यूक्रेन के सैन्य अभियान के लिए रशिया ने अफ़गान कमांडोज्‌ किए भरती – अमरिकी माध्यमों का दावा

मास्को/काबुल – यूक्रेन के सैन्य अभियान के लिए रशिया किसी समय ‘अफ़गानिस्तान नैशनल आर्मी’ का हिस्सा होनेवाले अफ़गान कमांडोज्‌ की भरती कर रही हैं, ऐसा दावा अमरिकी माध्यमों ने किया हैं। रशिया की निजी सैन्य कान्ट्रैक्टर ‘वैग्नर ग्रुप’ से ज़रिये यह प्रक्रिया की जा रही है, ऐसा माध्यमों ने कहा हैं। अमरिकी जर्नल ‘फॉरेन पॉलिसी’ एवं ‘असोसिएटेड प्रेस’ इन वृत्तसंस्थाओं ने इससे संबंधित वृत्त जारी किया।

सैन्य अभियानरशिया-यूक्रेन युद्ध मे रशियन सेना को बड़ी मात्रा में जान का नुकसान उठाना पड़ा, ऐसें दावे यूक्रेन समेत पश्‍चिमी देश कर रहे थे। इस नुकसान के कारण रशिया ने पिछले महीनें सेना में भरती प्रक्रिया शुरू की और साथ ही चेचेन दल और वैग्नर ग्रूप’ का इस्तेमाल बढ़ाया हैं, यह भी कहा जा रहा हैं। कुछ दिन पहले रशिया ने सीरिया और अन्य देशों में तैनात सैन्य दलों से कुछ दल वापस बुलाने की बात सामने आयी थी। इस पृष्ठभूमि पर अफ़गान कमांडोज्‌ की भरती का दावा ध्यानआकर्षित कर रहा है।

सैन्य अभियानपिछले साल तालिबान ने अफ़गानिस्तान पर कब्ज़ा पाने के बाद हज़ारों अफ़गान सैनिक बेरोज़गार हुए हैं। अमरीका, ब्रिटेन के साथ अन्य पश्‍चिमी देशों ने प्रशिक्षित किए इन सैनिकों को आश्रय देने से संबंधित देशों ने नकारा था। साथ ही तालिबान के साथ बातचीत करते समय इन सैनिकों की सुरक्षा को भी अनदेखा किया गया। तालिबान की हुकूमत स्थापित होने केबाद तालिबानी दलों ने अफ़गान सैनिक और उनके परिवार को लक्ष्य करना शुरू किया। इस वजह से सैकड़ों सैनिकों ने ईरान के साथ अन्य मध्य एशियाई देशों में आश्रय लिया। लेकिन, उनके पास पैसें और परिवार की सुरक्षा की गारंटी यह दोनों ना होने से सैकड़ों सैनिक बेबस होने की बात कही जा रही है।

इस पृष्ठभूमि पर रशिया के ‘वैग्नर ग्रुप’ ने प्रति महीनें डेढ़ हज़ार डॉलर्स, रशियन नागरिकता औड़ परिवार की सुरक्षा की गारंटी का प्रस्ताव अफ़गान कमांडोज्‌ के सामने रखने की बात स्पष्ट हुई है। ईरान में आश्रय लेनेवाले लगभग चार सौ अफ़गान कमांडोज्‌ ने यह प्रस्ताव स्वीकार किया है और इनमें से कुछ रशिया रवाना भी हुए हैं। रशिया में रहनेवाले एक अफ़गान अधिकारी ने इसके लिए कोशिश की, यह बताया गया। अफ़गान सेना के पूर्व अधिकारी ने इसकी पुष्टी की हैं। तालिबानी हुकूमत स्थापित होने के बाद दूसरें देश में आश्रय लेनेवाले एवं अफ़गानिस्तान में छुपकर दिन बिता रहें कमांडोज्‌ की संख्या लगभग १० से २० हज़ार हैं। इनमें से हज़ार से भी अधिक कमांडोज्‌ से संपर्क करके यह प्रस्ताव दिया गया, ऐसा अमरिकी माध्यमों ने कहा हैं।

रशियन रक्षा मंत्रालय ने इसपर बयान करने के इन्कार किया। इस बीच ‘वैग्नर ग्रुप’ ने यह वृत्त गुमराह करनेवाला होने का इशारा दिया।

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