‘ग्लोबल साउथ’ को स्वायत्तता और विश्व में अहम स्थान मिलना चाहिए – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

नई दिल्ली – ‘ग्लोबल साउथ’ को अधिक स्वायत्तता और विश्व के कारोबार में अहम स्थान मिले, ऐसी मांग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उठायी। वर्चुअल माध्यम से आयोजित दूसरे ‘ग्लोबल साउथ’ परिषद से यह संदेश पूरे विश्व में पहुंचाया जा रहा है, ऐसा बयान प्रधानमंत्री मोदी ने किया। साथ ही भारत में आयोजित ‘जी २०’ परिषद में ग्लोबल साउथ की आवाज़ प्रभावी ढ़ंग से उठाने का भारत को अभिमान होने की बात भी प्रधानमंत्री मोदी ने कही है।

एशिया, अफ्रीका और लैटिन अमेरिकी महाद्वीप के करीबन १३० देश दूसरे ‘ग्लोबल साउथ’ परिषद के लिए उपस्थित थे। इस अवसर पर बोलते समय प्रधानमंत्री ने स्वायत्तता और विश्व के कारोबार में अहम स्थान प्राप्त हो, इसके लिए ग्लोबल साउथ के देश एकमुख से आवाज़ उठाएं, ऐसा आवाहन प्रधानमंत्री ने किया। ‘ग्लोबल साउथ’ को स्वायत्तता और विश्व में अहम स्थान मिलना चाहिए - प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदीइसके साथ ही प्रधानमंत्री ने इस दौरान ‘फाईव्ह सी’ का ज़िक्र करके कन्सल्टेशन, को-ऑपरेशन कम्युनिकेशन, क्रिएटिव्हीटी और कॅपॅसिटी बिल्डिंग की अहमियत रेखांकित की।

प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल विश्व के उत्तर और दक्षिणी देशों के बीच दरार बढ़ाने के लिए नहीं होना चाहिये। इसके लिए आर्टिफिशल इंटेलिजेन्स जैसी तकनीक का इस्तेमाल काफी ज़िम्मेदारी से करना होगा, ऐसा इशारा प्रधानमंत्री मोदी ने इस दौरान दिया। इशके लिए ग्लोबल साउथ के देशों के बीच डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश करने की आवश्यकता है, यह कहकर इसके लिए भारत पहल कर रहा है इसका अहसास प्रधानमंत्री मोदी ने कराया।

ग्लोबल साउथ अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में अहम स्थान हासिल न करे, इस मंशा से कुछ देश यकीनन विरोध करेंगे, ऐसा इशारा भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने इस दौरान दिया। बिना किसीका स्पष्ट ज़िक्र किए बिना विदेश मंत्री जयशंकर ने यह भी अहसास कराया कि, बड़े देश ग्लोबल साउथ को आसानी से अधिकार प्राप्त करने नहीं देंगे। हर देश की प्रगति और विकास ही भारत का ध्येय हैं। लेकिन, फिलहाल विश्व पर नियंत्रण रखने वाले बड़े देश इस ध्येय के खिलाफ जा सकते हैं, ऐसे संकेत भी विदेश मंत्री ने इस दौरान दिए।

इसी बीच, ग्लोबल साउथ का नेतृत्व करने की तैयारी में भारत हैं और भारत ने इसके लिए किए पहल के कारण पश्चिमी देश बेचैन होते दिख रहे हैं। चीन को भी ल साउथ का नेतृत्व करने की महत्वाकांक्षा हैं। इस वजह से ग्लोबल साउथ के देशों से भारत को प्राप्त हो रहे रिस्पान्स की वजह से चीन भी बेचैन होता दिख रहा हैं।

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