ईंधन के दामों में गिरावट जारी – १७ वर्ष के सबसे नीचले स्तर पर जा पहुंचे

तृतीय महायुद्ध, परमाणु सज्ज, रशिया, ब्रिटन, प्रत्युत्तरन्यूयॉर्क: अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रुड के दामों में गिरावट जारी है और इस दौरान क्रुड का दाम प्रति बैरल २७ डॉलर्स हुआ है। वर्ष २००३ के निम्नतम स्तर तक ईंधन के दाम गिरने से ईंधन उत्पादक देशों का काफी बडा नुकसान हो रहा है। कोरोना व्हायरस के कारण जागतिक अर्थकारण ठंडा हो रहा है औरअगले दिनों में ईंधन की मांग बढने की संभावना नही है। इस वजह से वर्ष २०२० में ईंधन उत्पादक देशों को क्रुड के बिक्री से प्राप्त होनेवाले महसूल में करीबन ८५ प्रतिशत की गिरावट होगी, यह इशारा ओपेक के महासचिव मोहम्मद बारकिंडो ने दिया है।

ईंधन की मांग में काफी मात्रा में गिरावट हुई है। कोरोना व्हायरस की महामारी के कारण दुनियाभर में आर्थिक व्यवहार कम हुए है और काफी जगहं पर लोगों को इस महामारी से बचने के लिए घर में ही रहने की सूचना की जा रही है। इससे ईंधन क्षेत्र का काफी नुकसान हो रहा है और ईंधन उत्पादक देश काफी परेशान हुए है। ऐसे में ईंधन उत्पादक देशों की ओपेक संगठन और रशिया के बीच कडे मतभेद होने की बात सामने आ रही है। मांग में गिरावट हो रही है, ऐसे में ईंधन उत्पाद कम करने का प्रस्ताव ओपेक का नेतृत्व कर रहे सौदी अरब समेत अन्य देशों ने रखा था। पर, रशिया ने इसे ठुकराया। इसके बाद सौदी ने भी ईंधन उत्पाद कम किए बिना आक्रामक रवैया अपनाया दिख रहा है। इस से ईंधन उत्पादक देशों के बीच की स्पर्धा तीव्र होती दिख रही है।

कुछ वर्ष पहले रशिया ने सौदी के सामने ऐसी ही मांग रखकर ईंधन के दाम गिरें थे तब उत्पाद कम करने का प्रस्ताव रखा था। उस समय सौदी ने वह प्रस्ताव ठुकराया था। अब रशिया ने सौदी और ओपेक का प्रस्ताव ठुकराकर जवाब दिया है, यही संकेत प्राप्त हो रहे है। ईंधन की मांग ऐसे ही कम होती रही तो वर्ष २०२० में ईंधन और नैसर्गिक वायु की बिक्री से प्राप्त हो रहे महसूल में ५० से ८५ प्रतिशत गिरावट होगी, यह दावा ओपेक और इंटरनैशनल एनर्जी एजन्सी ने किया है।

ईंधन के उत्पाद पर निर्भर अर्थव्यवस्था के देशों के लिए यह काफी बडा झटका साबित हो सकता है। इन ईंधन उत्पादक देशों की स्थिति पहले ही काफी खराब हुई है और ऐसे में ईंधन के दामों में और गिरावट हुई तो इसके काफी बडे गंभीर परीणाम इन देशों की अर्थव्यवस्था को भुगतने होंगे। साथ ही इन देशों की आर्थिक गिरावट का असर अंतरराष्ट्रीय अर्थकारण पर होगा और इससे जागतिक अर्थव्यवस्था को भी बडा झटका लग सकता है। पीछले कुछ महीनों से विश्‍लेषक लगातार ईंधन उत्पादक देशों को खतरें का एहसास करा रहे है। साथ ही ईंधन पर निर्भर अर्थव्यवस्था के देश भी अन्य आर्थिक स्रोत अधिक गंभीरता से देखते दिखाई दे रहै है।

नामांकित वित्तसंस्था गोल्डमन सैक्सने अगले दिनों में अमरिकी क्रुड का दाम प्रति बैरल २० डॉलर्स तक नीचे आने की संभावना जताई है। अमरिका ने ईंधन खा खनन बढाकर निर्यात शुरू की है। भारत एवं यूरोपिय देशों को अमरिका ईंधन प्रदान कर रही है। साथ ही इस बाजार पर अमरिका ने ध्यान केंद्रीत किया है, यह भी पीछले कुछ महीनों से स्पष्ट हुआ है। इस पृष्ठभूमि पर गोल्डमन सैक्स ने जताई संभावना ध्यान आकर्षित कर रही है।

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