प्रधानमंत्री मोदी का ऑस्ट्रेलिया में हुआ जोरदार स्वागत

सिडनी/पोर्ट मोरेस्बी – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ऑस्ट्रेलिया पहुंचे हैं। इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि के लिए भारत और ऑस्ट्रेलिया का सहयोग काफी अहम होगा। इसके लिए दोनों देश प्रतिबद्ध हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया की मित्रता और भागीदारी पहले कभी नहीं थी उतनी मज़बूत हुई हैं, यह दावा करके ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीज ने प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत किया। वहीं, भारतीय प्रधानमंत्री मोदी ने यह कहा कि, भारत-ऑस्ट्रेलिया सहयोग नई उंचाई पर पहुंचाने के लिए हम उत्सूक हैं। 

प्रधानमंत्री मोदीऑस्ट्रेलिया में ‘क्वाड’ देशों के सालाना शिखर बैठक का आयोजन किया गया था। लेकिन, अमरिकी राष्ट्राध्यक्ष का ऑस्ट्रेलिया दौरा रद होने से यह बैठक जापान में ही आयोजित हुई। इसके बाद पापुआ न्यू गिनी का दौरा रद करके सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ऑस्ट्रेलिया पहुंचे। वहां उनका बड़ा जोरदार स्वागत हुआ। ऑस्ट्रेलिया में स्थित भारतीय समुदाय प्रधानमंत्री मोदी का स्वागत करने के लिए बड़ी संख्या में हवाई अड्डे पर उपस्थित था।

प्रधानमंत्री अल्बानीज ने दो महीने पहले अपनी भारत यात्रा में हुए स्वागत की याद भी ताज़ा की। मार्च महीने में ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री दोनों देशों की सालाना बैठक के लिए भारत पहुंचे थे। उस समय हुई द्विपक्षीय चर्चा प्रधानमंत्री मोदी के ऑस्ट्रेलिया दौरे में अधिक आगे जाएगी, यह विश्वास प्रधानमंत्री अल्बानीज ने व्यक्त किया।

२४ मई को प्रधानमंत्री मोदी और अल्बानीज द्विपक्षीय चर्चा करेंगे। उस समय दोनों देशों के बीच विभिन्न स्तरों पर शुरू सहयोग अधिक मज़बूत करने पर जोर दिया जाएगा। भारत और ऑस्ट्रेलिया ने ‘कॉम्प्रिहेन्सिव इकॉनॉमिक एग्रीमेंट’ किया है। इसके तहत व्यापारी भागीदारी अधिक मज़बूत करने पर इस दौरान चर्चा होगी। साथ ही ऊर्जा, रक्षा और सुरक्षा क्षेत्र का सहयोग अधिक मज़बूत करने के पर भी व्यापक चर्चा होगी, यह जानकारी ऑस्ट्रेलियन सरकार ने साझा की। ऑस्ट्रेलिया और भारत का व्यापारी एवं रणनीतिक सहयोग अधिक से अधिक मज़बूत हो रहा हैं और इसी दौरान ऑस्ट्रेलिया-चीन व्यापार कम होता दिख रहा हैं।

राजनीतिक मतभेदों के कारण चीन ने ऑस्ट्रेलिया को सबक सिखाने की तैयारी रखी हैं और ऑस्ट्रेलियन उत्पादनों को चीन अब पीठ दिखाता दिख रहा है। इस वजह से ऑस्ट्रेलिया के भारत के सहयोग को रणनीतिक अहमियत प्राप्त हुई है। भारत यह ऑस्ट्रेलिया के लिए चीन का अधिक विश्वासार्ह विकल्प होने की चर्चा इस देश में शुरू है।
ऑस्ट्रेलिया पहुंचने से पहले पापुआ न्यू गिनी में प्रधानमंत्री मोदी की न्यूजीलैंड के प्रधानमंत्री ख्रिस हिपकिन्स केसाथ द्विपक्षीय चर्चा हुई। भारत-न्यूजीलैंड के व्यापार, वित्तीय, शिक्षा, प्रौद्योगिकी क्षेत्र का सहयोग अधिक व्यापक करने पर इस भेट में सहमति हुई।

पापुआ न्यू गिनी में प्रधानमंत्री मोदी ‘फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आयलैण्डस्‌‍ को-ऑपरेशन’ (एफआईपीआईसी) की बैठक में शामिल हुए थे। पेसिफिक के १४ द्वीप देशों के साथ हुई इस बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने यह गवाही दी कि, भारत आपके विकास का भागीदार बनेगा। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने चीन को अप्रत्यक्ष लक्ष्य किया।

‘ज़रूरत के समय पर सहायता के लिए आगे आता है, वही सच्चा मित्र’, ऐसा प्रधानमंत्री ने कहा। साथ ही कुछ समय हम जिसे भरोसेमंद समझते हैं वही ज़रूरत के समय खड़ा नहीं रहता, ऐसी फटकार प्रधानमंत्री ने लगाई। चीन का स्पष्ट ज़िक्र किए बिना प्रधानमंत्री मोदी ने चीन विश्वासार्ह देश ना होने का अहसास कराया।

भारत पैसिफिक देशों की प्राथमिकताओं का सम्मान करता है और भारत आपके कसौटी के समय पर आपके साथ खड़ा रहेगा, यह गवाही भी प्रधानमंत्री मोदी ने दी।
इसी बीच, प्रधानमंत्री मोदी का जापान, पापुआ न्यू गिनी और ऑस्ट्रेलिया दौरा चीन विरोधी रणनीतिक सहयोग का हिस्सा समझा जा रहा है। ‘जी ७’ देशों ने जापान की बैठक के लिए प्रधानमंत्री मोदी को विशेष आमंत्रित किया था। इसे चीन विरोधी गुट को मज़बूती देने का हिस्सा समझा जा रहा है। 

साथ ही पैसिफिक द्वीप देशों के करीबी सोलोमॉन आयलैण्ड पर चीन निर्माण कर रहा अड्डा ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ अमरीका के लिए भी चिंता का विषय बनता है। इसी कारण वहां के देशों के साथ भारत ने सहयोग बढ़ाना काफी अहमियत रखता हैं।

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