‘आयएस’ को परास्त करने के बाद इराक़ के तीन टुकड़ें कीजिए

कुर्द नेता का मशवरा

iraq barzani

इरबिल, दि. १७ (वृत्तसंस्था) – “आयएस’ को परास्त करने के बाद भी इराक़ में वांशिक संघर्ष भड़क सकता है। उसे टालना हो, तो इराक़ के तीन टुकड़ें करनेपड़ेंगे। शिया, सुन्नी एवं कुर्दों के भागों में इराक़ का विभाजन कीजिए’ ऐसा मशवरा इराक़ के एक वरिष्ठ कुर्द नेता ने दिया है। इराक़ के संघर्ष में ‘आयएस’ की हार हो रही होने का दावा किया जाता है। इसलिए इराक़ सरकार ‘आयएस’ के बाद की ‘ब्ल्यूप्रिंट’ तैयार रखें, ऐसा आवाहन विश्लेषक कर रहे हैं। उस पार्श्वभूमि पर, इराक़ के विभाजन के बारे में इस कुर्द नेता द्वारा दिये गये मशवरे की ओर गंभीरता से देखा जा रहा है।

इराक़ के ‘कुर्दिस्तान रिजनल गव्हर्न्मेंट’ की सुरक्षा समिति के प्रमुख ‘मसरौर बरझानी’ ने एक वृत्तसंस्था को दिये हुए इंटरव्ह्यू के दौरान, इराक़ सरकार के सामने विभाजन का प्रस्ताव रखा। ‘इराक़ के सभी गुटों में ‘हैदर अल-अबादी’ सरकार के प्रति प्रचंड अविश्वास निर्माण हुआ है। इस कारण कोई भी गुट एक छत के तले ज़्यादा देर टिक नहीं सकता। अब या तो ‘एकसंघ इराक़’ या फिर ‘पूर्ण विभाजन’ ऐसे दो ही विकल्प शेष बचे हैं’ ऐसा बरझानी ने स्पष्ट किया। इराक़ के विभाजन का विकल्प सूचित करते हुए बरझानी ने उसके आगे की योजना भी प्रस्तुत की है।

इराक़ के पश्चिमी इलाक़े में और उत्तर के कुछ भाग में बहुसंख्या मेंरहनेवाले सुन्नीपंथियों को स्वतंत्र भूभाग दिया जाना चाहिए। वहीं, दक्षिण एवं पूर्व इराक़ का कब्ज़ा शियापंथियों के पास होना चाहिए। कुर्दों ने इससे पहले ही उत्तर की ओर अपनी खुद की स्वतंत्र सरकार तथा लष्कर की स्थापना की ही है। इसलिए ‘आयएस’ के ख़त्म होने के बाद इस प्रकार विभाजन किया जाना चाहिए’, ऐसी योजना बरझानी ने प्रस्तुत की। यह विभाजन न होकर इराक़ की समस्याओं का निराकरण साबित होगा। स्वतंत्र देशों की स्थापना हो जाने के बाद तीनों गुट अच्छे पड़ोसी बनकर राज करेंगे और आपस में सहयोग भी बढ़ायेंगे’ ऐसा दावा भी बरझानी ने इस समय किया। बरझानी द्वारा की गयी इस माँग के लिए इराक़ की विद्यमान स्थिति कारणीभूत है, ऐसा कहा जाता है।

पिछले कुछ दिनों से अमरीका के लड़ाक़ू विमान और इराक़ का लष्कर संयुक्त रूप में ‘आयएस’ के स्थानों पर हमलें कर रहे हैं। इनमें से ‘फ़लुजा’ प्रांत में की जा रही कार्रवाई को सफलता मिल रही होने का दावा इराक़ी लष्कर कर रहा है। पिछले डेढ़ साल से फ़लुजा को अपने कब्ज़े में रखनेवाले ‘आयएस’ को जल्द ही इस इलाक़े से खदेड़ दिया जायेगा, ऐसा विश्वास इराक़ी सरकार ने व्यक्त किया है। उसी के साथ ‘मोसुल’ यह एक और महत्त्वपूर्ण शहर भी ‘आयएस’मुक्त हो जायेगा, ऐसा दावा भी किया जा रहा है। लेकिन ‘इराक़ से ‘आयएस’ के आतंकियों को भगा भी दिया, तो भी इराक़ की समस्या हल नहीं होगी। ‘आयएस’ के बाद इराक़ के गुटों में रहनेवाली दरार और भी बढ़कर, नये एवं प्रदीर्घ संघर्ष की शुरुआत हो सकती है’ ऐसा इशारा विश्लेषक दे रहे हैं। इराक़ की ‘हैदर अल-अबादी’ सरकार भी फिलहाल आलोचना के बवंडर में फ़ँस गयी है। इराक़ के कुर्द एवं सुन्नी गुट अबादी सरकार को कुछ ख़ास अहमियत नहीं दे रहे होकर, ‘मुत्तदा अल-सद्र’ इस शियापंथिय नेता ने भी अबादी सरकार के विरोध में प्रदर्शन शुरू किये हैं। इस कारण, “आयएस’ के खिलाफ़ चल रहा संघर्ष ख़त्म होने पर इराक़ में पुन: अस्थिरता मच सकती है’ यह बरझानी द्वारा ज़ाहिर की गयी संभावना सच साबित होनेवाली है, ऐसे संकेत अभी
से ही मिलने लगे हैं।

अप्रैल महीने में अमरीका के उपराष्ट्राध्यक्ष जो बिडेन ने, विभाजन से इराक़ की समस्याएँ हल होंगी, ऐसा दावा किया था। वहीं, अमरीका का रक्षामुख्यालय ‘पेंटॅगॉन’ के अधिकारियों ने,इराक़ का विभाजन करने की सूचना बहुत पहले ही की थी। इराक़ की स्थिरता के लिए यह विभाजन आवश्यक है, ऐसा पेंटॅगॉन के अधिकारियों ने कहा था।

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