सर्बिया के चुनाव में राष्ट्राध्यक्ष वुकिक की पार्टी को बहुमत

बेलग्रेड – सर्बिया में संसद और लोकल कौन्सिल के चुनावों में राष्ट्राध्यक्ष अलेक्झांडर वुकिक की पार्टी को बहुमत हासिल हुआ है। राष्ट्राध्यक्ष वुकिक रशिया के करीबी नेता जाने जाते हैं। मई महीने में सर्बिया की राजधानी में हुई मास शुटिंग की घटना के बाद वुकिक की सरकार के विरोध में बड़ा प्रदर्शन किया गया था। अमेरिका और यूरोपिय महासंघ ने भी सर्बिया की सरकार को चेतावनी देते हुए रशिया के साथ मित्रता के संबंध न रखने को कहा था। लेकिन, राष्ट्राध्यक्ष वुकिक ने इसे ठुकराकर देश में ‘कलर रिवोल्युशन’ करने की कोशिश होने का आरोप बड़ी आक्रामकता से लगाया था।

रविवार को सर्बिया की संसद की २५० सीटों के साथ पूरे देश में लोकल कौन्सिल की सीटों के लिए वोटींग हुई। इसके बाद रात में शुरू हुई वोटों की गिनती के नतीजे सामने आने लगे। इसके अनुसार राष्ट्राध्यक्ष वुकिक सहित उनकी ‘सर्बियन प्रोग्रेसिव पार्टी’ को ४७ वोटों के साथ १२८ सीटों पर बढ़त प्राप्त होने की बात कही जा रही है। इस दौरान प्रमुख विपक्ष ‘एसपीएन’ पार्टी को २३ प्रतिशत वोटों के साथ ६५ सीटों पर जीत हासिल होने की जानकारी सामने आयी है। राजधानी बेलग्रेड में कौन्सिल और मेयर की सीट पर भी वुकिक की ‘सर्बियन प्रोग्रेसिव पार्टी’ ने जीत हासिल करने की जानकारी स्थानीय माध्यमों ने प्रदान की।

सर्बिया के चुनाव में राष्ट्राध्यक्ष वुकिक की पार्टी को बहुमतचुनावी नतीजों का रूख स्पष्ट होने के बाद विपक्ष ने मतदान और गिनती में धांधली होने का आरोप लगाया है। इस मुद्दे को लेकर सरकारी पार्टी से सवाल करने के लिए सोमवार शाम बड़े प्रदर्शन करने का आवाहन किया गया। इस वजह से आगे के समय में सर्बिया का विपक्षी दल इन प्रदर्शनों के ज़रिये वुकिक को अस्थिर करने की कोशिश करेंगे, ऐसे संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

युगोस्लाविया का विभाजन होने के बाद निर्माण हुए देशों में सर्बिया, माँटेनेग्रो, बोस्निया-हर्झ्ोगोविना, नॉर्थ मॅसिडोनिया और कोसोवो का समावेश हैं। सर्बिया से अलग होकर निकले कोसोवो प्रांत को अभी सभी देशों ने स्वतंत्र देश के तौर पर मंजूरी प्रदान नहीं की है। इसी मुद्दे पर अमेरिका सहित पश्चिमी देश सर्बिया पर लगातार दबाव बना रहे हैं। रशिया-यूक्रेन युद्ध की पृष्ठभूमि पर यह दबाव अधिक बढ़ाया गया है। इसका ज़िक्र करते हुए सर्बिया के राष्ट्राध्यक्ष वुकिक ने कुछ महीने पहले कलर रिवोल्युशन करने की हुई कोशिश का ज़िक्र किया था।

अमेरिका ने पिछले कुछ दशकों में यूरोप में खास तौर पर रशियन संघ राज्य (सोवियत रशिया) से अलग हुए देशों में हुकूमत का तख्तापलट करने के लिए बड़ी कोशिशें शुरू की थी। विपक्ष एवं छात्र और युवकों के संगठन और स्वयंसेवी गुटों के माध्यम से विभिन्न तरह से प्रदर्शन शुरू किए गए। झेकोस्लोवाकिया, युगोस्लाविया, यूक्रेन, जॉर्जिया, आर्मेनिया, किरगिझिस्तान जैसे देशों में हुकूमत के खिलाफ प्रदर्शन शुरू करके तख्तापलट करवाया गया। यह प्रदर्शन ‘कलर रिवोल्युशन’ के नाम से जाने जाते हैं। इसके पीछे अमेरिकी प्रशासन एवं गुप्तचर यंत्रणाओं का हाथ होने की जानकारी माध्यमों से स्पष्ट हुई हैं। अमेरिका के कुछ पूर्व अधिकारी और नेताओं ने भी इसकी कबुली दी थी।

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