यूरोप के बाल्कन क्षेत्र में नया संघर्ष छिड़ेगा – सर्बिया और कोसोवो का तनाव बढ़ा

बेलग्रेड/प्रिस्तिना/मास्को – यूरोप के बाल्कन क्षेत्र के तौर पर जाने जा रहे क्षेत्र के सर्बिया और कोसोवो में तनाव बढ़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। कोसोवो सरकार के नए नियमों के खिलाफ सर्बवंशी नागरिकों ने शुरू किए प्रदर्शनों पर स्थनीय पुलिस ने कार्रवाई की है। इसी के साथ कोसोवो में तैनात नाटो के दलों ने भी सतर्क रहने का इशारा दिया। इस कार्रवाई की पृष्ठभूमि पर सर्बिया के साथ रशिया ने आक्रामक भूमिका अपनाई है। पिछले साल से कोसोवो-सर्बिया में तनाव बढ़ने का यह दूसरा अवसर है।

बाल्कन क्षेत्रपिछले साल कोसोवो की सरकार ने सर्बिया से आ रहे एवं सर्बियन नंबर प्लेट की गाड़ियों को कोसोवो में ‘टेंपररी नंबर प्लेट’ लगाना अनिवार्य होने का ऐलान किया था। इसके लिए उनसे शुल्क वसुलने का भी ऐलान किया गया था। सर्बियन दस्तावेज़ रखनेवालों को कोसोवो में प्रवेश देने से इन्कार करने के संकेत भी दिए गए थे। इस पर कोसोवो-सर्बिया सरहदी क्षेत्र में रहनेवाले सर्बवंशी नागरिकों ने तीव्र नाराज़गी जतायी थी। कोसोवो में स्थित सर्बवंशियों ने इसके खिलाफ जोरदार प्रदर्शन शुरू किए। कोसोवो-सर्बिया सीमा पर स्थित शहरों में आनेवाले मार्ग रोके गए।

इसके बाद नए प्रावधानों का कार्यान्वयन अप्रैल २०२२ तक स्थगित किया गया था। इसी दौरान इस अवधि तक नया हल निकालने का वादा भी किया गया था। लेकिन, आगे कुछ भी नहीं हुआ और कोसोवो की सरकार ने १ अगस्त से फिर से पिछले साल जारी किए हुए नियमों का कार्यान्वयन शुरू करने का ऐलान किया था। इसके विरोध में तीव्र प्रतिक्रिया सामने आने के बाद एक महीने के लिए इस कार्यान्वयन को स्थगित किया गया।

बाल्कन क्षेत्रलेकिन, इस बार कोसोवो एवं उसके समर्थके पश्‍चिमी देश और नाटो ने आक्रामक भूमिका अपनाने के संकेत दिए हैं। नाटो ने कोसोवो में तैनात दलों को सतर्क रहने का इशारा दिया। कोसोवो-सर्बिया तनाव में हस्तक्षेप करने के लिए नाटो के तैयार होने का निवेदन भी दिया गया।

दूसरी ओर सर्बिया एवं सर्बिया का समर्थन कर रही रशिया ने भी अपनी गतिविधियाँ शुरू की हैं। रशिया ने संभावित संघर्ष के बाद सर्बिया का साथ देने का ऐलान किया है। इसी दौरान अमरीका, यूरोपिय महासंघ और कोसोवो की सरकार उकसानेवाली हरकतें कर रहे हैं और इसे रोकने की चेतावनी भी दी है।

फिलहाल यूरोप में रशिया-यूक्रेन संघर्ष जारी है। यह संघर्ष अधिक तीव्र हुआ है और ऐसे में दूसरा संघर्ष शुरू होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इसके पीछे यूरोप समेत रशिया को अस्थिर और कमज़ोर करने की साज़िश होने का दावा रशियन माध्यमों ने किया है।

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