‘पापुआ न्यू गिनी’ में भारत के प्रधानमंत्री का जोरदार स्वागत

पोर्ट मोरेस्बी – प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी का ‘पापुआ न्यू गिनी’ में जोरदार स्वागत हुआ। पैस्फििक महासागर के इस द्वीप देश में इस क्षेत्र के १४ द्वीप देश भारत के साथ बैठक कर रहे हैं। इन द्वीप देशों पर अपना प्रभाव बढ़ाकर चीन पैसिफिक महासागर क्षेत्र पर वर्चस्व स्थापित करने की तैयारी में हैं। यह बात इस क्षेत्र में भारत के व्यापक हितसंबंधों के लिए घातक साबित हो सकती हैं। इस वजह से पापुआ न्यू गिनी में आयोजित हो रही ‘फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आयैण्डस्‌‍ को-ऑपरेशन’ (एफआईपीआईसी) की बैठक भारत के लिए बड़ी अहम होगी। 

‘पापुआ न्यू गिनी’अब तक सूर्यास्त के बाद ‘पापुआ न्यू गिनी’ में किसी का भी स्वागत करने की परंपरा नहीं थी। लेकिन, भारत के प्रधानमंत्री के लिए अपवाद करके उनका ‘पापुआ न्यू गिनी’ में जोरदार स्वागत किया गया। भारतीय प्रधानमंत्री का स्वागत करने के लिए इस देश के प्रधानमंभी जेम्स मरापे स्वयं हवाई अड्डे पर मौजूद थे। प्रधानमंत्री मोदी के स्वागत के लिए १९ तोप की सलामी भी दी गई। पैसिफिक महासागर क्षेत्र के द्वीप देश ‘पापुआ न्यू गिनी’ में भारत के प्रधानमंत्री का ऐसे जोरदार स्वागत हुआ, इसे काफी बड़ी रणनीतिक अहमियत होने की बात पर ध्यान आकर्षित किया जा रहा है।

इस देश पर प्रभाव बनाने के लिए चीन ने काफी पहले से अपनी गतिविधियां शुरू की थी। चीन की इन कोशिशों को शुरू में सफलता भी मिली थी। लेकिन, चीन का निवेश और आर्थिक सहयोग का लाभ होने से अधिक नुकसान ही होता हैं, इसका अहसास सभी देशों को हुआ हैं। ‘पापुआ न्यू गिनी’ भी इसके अपवाद नहीं। खास तौर पर अमरीका और ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों के विरोध में पैसिफिक महासागर के देशों का बतौर अड्डे इस्तेमाल करने की चीन की योजना स्पष्ट होने के बाद इन द्वीप देशों ने इसके विरोधी गतिविधियां शुरू की हैं।

ऐसे समय में भारत ने भी ‘पापुआ न्यू गिनी’ के साथ इस क्षेत्र के १४ द्वीप देशों से सहयोग स्थापित करने की तैयारी की है। इसके अनुसार वर्ष २०१४ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिजी दौरे में ‘फोरम फॉर इंडिया-पैसिफिक आयलैण्डस्‌‍ को-ऑपरेशन’ (एफआईपीआईसी) का गठन किया गया था। इस वजह से भारत सीर्फ हिंद महासागर क्षेत्र तक विचार रखने वाला देश नहीं हैं, यही संदेश सभी को प्राप्त हुआ था।

सोमवार को इसकी पापुआ न्यू गिनी में बैठक होगी। रणनीतिक नज़रिये से ‘एफआईपीआईसी’ से सहयोग करना बड़ा अहम है। अमरीका, जापान और ऑस्ट्रेलिया इस क्षेत्र में भारत के निवेश का स्वागत कर रहे हैं। काफी पहले से ही इन तीनों देशों ने यह आवाहन किया था कि, इस क्षेत्र में चीन का प्रभाव अवरुद्ध करके उसकी जारी वर्चस्ववादी गतिविधियां रोकने के लिए भारत व्यापक भूमिका अपनाए। इस वजह से चीन के अलावा इस क्षेत्र के अन्य सभी देश भारत और यहां के द्वीप देशों के सहयोग का स्वागत ही कर रहे हैं। लेकिन, इससे चीन काफी बौखलाया होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

अमरीका के राष्ट्राध्यक्ष ज्यो बायडेन भी पापुआ न्यू गिनी की यात्रा करने वाले थे। उनकी इस यात्रा के विरोध में चीन ने चेतावनी भी दी थी। लेकिन, कुछ कारणों से राष्ट्राध्यक्ष बायडेन का यह दौरा रद होने की खबरें सामने आ रही हैं। इस वजह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पापुआ न्यू गिनी दौरे की अहमियत अधिक बढ़ी है। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न्यूझीलैण्ड के प्रधानमंत्री ख्रिस हिपकिन्स से मुलाकात करके द्विपक्षीय चर्चा करेंगे, ऐसी खबरें भी प्रसिद्ध हुई हैं। 

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