सायबरहमले का जवाब पारंपरिक युद्ध से दिया जायेगा- जेन्स स्टॉल्टनबर्ग

नाटोप्रमुख की चेतावनी

जेन्स स्टॉल्टनबर्ग

ब्रुसेल्स, दि. १६ (वृत्तसंस्था) – नाटो एवं सदस्य देशों पर यदि बड़ा सायबरहमला हुआ, तो उसका जवाब पारंपरिक युद्ध से दिया जायेगा, ऐसी चेतावनी नाटो के प्रमुख जेन्स स्टॉल्टनबर्ग ने दी। अगले महीने पोलंड में नाटो की वार्षिक बैठक होनेवाली होकर, उसमें सायबरक्षेत्र को ‘ऑपरेशन वॉरझोन’ का दर्जा देने के निर्णय की घोषणा की जानेवाली है। इस पार्श्वभूमि पर नाटो के प्रमुख ने दी हुई चेतावनी लक्षणीय साबित हुई है।

जर्मनी के ‘बिल्ड’ इस दैनिक से की हुई बातचीत के दौरान स्टॉल्टनबर्ग ने, नाटो की सायबरहमले के बारे में रहनेवाली भूमिका प्रस्तुत की। ‘नाटो सदस्य देशों पर यदि बहुत बड़ा सायबरहमला हुआ, तो उसे पारंपरिक हमले की तरह ‘नाटो पर का हमला’ माना जायेगा। हमला कितना बड़ा है, उसपर नाटो का प्रतिसाद निर्भर रहेगा’, इन शब्दों में नाटोप्रमुख ने सायबरहमले को क़रारा जवाब दिया जाने की चेतावनी दी।

nato-battalion‘नाटो को सायबरक्षेत्र में कई गंभीर तथा पेचींदे ख़तरों का सामना करना पड़नेवाला होकर, उसमें वृद्धि होने की संभावना है। इसी कारण नाटो सदस्य देश इस बात पर सहमत हो गये हैं कि सायबरहमलें भी पारंपरिक युद्ध में होनेवाले हमलों की तरह ही बड़े ख़तरनाक हैं’ ऐसी जानकारी नाटो के प्रमुख स्टॉल्टनबर्ग ने दी। अमरीका ने गत कुछ वर्षों में सायबरक्षेत्र में अधिक आक्रामक भूमिका अपनायी होकर, प्रति-सायबरहमलों की भी चेतावनी दी थी।

पिछले महीने ही, अमरीका के ‘सायबर कमांड’ को प्रत्यक्ष लड़ाई में सक्रिय रहनेवाले ‘मिलिटरी कमांड’ का दर्जा दिया जाये, ऐसी माँग सामने आयी थी। ‘सायबरक्षेत्र यह २१वीं सदी की युद्धभूमि है’ यह कहते हुए इस माँग का ज़ोरदार समर्थन किया गया था। अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष बराक ओबामा ने घोषित की हुई सायबरनीति, अतिरिक्त निधि का प्रावधान, सायबरहमला करनेवालों के विरोध में पाबंदियाँ लगाने के संदर्भ में दिये हुए आदेश, ‘आयएस’ के ख़िलाफ़ शुरू की हुई सायबरमुहिम, यह सबकुछ इसी का हिस्सा माना जाता है।

अमरीका के साथ ही रशिया, चीन एवं ईरान जैसे देशों ने भी सायबरक्षेत्र में संघर्ष की ज़ोरदार तैयारी की होने के रिपोर्ट भी प्रकाशित हुए हैं। युरोप में ब्रिटन के साथ कुछ चुनिंदा देश ‘सायबर आर्मी’ का निर्माण करने की तैयारी में होने की ख़बरें आयी हैं। इस पार्श्वभूमि पर नाटो के प्रमुख ने दी हुई चेतावनी यह, नाटो सायबरक्षेत्र में अधिक आक्रामक एवं सक्रिय भूमिका अपना रहा होने के स्पष्ट संकेत हैं।

इससे पहले नाटो के कुछ सदस्य देशों पर हुए सायबरहमलों में रशिया का हाथ होने के दावे किये गये थे। इस कारण, नाटो की ‘सायबरयुद्ध’ की नीति भी रशिया को मद्देनज़र रखकर ही तैयार की जायेगी, ऐसा माना जाता है। रशिया नाटो के सदस्य देशों पर हमले करेगा, ऐसा डर बार बार व्यक्त किया जा रहा है। इन हमलों में, सायबरहमलों का होनेवाला समावेश ध्यान में रखकर ही नाटो रशियाविरोधी नीति को अधिक ही तीव्र बना सकता है। पिछले कुछ सालों में नाटो, अपने सदस्य देशों को सायबरक्षेत्र में सुसज्जित रखने के लिए स्वतंत्र ‘सायबर वॉरफ़ेअर’ अभ्यासों का आयोजन भी कर रहा होने की बात सामने आयी है।

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