जम्मू भाग-१

जम्मू भाग-१

श्रावण महिने में संपूर्ण सृष्टि में एक नवचेतना ही आ जाती है। समूची सृष्टि हरे रंग का लिबास पहनकर सज जाती है। श्रावण मास में भारतभर में विभिन्न प्रकार के व्रत किये जाते हैं, कन्याकुमारी से लेकर हिमालय तक। भारतीयों की दृष्टि से हिमालय हमेशा ही पवित्र एवं पूजनीय रहा है। पवित्रता का स्रोत रहनेवाले […]

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मंगळूर भाग-४

मंगळूर भाग-४

नवरात्रि के नौ दिनों में ‘मंगलादेवी’ मन्दिर की शोभा अवर्णनीय रहती है। नवरात्रि के नौवें दिन, जिसे ‘महानवमी’ भी कहा जाता है, उस दिन मंगलादेवी की मूर्ति की शोभायात्रा निकाली जाती है और वह भी सजाये गये रथ में से। यहाँ पर इसे ‘रथोत्सव’ कहा जाता है। मंगलादेवी को गहनों से सजाकर इस सुशोभित रथ […]

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परमहंस-१२०

परमहंस-१२०

रामकृष्णजी की शिष्यों को सीख श्रद्धावान के मन में ईश्‍वर के प्रति, अपने सद्गुरु के प्रति होनेवाली उत्कटता में कितनी आर्तता होनी चाहिए, इसके बारे में बताते हुए रामकृष्णजी ने कुछ उदाहरण दिये – ‘एक बार हमारे यहाँ आनेवाले एक भक्त को कहीं पर तो बबूल का एक पेड़ दिखायी दिया। उस बबूल के पेड़ […]

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सावन्तवाडी भाग-५

सावन्तवाडी भाग-५

सिन्धुदुर्ग की सैर करते हुए हम सिन्धुदुर्ग की कई बातों को देख चुके हैं, जिनमें कुछ कुदरती करिश्में भी शामिल थे। अब एक महत्त्वपूर्ण बात देखते हैं। लेकिन उसे देखना यहँ कहने से उसके बारे में जानकारी हासिल करना यह कहना मुनासिब है। क्योंकि यह करना ही आसान हैं। सिन्धुदुर्ग में महादेवजी का एक मन्दिर […]

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परमहंस-११३

परमहंस-११३

रामकृष्णजी की शिष्यों को सीखसद्गुरुतत्त्व की, उस ईश्‍वरी तत्त्व की करनी अगाध होती है, कई बार वह अतर्क्य, विपरित प्रतीत हो सकती है। इसलिए उसका अर्थ लगाने के पीछे मत पड़ जाना, यह बात अंकित करने के लिए रामकृष्णजी ने एकत्रित शिष्यगणों को एक कथा सुनायी – ‘एक मनुष्य घने जंगल में जाकर नित्यनियमपूर्वक कालीमाता […]

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तिरुचिरापल्ली भाग-६

तिरुचिरापल्ली भाग-६

श्रीरंगम् के पास, त्रिचि शहर से लगभग ३ कि.मी. की दूरी पर बसे एक स्थल की ओर अब हम जा रहे हैं। ‘तिरुवनैकोईल’ इस नाम से जाने जानेवाले गाँव हमें जाना है। यहाँ भगवान शिवजी और पार्वतीजी इनका एक प्राचीन मन्दिर है। यहाँ शिवजी को ‘जम्बुकेश्‍वर’ इस नाम से और पार्वतीजी को ‘अखिलंदेश्‍वरी’ इस नाम […]

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तिरुचिरापल्ली भाग-३

तिरुचिरापल्ली भाग-३

‘रॉक फोर्ट’ के माथे पर से दूर दिखायी देनेवाले ‘श्रीरंगम्’ के गोपुर हमें बुला रहे हैं। आइए, तो चलते हैं ‘श्रीरंगम्’ और इस सफ़र में ही हम ‘श्रीरंगम्’ की जानकारी प्राप्त करेंगें। ‘श्रीरंगम्’ यह एक छोटा सा द्वीप है। आज के तिरुचिरापल्ली का वह एक हिस्सा बन गया है। त्रिचि शहर से यानि तिरुचिरापल्ली शहर […]

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श्रीसाईसच्चरित : अध्याय-३ (भाग-४०)

श्रीसाईसच्चरित : अध्याय-३ (भाग-४०)

बाबा के शुद्ध यश का वर्णन। प्रेमपूर्वक उनका श्रवण। होगा इससे भक्त-कश्मल-दहन। सरल साधन परमार्थ का॥ हेमाडपंत की यह अप्रतिम पंक्ति हमें परमार्थ के आसान साधन का, सहज सुंदर मार्ग का उपदेश करती है। हर एक भक्त को जो कुछ भी चाहिए होता है, वही ये साईनाथ हमें यहाँ पर दे रहे रहे हैं। हमारे […]

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परमहंस-९४

परमहंस-९४

रामकृष्णजी की शिष्यों को सीख रामकृष्णजी के पास आनेवाले कुछ शिष्य कई बार भक्ति की भोली-भोली कल्पनाओं को दिल में समेतकर आते थे….मेरी अब शादी हो चुकी है, अब मैं कहाँ अध्यात्म कर पाऊँगा? या फिर….जग कैसा भी क्यों न बर्ताव करें, मैं अच्छा बर्ताव कर रहा हूँ यह काफ़ी है; ऐसे कुछ विचार उनके […]

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मथुरा भाग-६

मथुरा भाग-६

शरद ऋतु की पूनम की चाँदनी रात। पूर्णिमा के कारण चन्द्रबिंब भी पूर्ण है, सुहानी चाँदनी से मन प्रफुल्लित है, यमुना अपनी ही मस्ती में बह रही है। ऐसे में अचानक कहीं से मुरली की धुन से माहौल सुनहरा हो जाता है और उस अभिमन्त्रित वातावरण में श्रीकृष्ण और गोपिकाओं का रासनृत्य शुरु हो जाता […]

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