पश्‍चिम अफ्रिका में भुखमरी संकट की तीव्रता बढ़ी – ‘ऑक्सफैम’ समेत स्वयंसेवी संगठनों का इशारा

africa-famine-crisis-2लंदन/जिनेवा – पश्‍चिम अफ्रिका में भुखमरी का संकट अधिक तीव्र हुआ है और ढ़ाई करोड़ से अधिक लोग कुपोषण की समस्या का सामना करने के लिए मज़बूर होने का गंभीर इशारा ‘ऑक्सफैम’ एवं अन्य स्वयंसेवी संगठनों ने दिया| आवश्यक सहायता उचित समय पर नहीं मिली तो अगले तीन महीनों में भूखमरी के संकट से घिरे लोगों की संख्या में एक करोड़ से अधिक का इज़ाफा होगा, यह चिंता इन स्वयंसेवी संगठनों ने व्यक्त की है| यह अफ्रीका का पिछले दशक से उभरा सबसे बड़ा मानवीय संकट होने का बयान इन संगठनों ने किया है|

africa-famine-crisis-1पश्‍चिम अफ्रीका में माली, नायजर, बुर्किना फासो, आयवरी कोस्ट समेत १६ देशों का समावेश है| इनमें से साहेल रीजन के तौर पर जाने जा रहे देशों में सूखा और फिर अनाज़ की किल्लत की समस्याएं भीषण हुई हैं| साल २०१५ से इस क्षेत्र के देशों में अनाज की किल्लत और भुखमरी की समस्या से घिरे लोगों की संख्या काफी बढ़ रही है| साल २०१५ में पश्‍चिम अफ्रीका के ७० लाख लोगों को अनाज की सहायता की ज़रूरत थी| अब यही संख्या लगभग चार गुनी बढ़ी है और २.७ करोड़ नागरिकों को शीघ्रता से अनाज़ की आपूर्ति की जरुरत है, ऐसा ‘ऑक्सफैम’ एवं अन्य संगठनों की रपट में इशारा दिया गया है|

africa-famine-crisis-3कोरोना की महामारी के साथ ही सूखा, बाढ़ एवं अंदरुनि संघर्ष की वजह से लाखों अफ्रीकी लोग विस्थापित होने के कगार पर हैं| खेत ना रहने से अनाज के साथ ही इन सबने आय का साधन भी खोया है| इस वजह से यह लाखों लोग टूट गिरने की कगार पर होने की बात पर इस रपट ने ध्यान आकर्षित किया| ‘साहेल क्षेत्र के करोड़ों नागरिकों को शीघ्रता से अनाज़ की आपूर्ति की ज़रूरत है| ऐसा नहीं हुआ तो उनका जीवन एवं भविष्य दोनों के लिए खतरा निर्माण होगा’, यह ड़र ‘सेव द चिल्ड्रेन’ के संचालक फिलिप ऐडापो ने व्यक्त किया| 

साहेल क्षेत्र में लगभग ५० लाख बच्चे कुपोषित हैं और इस साल में इनकी संख्या ६० लाख से अधिक हो सकती है, इस पर भी वर्णित रपट में ध्यान आकर्षित किया गया है| पिछले साल में अफ्रीका में अनाज़ की कीमतें २० से ३० प्रतिशत बढ़ी हैं| इससे अ़फ्रीकी देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर काफी तनाव पड़ा है और अनाज़ के आरक्षित भंड़ार भी लगभग खत्म हो चुके हैं| इसी बीच रशिया-यूक्रैन युद्ध से बड़ा नुकसान होने के संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं| साहेल के छह देश अनाज के लिए रशिया और यूक्रैन से आयात पर निर्भर हैं| यह आयात बंद होने से इन देशों की समस्या अधिक तीव्र होगी, इसका अहसास स्वयंसेवी संस्थाओं ने कराया|

ऐसी स्थिति में अधिक सहायता की आवश्यकता के दौरान यूरोपिय देशों ने अफ्रीकी देशों की आर्थिक सहायता कम कर दी है| यह बात अफ्रीकी देशों के सामने खड़े संकट का दायरे खतरनाक मात्रा में बढ़ा रहा है, ऐसा विश्‍लेषक कह रहे हैं| 

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