ब्रेक्जिट’ के बाद ईयू से स्वतंत्र युरोपीय सेना का प्रस्ताव

नाटो पर निर्भर नही रह सकते, ऐसा किया दावा

ब्रुसेल्स, दि.३०  (वृत्तसंस्था) – ब्रिटन द्वारा युरोपीय महासंघ (ईयू) से अलग होने के फैसले के बाद फिर से एक बार स्वतंत्र युरोपीय सेना की माँग जोर पकडने लगी है। ब्रुसेल्स में हुए शिखर बैठक में ‘ईयू’ की तरफ से पेश किये गये दस्तावेज में इस माँग का उल्लेख किया गया है। इसमें दावा किया गया है कि युरोपीय देश सुरक्षा के लिए केवल नाटो पर निर्भर नही रह सकते। महासंघ के पत्रक में कहा गया है कि सुरक्षा तथा रक्षा क्षेत्र में निवेश करना और रक्षा सहकार्य बढाने की आवश्यकता के साथ ही अलग सेना की भी जरुरत है।

 ईयू

‘ब्रेक्जिट’ के मसले पर वार्ता करने के लिए ब्रुसेल्स में युरोपीय महासंघ की विशेष बैठक आयोजित की गयी थी। इस बैठक में ‘युरोपीयन युनियन ग्लोबल स्ट्रॅटेजी’ नामक स्वतंत्र दस्तावेज पेश किया गया। इस दस्तावेज में युरोप की विदेश व्यवहार, सुरक्षा तथा रक्षा संबंधी नीतियों का दायरा बढाने का आवाहन किया गया है। इसके लिए सेना की माँग के साथ ही अनेक प्रस्ताव शामिल किये गये हैं।

दस्तावेज में दावा किया गया है कि अब ‘ईयू’ सुरक्षा के मसलों पर पूरी तरह नाटो पर निर्भर नही रहा जा सकता। युरोपीय महासंघ को आवश्यकता पडने पर स्वतंत्र तथा इकतरफ़ा कारवाई करने की क्षमता विकसित करने  की बात पर दस्तावेज में जोर दिया गया है। उसमें आगे कहा गया है कि ‘युरोपीय महासंघ को खुद की सुरक्षा की जिम्मेदारी उठानी पडेगी। उसके लिए, सभी प्रकार के बाहरी ख़तरों का प्रतिकार करने की तथा उन्हें ध्वस्त करने की क्षमता पानी होगी। नाटो अपने सदस्य देशों की रक्षा के लिए तैयार है। लेकिन युरोपीय देशों को, अधिक संगठित और प्रशिक्षित होते हुए रक्षा के मामले में सामूहिक प्रयासों की जरूरत पडेगी।’

सही महत्त्वाकांक्षा तथा सामरिक स्वायत्तता युरोप की सुरक्षा तथा शांति के लिए आवश्यक होने का जिक्र ‘युरोपियन युनियन ग्लोबल स्ट्रॅटेजी’ में किया गया है। इसमें दावा किया गया है कि युरोप की रक्षाविषयक क्षमता मजबूत हो गयी, तो उसका लाभ अमेरिका के साथ रहें संबंधों को भी मिलेगा। दस्तावेज में आवाहन किया गया है कि युरोपीय देश रक्षा क्षेत्र पर किया जानेवाला निवेश तथा व्यय में बढोतरी करे। युरोपीय महासंघ के विदेश विभाग की प्रमुख फेडरिका मॉघेरिनी द्वारा यह दस्तावेज पेश किया गया है। दस्तावेज में युरोप के सामने खडीं चुनौतियों की जानकारी भी दी गयी है। इनमें रशिया की आक्रामकता, युक्रेन का महासंघर्ष तथा खाडी देश और आफ्रिकी देशों में चल रहें घमासान का उल्लेख है।

पिछले चार-पाँच सालों से युरोपीय महासंघ से अलग सेना की स्थापना की माँग की जा रही है। पर ब्रिटन ने इस माँग को विरोध जताया था।  ब्रिटन का दावा था कि युरोप की अलग सेना का प्रस्ताव नाटो को कमजोर कर सकता है। लेकिन अब ब्रिटन युरोपीय महासंघ से अलग हो चुका होने के कारण, युरोप की अलग सेना बनाने की माँग को अंतिम रूप देने के प्रयास सफल हो सकते है। जर्मनी तथा फ्रान्स इन प्रमुख सदस्य देशों द्वारा अलग सेना की प्रस्ताव का समर्थन किया गया है।

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