भारत-अमरीका-जापान-ऑस्ट्रेलिया की नौसेनाओं के मलाबार युद्धाभ्यास का ध्येय एक समान – भारतीय नौसेनाप्रमुख एडमिरल करमबिर सिंह

नई दिल्ली – बंगाल की खाड़ी में हो रहे मलाबार युद्धाभ्यास में शामिल हुए भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया का नज़रिया और ध्येय एक समान है। मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के लिए ही इस युद्धाभ्यास की शुरूआत हुई है और इसके ज़रिये चारों देशों की नौसेनाएं एक-दूसरे के बीच समन्वय और सहयोग बढ़ा रही हैं, ऐसा भारत के नौसेनाप्रमुख एडमिरल करमबिर सिंह ने स्पष्ट किया। यह कहते हुए यह युद्धाभ्यास किसी भी देश के खिलाफ ना होने का दावा भी नौसेनाप्रमुख ने किया। भारत यह खुलासा कर रहा है, फिर भी चीन ‘क्वाड’ का यह युद्धाभ्यास हमारे खिलाफ ही होने का बयान करके भारत को इशारे दे रहा है।

मलाबार युद्धाभ्यासचीन के सरकारी मुखपत्र ‘ग्लोबल टाईम्स’ में दो दिन पहले ही मलाबार युद्धाभ्यास का ज़िक्र किया था। अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के समुद्री अभ्यास की पृष्ठभूमि पर लद्दाख के सीमा विवाद में भारत आक्रामक होने का दावा ग्लोबल टाईम्स ने किया था। ‘चीन के साथ संघर्ष की स्थिति निर्माण हुई तो अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया हमारी सहायता के लिए आगे आएँगे, इस भ्रम में भारत ना रहे। इन देशों के साथ जारी समुद्री युद्धाभ्यास का इस्तेमाल करके हम सीमा विवाद में चीन पर दबाव ड़ाल सकते हैं, इस सोच में भी भारत ना रहे’, ऐसे इशारे ग्लोबल टाईम्स ने दिए थे। इसके साथ ही भारत सलामी स्लाइसिंग यानी धीरे-धीरे चीन की सीमा में प्रवेश करके वहां पर अपना अधिकार स्थापित कर रहा है, यह आरोप भी इस मुखपत्र ने लगाया था।

चीन के सरकारी मुखपत्र के इन बयानों से चीन की बेचैनी व्यक्त हो रही है। सामरिक विश्‍लेषक भी ‘क्वाड’ के सहयोग की वजह से चीन की असुरक्षितता बढ़ने के दावे कर रहे हैं। चीन का पक्ष लेनेवाले विश्‍लेषक भी ‘क्वाड’ का नौसैनिकी सहयोग आकार ले रहा है और इसी दौरान चीन के ‘बैकफुट’ पर जाने की बात स्वीकार रहे हैं। ऐसी स्थिति में भारत ने फिर एक बार ‘क्वाड’ के युद्धाभ्यास का लक्ष्य कोई एक देश ना होने की बात स्पष्ट की है। लेकिन, मुक्त और खुले इंडो-पैसिफिक क्षेत्र इस युद्धाभ्यास में शामिल हुए देशों का समान ध्येय होने का बयान करके भारत के नौसेनाप्रमुख ने सटीक शब्दों में चीन को संदेश दिया है।

वर्ष १९९२ में शुरू हुए इस ‘मलाबार’ युद्धाभ्यास का स्वरूप द्विपक्षीय था। लेकिन, इसका स्वरूप अब पूरी तरह से बदल गया है। इस युद्धाभ्यास में अब विमान वाहक युद्धपोत, विध्वंसक और पनडुब्बियाँ भी शामिल हो रही हैं और इससे भारत, अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलियन नौसेनाओं का समन्वय और सहयोग अधिक मज़बूत हो रहा है। अगले दिनों में यकायक संकट उभरा, त्सुनामी जैसी आपत्ति निर्माण हुई तो इसका मुकाबला करने की तैयारी इससे बढ़ेगी, ऐसा सूचक बयान करके भारतीय नौसेनाप्रमुख एडमिरल करमबिर सिंह ने इस युद्धाभ्यास से प्राप्त होनेवाले लाभ रेखांकित किए।

इसी बीच, मलाबार के बाद भारतीय नौसेना ब्रिटेन के विमान वाहक युद्धपोत ‘एचएमएस एलिज़ाबेथ’ के साथ युद्धाभ्यास करेगी। इससे पहले भारत ने फ्रान्स की नौसेना के साथ युद्धाभ्यास किया था। इसका काफी बड़ा दबाव चीन पर पड़ा है और भारतीय नौसेना की क्षमता में हो रही बढ़ोतरी चीन की असुरक्षितता अधिकाधिक बढ़ा रही है।

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