रशिया-अफ्रीका बैठक – छह अफ्रीकी देशों को मुफ्त अनाज़ देने के लिए रशिया तैयार – अहम ऐलान करके रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने बाजी जीती

सेंट पीटर्सबर्ग – रशिया ‘ब्लैक सी डील’ से पीछे हटी हैं, फिर भी अफ्रीकी देशों पर इसका असर नहीं होगा। अफ्रीकी देशों को रशिया जल्द ही मुख्त अनाज़ प्रदान करेगी, ऐसा अहम ऐलान करके रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने ध्यान खिंचा हैं। साथ ही रशिया के भंड़ार में पर्याप्त अनाज़ हैं और यूक्रेन के अनाज़ की निर्यात के लिए रशिया एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है, ऐसा प्रस्ताव भी रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने दिया। इस वजह से ‘ब्लैक सी डील’ पुनर्जीवित हो नहीं सकता, यह स्पष्ट करके राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने यूक्रेन और पश्चिमी मित्र देशों की मुश्किलें अधिक बढ़ाई हैं। साथ ही मुफ्त अनाज़ प्रदान करने का ऐलान करके रशियन राष्ट्राध्यक्ष अफ्रीकी देशों का भरोसा जीतने में कामयाब हुए, यह दावा किया जा रहा है।

पिछले साल यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद तुर्की और संयुक्त राष्ट्र संघ ने रशिया और यूक्रेन के बीच मध्यस्थता की थी। इस वजह से बाधित हुई अनाज़ की आपूर्ति फिर से शुरू करने के लिए दोनों देशों के बीच ‘ब्लैक सी डील’ किया गया था। इसके अनुसार ब्लैक सी के समुद्री क्षेत्र से अनाज़ की यातायात करना तय हुआ था। लेकिन, हथियारों की शुरू तस्करी रोकने के लिए यूक्रेन से संबंधित जहाज़ों की तलाशी करने की मांग रशिया ने की थी। इस समझौते के तहत पिछले एक वर्ष के दौरान यूक्रेन से लगभग ३२ हज़ार टन अनाज़ की निर्यात होने का दावा किया जा रहा है। लेकिन, पश्चिमी देशों ने हमारी मांगे पुरी नहीं की हैं, यह आरोप लगाकर रशिया ने कुछ दिन पहले ही इस समझौते से पीछे हटने का निर्णय किया था।

‘ब्लैक सी डील’ से रशिया का पीछे हटना गैरज़िम्मेदाराना हरकत हैं और इससे अफ्रीकी देशों पर बड़ा संकट टूटेगा, ऐसी आलोचना संयुक्त राष्ट्र संघ ने की थी। रशिया इस समझौते में फिर से शामिल हो, यह आवाहन भी राष्ट्र संघ ने किया था। लेकिन, दोगली भूमिका अपना रहे पश्चिमी देशों के साथ समझौता करना मुमकीन ना होने का इशारा रशिया ने दिया था। वहीं, अफ्रीकी देशों को आवश्यक अनाज़ की आपूर्ति की जाएगी, यह भरोसा रशिया ने दिया था। ऐसी स्थिति में रशिया के सेंट पीटर्सबर्ग शहर में अफ्रीकी देशों के साथ हुई बैठक में रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने बड़े ऐलान किए।

ब्लैक सी डील पर निर्भर बुर्कीना फासो, जिम्बाब्वे, माली, सोमालिया, इरिट्रिया और सेंट्रल अफ्रीकन रिपब्लिक इन छह देशों के लिए रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने ५० हज़ार टन अनाज़ निर्यात करने का ऐलान किया। इसकी आपूर्ति मुफ्त और अगले तीन-चार महीनों में होगी, यह भी पुतिन ने स्पष्ट किया। इसके अलावा रशिया अतिरिक्त अनाज़ भी निर्यात कर सकती हैं, ऐसा राष्ट्राध्यक्ष पुतिन ने घोषित किया। यानी की यूक्रेन के समझौते के तहत जीतने अनाज़ की पूरे वर्ष में निर्यात हुई थी, उससे कई अधिक अनाज़ रशिया मात्र कुछ महीनों में ही निर्यात कर सकती हैं, ऐसे संकेत पुतिन ने दिए हैं। ऐसे में अफ्रीकी देशों को अनाज़ प्रदान करने के लिए पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों की परवाह नहीं होगी, यह ऐलान भी पुतिन ने किया।

इसी बीच रशिया के राष्ट्राध्यक्ष ने यह आवाहन किया है कि, अब बहुध्रूवीय वैश्विक व्यवस्था स्थापित करने की आवश्यकता हैं और इसमें अफ्रीकी देश अहम भूमिका निभा सकते हैं। राजनीतिक और वित्तीय मोर्चे पर अफ्रीकी देश विश्व का नया केंद्र बन रहे हैं। अफ्रीकी देशों का इतिहास और वर्तमान भी उपनिवेशवाद से प्रभावित हुआ हैं। आज भी अफ्रीका के कुछ देशों पर उपनिवेशवाद का प्रभाव है, ऐसी आलोचना पुतिन ने की। इससे बाहर निकलने के लिए रशिया अफ्रीकी देशों की सहायता करेगी, यह आश्वासन रशियन राष्ट्राध्यक्ष ने दिया।

इसी बीच, यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर अफ्रीकी देश रशिया का बहिष्कार करें, रशिया को दूर करें इस इरादे से अमरीका और मित्र देशों ने दबाव नीति का इस्तेमाल किया था। बायडेन प्रशासन ने अफ्रीकी देशों को परिणामों की धमकी भी दी थी। लेकिन, इसके बावजूद रशिया की बैठक में अफ्रीकी देशों के राष्ट्राध्यक्ष बड़ी संख्या में उपस्थित रहें और उनकी उपस्थिती पश्चिमी देशों को दहलाने वाली है और इससे रशिया को राजनीतिक लाभ प्राप्त होने का दावा किया जा रहा है।

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