हंगरी और सर्बिया के चुनावों में रशियासमर्थक नेताओं की जीत

hungary-serbia-elections-1बुडापेस्ट/बेलग्रेड/मास्को – यूरोपिय महाद्विप के हंगरी और सर्बिया में रविवार को हुए चुनावों में रशिया समर्थक नेताओं की जीत हुई है। हंगरी में ‘फिडेस्झ पार्टी’ के विक्टर ऑर्बन लगातार चौथी बार देश के प्रधानमंत्री बनेंगे। सर्बिया में सर्बियन प्रोग्रेसिव पार्टी के नेता अलेक्झांडर वुकिक का लगातार दूसरी बार राष्ट्राध्यक्ष बनना तय हुआ है। रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन ने दोनों नेताओं को अभिनंदन का संदेश भेजा है और रशिया एवं इन देशों की भागीदारी अधिक मज़बूत होगी, यह विश्‍वास भी व्यक्त किया है। ऑर्बन और वुकिक ने प्राप्त की हुई जीत यूरोपिय महासंघ की मुश्‍किलें बढ़ानेवाली साबित होगी, यह दावा विश्‍लेषक कर रहे है।

यूक्रैन युद्ध की पृष्ठभूमि पर अमरीका और यूरोपिय मित्रदेशों ने रशिया के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाई है। यूरोपिय महासंघ एवं नाटो यूक्रैन मुद्दे पर अपनी एकजुट होने की कोशिश कर रहे हैं और यूक्रैन पर हुआ हमला यूरोपिय मूल्य और लोकतंत्र पर  हमला है, ऐसा चित्र खड़ा करने की भी कोशिश कर रहे हैं। यूक्रैन के पक्ष में रहकर महासंघ एवं नाटो ने रशिया पर सख्त प्रतिबंध भी लगाए हैं और कई क्षेत्रों में सहयोग बंद किया है। लेकिन, पिछले कुछ दिनों से रशिया विरोधी नीति के मुद्दे पर यूरोप में  मतभेद तीव्रता से सामने आ रहे हैं। इन मतभेदों की पृष्ठभूमि पर हंगरी और सर्बिया दोनों में हुए चुनाव ध्यान आकर्षित कर रहे हैं।

हंगरी महासंघ और नाटो दोनों का सदस्य है। सर्बिया ने महासंघ की सदस्यता के लिए निवेदन दाखिल किया है और नाटो को तीव्र विरोध दर्शाया है। लेकिन, दोनों देश यूरोपिय देश होने से महासंघ और नाटो दोनों संगठनों के लिए काफी अहम माने जाते हैं। हंगरी के प्रधानमंत्री विक्टर ऑर्बन साल २०१० से सत्ता में हैं और देश पर अपनी पकड़ अधिकाधिक मज़बूत करने में उन्होंने सफलता हासिल की है। यह करते हुए उन्होंने रशिया और चीन दोनों से सहयोग बढ़ाने की भूमिका अपनाई थी।

यूक्रैन संघर्ष की पृष्ठभूमि पर उनकी यह भूमिका महासंघ और नाटो दोनों के लिए मुश्‍किल साबित हुई है। इसकी वजह से हंगरी में चुनावों के ऐलान के बाद अमरीका और यूरोपिय माध्यमों में ऑर्बन का देश में हो रहे विरोध की खबरों को विशेष प्रसिद्धी दी जा रही थी। कुछ विश्‍लेषक एवं अध्ययन मंड़लों ने उनकी हार का अनुमान भी जताया था। लेकिन, यूरोप और अमरिकी विरोधियों को झटका देते हुए विक्टर ऑर्बन ने ५३ प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त करके जीत हासिल की। अपनी जीत चांद पर रहनेवाले एवं ब्रुसेल्स में रहनेवालों को भी दिखाई दी होगी, ऐसी फटकार ऑर्बन ने लगाई।

सर्बिया के राष्ट्राध्यक्ष अलेक्झांडर वुकिक भी रशिया समर्थक नेता के तौर पर जाने जाते हैं। र्इंधन पाइपलाइन, नाटो से ताल्लुकात एवं सैन्य सहायता जैसे कई मुद्दों पर उन्होंने रशिया का सहयोग पाने पर जोर दिया है।

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