ईंधन आपूर्ति के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए ब्रिटेन के प्रधानमंत्री जॉन्सन सौदी अरब का दौरा करेंगे

britain-saudi-fuel-2लंदन/मास्को – रशिया-यूक्रैन युद्ध की वजह से ईंधन की कीमतों में आए उछाल ने सबसे ज्यादा नुकसान यूरोपिय देशों को पहुँचने की बात सामने आ रही है। इस पृष्ठभूमि पर ईंधन उत्पादन क्षेत्र के प्रमुख खाड़ी क्षेत्र देश ईंधन की आपूर्ति बढ़ाएँ, इसके लिए यूरोपिय देशों ने जोरदार राजनीतिक गतिविधियाँ शुरू की हैं। इसी के एक हिस्से के तौर पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन अगले कुछ दिनों में सौदी अरब का दौरा करेंगे, यह दावा ब्रिटीश अखबार ने किया है। इससे पहले अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन ने सौदी समेत ‘ओपेक’ सदस्य देशों को ईंधन उत्पादन बढ़ाने का आवाहन किया था। लेकिन, ‘ओपेक’ ने यह आवाहन नहीं माना था।

britain-saudi-fuel-3रशिया ने यूक्रैन पर की हुई सैन्य कार्रवाई एवं पश्‍चिमी देशों ने रशिया पर लगाए सख्त प्रतिबंधों की वजह से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल एवं ईंधन वायु की कीमतों में भारी उछाल आया है। इस दौरान कच्चे तेल की कीमत प्रति बैरल १०० डॉलर्स से अधिक हुई है और ईंधन वायु की कीमत भी प्रति हज़ार घनमीटर के लिए २ हज़ार डॉलर्स तक जा पहुँची है। यह युद्ध अधिक लंबा चला तो तेल और ईंधन वायु की कीमत नए विक्रमी स्तर पर जा पहुँचेंगे, यह अनुमान जताया गया है। इस पृष्ठभूमि पर यूरोपिय देशों के पैरों तले धरती फिसल रही है और ईंधन के लिए राजनीतिक गतिविधियों को गति मिली है।

britain-saudi-fuel-1प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन का संभावित सौदी दौरा भी इसी का हिस्सा बताया जा रहा है। प्रधानमंत्री जॉन्सन अपने इस दौरे में सौदी अरब के क्राऊन प्रिन्स मोहम्मद बिन सलमान से चर्चा करके ईंधन की आपूर्ति बढ़ाने का आवाहन करेंगे, यह दावा ब्रिटीश माध्यमों ने किया है। ब्रिटेन के स्वास्थ्यमंत्री साजिद जाविद ने प्रधानमंत्री के दौरे की पुष्टी नहीं की है, लेकिन, सौदी अरब के साथ चर्चा करने के दावों का समर्थन किया है। ‘सौदी अरब विश्‍व में शीर्ष स्थान का ईंधन उत्पादक देश है। मौजूदा ईंधन समस्या की पृष्ठभूमि पर इस बात को अनदेखा करना मुनासिब नहीं होगा। सभी देशों को साथ मिलकर समस्या का हल निकालने की जरुरत है’, ऐसा जाविद ने कहा।

britain-saudi-fuel-4अमरीका और यूरोप खाड़ी के देशों से चर्चा करने की गतिविधियाँ कर रहे हैं और तभी रशिया खाड़ी एवं अफ्रीका के माध्यम से नाटो के प्रभाव को खतरा निर्माण कर रही है, यह दावा विश्‍लेषक एवं पूर्व सैन्य अधिकारी ने किया। ‘रशिया नीचे की ओर से नाटो को खतरा निर्माण करने की गतिविधियाँ कर रही है। नाटो ने हमें घेर रखा है, यह भावना रशिया में बनी है। इसके जवाब में वह नाटो को घेरने की कोशिश कर रही है, यह दावा यूरोपियन विश्‍लेषक क्रिस्तिना कॉख ने किया।

‘पिछले पांच से छह सालों में रशिया अपने सैन्य सामर्थ्य को अधिक व्यापक क्षेत्र तक पहुँचाने की कोशिश करती दिख रही है। हम अभी भी विश्‍व की प्रमुख सत्ता हैं और वैश्विक समस्याओं पर हमारी भूमिका की अहमियत है, यह दर्शाने के लिए रशिया गतिविधियाँ कर रही है’, इस ओर नाटो के पूर्व सैन्यदल प्रमुख जनरल फिलिप ब्रीजलव ने ध्यान आकर्षित किया। रशिया ने पिछले कुछ सालों में माली, सुड़ान, सीरिया, अल्जिरिया, सेंट्रल अफ्रीकी रिपब्लिक जैसे देशों के साथ सैन्य सहयोग बढ़ाया है, इसका अहसास भी विश्‍लेषक दिला रहे हैं।

पिछले महीने जर्मनी की विदेशमंत्री ऐनालेना बेअरबॉक ने अफ्रीका में पश्‍चिमी देशों के प्रभाव को प्राप्त हो रही चुनौतियाँ नजरअंदाज करने योग्य नहीं हैं, यह इशारा भी दिया था। फ्रान्स और यूरोपिय महासंघ ने अफ्रीका में रशिया के कान्ट्रैक्ट सैनिकों की बढ़ती गतिविधियों पर चिंता जताई थी। तथा सीरिया, ईरान जैसे देशों के साथ ही ओपेक सदस्य देशों के साथ रशिया का बढ़ता सहयोग भी चिंता का विषय है, इस पर विश्‍लेषकों ने चिंता जताई है।

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