदी की यह घोषणा ईरान को झटका देने के लिए की गयी है, ऐसा हालाँकि बताया गया था; लेकिन रशिया को भी उसका नुक़सान सहन करना पड़ेगा, यह स्पष्ट हुआ है।

रशिया द्वारा हालाँकि तेल का उत्पादन लगातार बढ़ाया जा रहा है, मग़र फिर भी नज़दीकी भविष्य में निर्यात के लिए एशियाई देशों पर ध्यान केंद्रित करने की नीति रशिया बनायी है। रशिया ने चीन के साथ दीर्घकालीन समझौते किये होकर, भारत, जापान तथा अन्य एशियायी देशों के साथ भी उसकी चर्चाएँ शुरू हैं, ऐसा कहा जाता है।

दूसरी तरफ़ सौदी ने अपनी, ‘कच्चे तेल की निर्यात पर आधारित अर्थव्यवस्था’ इस प्रतिमा को मिटाने के लिए महत्त्वाकांक्षी योजना की घोषणा की है। इस योजना के अनुसार, तेल की निर्यात पर दिया जानेवाला ज़ोर कम करके, अन्य मार्गों से भी आय कमाने के लिए प्रयास किये जानेवाले हैं।

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