इराक की संसद छोड़ने से प्रदर्शनकारियों का इन्कार – माँगें पूरी होने तक संसद ना छोड़ने का इशारा

इराक की संसदबगदाद – इराक की संसद में ड़ेरा जमाकर बैठे ‘मुक्तदा अल-सद्र’ के समर्थकों ने अपनी माँगें पूरी हुए बिना पीछे ना हटने का इशारा दिया है। इन प्रदर्शनकारियों को लंबे समय तक संसद और ग्रीन ज़ोन के इलाकों में रखना मुमकिन नहीं होगा, ऐसा कहकर इराक की संसद के सभापति ने इराक की सेना को ज़रूरी कार्रवाई करने का आवाहन किया है। लेकिन शांति से प्रदर्शन करने का अधिकार हमें है, यह कहकर इन प्रदर्शनकारियों ने पीछे हटने से साफ इन्कार किया है। ऐसी स्थिति में इराक के प्रधानमंत्री मुस्तफा अस-कधिमी ने फिर से इराक के सभी राजनीतिक दलों को बातचीत से इस समस्या का हल निकालने का आवाहन किया है।

इराक की संसदइराक सरकार पर ईरान के प्रभाव के खिलाफ आक्रामक भूमिका अपनाकर मुक्तदा अल-सद्र के समर्थकों ने राजधानी बगदाद की संसद में और अति सुरक्षित ग्रीन ज़ोन में घुसपैठ की। अपनी माँगें मंजूर होने तक यहां से नहीं निकलेंगे, ऐसा यह प्रदर्शनकारी ड़टकर कह रहे हैं। लेकिन, इराक सरकार पर ईरान का प्रभाव कम करने की उनकी प्रमुख माँग मौजूदा इराक सरकार द्वारा मंजूर होने की संभावना नहीं है। इस वजह से इस समस्या का हल इतनी जल्दी निकलने की संभावना नहीं है। ऐसे में प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करके संसद खाली करने का आवाहन इराक की संसद के सभापति ने सेनाप्रमुख से किया है।

प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई करने की बात कही जा रही है और तभी प्रधानमंत्री कधिमी ने इराक के सभी राजनीतिक दलों ने एकसाथ चर्चा करने का प्रस्ताव दिया है। लेकिन, कोई भी दल देशद्रोह और दूसरों को अलग थलग करने के बयान ना करे, राष्ट्रवाद के दायरे में ही यह चर्चा हो, ऐसी उम्मीद प्रधानमंत्री कधिमी ने व्यक्त की है। तभी, इराक के स्वायत्त कुर्दिस्तान प्रांत के प्रेसिडेंट बर्ज़ानी ने इरबिल में सभी राजनीतिक दलों के प्रमुख पहुँचकर चर्चा करें, यह आवाहन किया है।

इराक की संसदइराक में इस देश के वांशिक और धार्मिक गुटों का प्रतिनिधित्व कर रहे राजनीतिक दल प्रबल हैं। उन्हीं के बीच राजनीतिक स्तर पर सहमति होना काफी कठिन है। पहले के दिनों में ईरान के साथ और बाद में अमरीका के साथ युद्ध में इराक की स्थिति काफी बिगड़ी है। इस देश पर आर्थिक संकट भी तीव्र होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। ऐसे में ईरान का प्रभाव और इराक के कुर्दवंशियों पर तुर्की के हमले एवं आयएस जैसे खतरनाक आतंकी संगठन के हमले इराक के सामने काफी बड़ी चुनौतियाँ हैं। ऐसी स्थिति में मुक्तदा अल-सद्र के समर्थकों ने इराक की संसद पर कब्ज़ा करके इस देश की समस्या अधिक बढ़ाई है। आनेवाले समय में इस राजनीतिक प्रदर्शन की वजह से इराक में हिंसक संघर्ष शुरू होने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता। पड़ोसी देशों के इराक में मौजूद हित एक-दूसरे के विरोध में होने से इराक का यह संघर्ष भीषण खून-खराबे में तब्दील हो सकता है, ऐसी चेतावनी कुछ विश्लेषक दे रहे हैं।

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