रशिया और ईरान के बीच २० सालों का ऊर्जा समझौता

लंदन – यूक्रेन में शुरू युद्ध की वजह से अमरीका और यूरोपिय देशों में ईंधन की कीमतें काफी उछल रही हैं और ऐसे में रशिया और ईरान ने २० साल ऊर्जा सहयोग करने के लिए समझौता किया है। साथ ही, ईरान में रशिया की सहायता से निर्माण हो रहे बुशहेर परमाणु प्रकल्प के दूसरें और तीसरें चरण के विस्तार पर भी दोनों देशों की चर्चा हुई। इसके अलावा, ईरान के पेट्रोकेमिकल उद्योग का निर्माण करने में रशिया अहम भूमिका निभाएगा, यह जानकारी भी सामने आ रही है। रशिया और ईरान का यह सहयोग यानी बायडेन प्रशासन को फ़टकार लगानेवाली बात है, ऐसी आलोचना माध्यमों में हो रही है।

पिछले हफ्ते रशिया के उप-प्रधानमंत्री अलेक्झांडर नोवैक ने ईरान की यात्रा की थी। राजधानी तेहरान में ईरान और रशिया के नेताओं की संयुक्त व्यापार और आर्थिक सहयोग के विषय पर बैठक हुई। इस दौरान ईरान ने रशिया के सामने बार्टर ट्रेड का प्रस्ताव रखा था। रशिया ने इसपर अपना निर्णय घोषित नहीं किया। लेकिन, रशियन उप-प्रधानमंत्री की इस ईरान यात्रा को लेकर अलग ही जानकारी सामने आ रही है।

रशिया ने ईरान के ऊर्जा, कृषि और वाहतूक प्रकल्पों के लिए पांच अरब डॉलर्स की निधि का ऐलान किया है। साल २०२५ तक दोनों देशों का व्यापार ४० अरब डॉलर्स तक बढ़ाने का निर्धार इस चर्चा में व्यक्त किया गया। इस वजह से रशिया और ईरान के बीच आर्थिक, बैंकिंग, ईंधन, गैस, पेट्रोकेमिकल्स और परमाणु ऊर्जा क्षेत्र का सहयोग बढ़ेगा, यह दावा एक ब्रिटीश अखबार ने किया। इसमें २० सालों के ऊर्जा सहयोग से संबंधित समझौते का भी समावेश है, ऐसा इस अखबार का कहना है।

इस साल के शुरू में ईरान के राष्ट्राध्यक्ष इब्राहिम रईसी रशिया के दौरे पर थे, तब इसपर चर्चा हुई थी। पिछले हफ्ते इसपर मुहर लगी। रशियन विदेशमंत्री सर्जेई लैव्हरोव्ह खाड़ी देशों की यात्रा पर होने के दौरान यह जानकारी सार्वजनिक हुई है। अमरीका के प्रतिबंधों में होनेवाले रशिया-ईरान इन देशों का यह सहयोग बायडेन प्रशासन के लिए फटकार साबित हो रही है, ऐसा दावा माध्यमों ने किया है।

कुछ घंटे पहले रशिया के विदेशमंत्री लैव्हरोव्ह ने खाड़ी देशों की यात्रा की। इस दौरान रशियन विदेशमंत्री खाड़ी देशों की ‘जीसीसी’ बैठक में शामिल हुए। साथ ही सौदी अरब, यूएई, बहरीन के विदेशमंत्री से भी उन्होंने स्वतंत्र चर्चा की। इससे पहले सौदी और यूएई ने अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन के साथ चर्चा करना टाल दिया था। ऐसी स्थिति में रशिया और खाड़ी देशों की हुई यह चर्चा बायडेन प्रशासन को बेचैन कर रही है।

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