रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ पर प्रतिबंध लगाने की तैयारी करने वाले ब्रिटेन से बदला लें – ईरान के चरमपंथियों की मांग

तेहरान/ब्रिटेन – ईरान ने ब्रिटीश नागरिक अलीरेज़ा अकबरी को फांसी देने के बाद ब्रिटेन ने ईरान की रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ को आतंकी संगठन घोषित करने की तैयारी की है। ब्रिटेन की इन गतिविधियों पर ईरान में गुस्सा व्यक्त किया जा रहा है। ईरान की सुरक्षा को खतरे में डालने वाले ब्रिटेन से प्रतिशोध लें, ईरान में मौजूद ब्रिटीश गुप्तचर यंत्रणा का नेटवर्क नष्ट करें, उनके एजेन्टस्‌‍ के नाम सार्वजनिक करें, ऐसी मांगें ईरान के प्रभावी चरमपंथी नेता ने की हैं।

ब्रिटेन से बदला‘इस्लामिक रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ कोर’ (आईआरजीसी) रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ ईरानी सेना का अंग है। फिर भी ईरान की सेना से भी अधिक अधिकार रखनेवाले संगठन के तौर पर रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ की पहचान है। साल १९७९ में ईरान में इस्लामिक क्रांति के बाद आयातुल्ला खोमेनी के नेतृत्व में रिवोल्युशनरी गार्डस का गठन हुआ था। इराक के साथ हुए युद्ध में रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ ने अहम जिम्मा उठाने के बाद इस संगठन के अधिकार बढ़ाए गए थे। आज रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ की स्वतंत्र नौसेना, वायुसेना भी है।

ईरानी सेना के कंधे पर सीमा और देश की अंदरुनि सुरक्षा का ज़िम्मा सौंपा गया है। वहीं, रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ पूरी तरह से ईरान के सर्वाधिकार रखनेवाले आयातुल्ला खामेनी के वफादार हैं। इसकी वजह से रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ संगठन ईरान की राजनीतिक व्यवस्था का रक्षक संगठन के तौर पर पहचाना जाता है। ईरान में विदेशी हस्तक्षेप या सैन्य विद्रोह होने के आसार दिखने पर इसके खिलाफ सीधे कार्रवाई करने के अधिकार रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ को बहाल हैं। रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ की कुदस्‌‍ फोर्सेस, बसिज मिलिशिया संगठन ने खाड़ी के अन्य देशों में सैन्य कार्रवाई को अंजाम देने की खबरें प्राप्त हुई हैं।

इसकी वजह से इस्रायल, सौदी अरब, बहरीन और अमरीका ने रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ को आतंकी संगठन घोषित किया है। इस्रायल के मित्रदेश ब्रिटेन ने अब तक रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ पर इस तरह से कार्रवाई नहीं की है। लेकिन, पिछले हफ्ते १४ जनवरी को ईरान ने पूर्व उप-रक्षा मंत्री अलीरेज़ा अकबरी को फांसी देने के बाद ब्रिटेन भी रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ को आतंकी संगठन घोषित करने की तैयारी कर रहा है। ब्रिटेन की संसद में ऐसी जोरदार मांग हुई है।

ईरान के पूर्व उप-रक्षा मंत्री अलीरेज़ा अकबरी ईरान के साथ ब्रिटेन की दोहरी नागरिकता रखते थे। इसी का लाभ उठाकर उन्होंने ईरान की सुरक्षा से जुड़ी जानकारी ब्रिटीश गुप्तचर यंत्रणा ‘एमआई-६’ को प्रदान की, यह आरोप लगाकर ईरान ने अलीरेज़ा को फांसी पर चढ़ाया था। इसके बाद चौकन्ना हुए ब्रिटेन ने दोहरी नागरिकता रखनेवालों के लिए ईरान सुरक्षित ना होने की चेतावनी जारी की है। ब्रिटीश संसद में यह मांग होने के बाद यूरोपिय महासंघ की संसद में भी १०० सदस्यों ने रिवोल्युशनरी गार्डस्‌‍ पर प्रतिबंध लगाने की मांग करने की जानकारी ब्रिटेन के अखबार ने प्रदान की।

ईरान के सर्वोच्च नेता आयातुल्ला खामेनी से मित्रता रखनेवाले धार्मिक नेता हुसेन शरियतमदारी ने यूरोप की इन गतिविधियों पर गुस्सा व्यक्त करके ब्रिटेन का प्रतिशोध लेने की मांग की। ‘कयान’ नामक अपने अखबार में शरितमदारी ने ब्रिटेन को सबक सिखाने के लिए इस देश की गुप्तचर यंत्रणा की पोल खोलने की मांग की। ब्रिटीश गुप्तचर यंत्रणा का ईरान में मौजूद नेटवर्क, इसके एजेन्टस्‌ समेत इन सभी के नाम ईरान सार्वजनिक करे, ब्रिटेन के साथ ही इस्रायली गुप्तचर यंत्रणा मोसाद पर भी ऐसी ही कार्रवाई करने की मांग शरियतमदारी ने की है।

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