रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर ब्रिटेन में महंगाई का विक्रमी उछाल – ‘जी ७’ देशों का उच्चांक

लंदन – रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर ब्रिटेन में महंगाई ने विक्रमी उछाल लिया है। मई में ब्रिटेन का महंगाई निर्देशांक ९.१ प्रतिशत दर्ज़ हुआ। यह मार्च १९८२ के बाद हुई सबसे बड़ी बढ़ोतरी है। इस नए उछाल के कारण ‘जी ७’ गुटों के देशों में सबसे अधिक महंगाई निर्देशांक दर्ज़ करनेवाले देश के तौर पर ब्रिटेन सामने आया है। ब्रिटेन में महंगाई ११ प्रतिशत तक बढ़ सकती है, ऐसा अनुमान विश्‍लेषक एवं विशेषज्ञों ने व्यक्त किया है और ब्रिटीश जनता को एक ही समय पर ‘कॉस्ट ऑफ लिविंग क्राइसिस’ और मंदी का सामान करना होगा, यह इशारा भी दिया गया है।

रशियन अर्थव्यवस्था को लक्ष्य करके यूक्रेन पर हमला करनेवाले रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन को सबक सिखाने की चेतावनी अमरीका और ब्रिटेन के नेतृत्व ने दी थी। लेकिन, असल में पश्‍चिमी देशों ने रशिया पर लगाए प्रतिबंध ‘बूमरैंग’ होकर उन्हीं को नुकसान पहुँचाते हुए दिख रहे हैं। रशिया पर प्रतिबंध लगानेवाले अधिकांश प्रमुख देशों में महंगाई का विस्फोट हुआ है। यह स्थिति अगले कुछ महीनों तक बनी रहने के संकेत भी दिए गए हैं और इससे मंदी शुरू हो सकती है, ऐसे दावे भी किए जा रहे हैं।

ब्रिटेन में महंगाई निर्देशांक ९.१ प्रतिशत दर्ज़ होना पिछले ४० सालों का उच्चांक बना है। ब्रिटेन में अनाज़, धान, फल, ईंधन के साथ अधिकांश जीवन आवश्‍यक सामान की कीमतों में बड़ी बढ़ोतरी हुई है। अनाज़ धान और फलों की कीमतें ८.७ प्रतिशत महंगी हुई हैं। बिजली के बिलों में २० प्रतिशत बढ़ोतरी होने की शिकायतें जनता कर रही है। ब्रिटेन में ईंधन की कीमतें भी उच्चांकी स्तर पर पहुँची हैं और इसका असर सभी क्षेत्रों पर होता दिख रहा है।

सरकार महंगाई को रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठा रही है, ऐसी नाराज़गी तीव्र हो रही है, ऐसा दावा माध्यम कर रहे हैं। महंगाई को रोकने के लिए सेंट्रल बैंक ने ब्याजदर बढ़ाने का उपाय किया है, फिर भी इससे महंगाई पर अंकुश नहीं लगा है। बल्कि, आनेवाले समय में महंगाई अधिक तीव्र होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। ब्रिटेन कर रहे ईंधन और ऊर्जा का आयात एवं यूरोपिय महासंघ के साथ जारी तनाव की वजह से देश को आर्थिक स्तर पर बड़े संकट का सामना करना पड़ेगा, ऐसा दावा विश्‍लेषक कर रहे हैं।

ब्रिटेन में बढ़ी विक्रमी महंगाई का असर ब्रिटेन के साथ यूरोपिय शेअर बाज़ारों पर भी दिखाई दिया। बुधवार को ब्रिटेन के ‘एफटीएसई १००’ के साथ कई निदेशांकों की डेढ़ से दो प्रतिशत गिरावट आई।

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