यूक्रेन के ओडेसा बंदरगाह से अनाज का पहला जहाज़ रवाना – इस्तंबूल के रास्ते लेबनान के त्रिपोली बंदरगाह में पहुँचेगा

ओडेसा/मास्को – संयुक्त राष्ट्र संगठन और तुर्की की मध्यस्थता से किए गए समझौते के बाद सोमवार को यूक्रेन के ओडेसा बंदरगाह से अनाज लेकर पहला जहाज़ रवाना हुआ। अगले कुछ दिनों में यह जहाज़ तुर्की के इस्तंबूल के रास्ते लेबनान के त्रिपोली बंदरगाह में पहुँचेगा। रशिया-यूक्रेन युद्ध की वजह से निर्माण अनाजा का संकट दूर करने के लिए यह एक अहम चरण माना जा रहा है। संयुक्त राष्ट्र संगठन के साथ अमरीका, रशिया, यूक्रेन और तुर्की ने इसका स्वागत किया है।

ओडेसा बंदरगाह दस दिन पहले तुर्की के इस्तंबूल शहर में रशिया और यूक्रेन ने अनाजा के निर्यात से संबंधित समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के बाद कुछ ही घंटों में रशिया ने ओडेसा बंदरगाह पर मिसाइल हमला किया और इस वजह से वर्णित समझौते के कार्यान्वयन पर सवाल खड़ा हुआ था। यूक्रेन समेत संयक्त राष्ट्र संगठन और अमरीका ने इस हमले की आलोचना की थी। लेकिन, रशिया ने समझौते का कार्यान्वयन और यूक्रेन के सैन्य ठिकानों पर हमले दो विभिन्न बातें होने का बयान करके इस समझौते के लिए सहयोग जारी रखने का खुलासा किया था।

यूक्रेन से अनाज का जहाज़ निकलने में दो दिन बचे थे तभी रशिया ने यूक्रेन में अनाज के प्रमुख व्यापारी ओलेक्सी वैडाटर्स्कि के घर पर मिसाइल हमला किया था। इस वजह से रशिया के इरादों पर फिर से आशंका जतायी गई थी। लेकिन सोमवार सुबह ओडेसा बंदरगाह से जहाज़ सुरक्षित बाहर निकलने से समझौते का कार्यान्वयन शुरू होने के संकेत प्राप्त हुए है। ‘रेझोनी’ नामक इस जहाज़ पर २६ हज़ार टन से भी अधिक मका हैं और यह जहाज़ खाड़ी के लेबनान भेजा जा रहा हैं।

ओडेसा बंदरगाह लेबनान के त्रिपोली बंदरगाह में पहुँचने से पहले इस जहाज की तुर्की के इस्तंबूल बंदरगाह में जाँच होगी, ऐसा तुर्की के रक्षा विभाग ने कहा। इस जहाज़ के बाद अनाज भरकर लगभग १६ जहाज़ यूक्रेन के बंदरगाह में खड़ी हैं, यह जानकारी भी तुर्की ने साझा की। रेझोनी लेबनान सुरक्षित पहुँचने के बाद अगले जहाज़ों की यात्रा का निर्णय होगा, यह जानकारी सूत्र ने प्रदान की।

रशिया और यूक्रेन दोनों ‘ब्रेडबास्केट’ के नाम से जाने जाते हैं। गेहूं, मक्कई, सूरजमुखी के तेल की निर्यात में यही देश आगे हैं। इन देशों द्वारा प्रमुखता से अफ्रीकी, खाड़ी एवं एशियाई देशों को अनाज की आपूर्ति होती है। फरवरी में रशिया-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद अनाज की आपूर्ति पर भारी असर पड़ा था। इस वजह से विश्‍व के कई देशों में महंगाई का विस्फोट हुआ और बड़ी मात्रा में अनाज़ की किल्लत बनी हैं।

इस मामले में रशिया और यूक्रेन ने एक-दूसरेंपर आरोप लगाए थे। रशिया ने यूक्रेन के बंदरगाहों पर शुरू किए हमलों की वजह से से अनाज़ की निर्यात बंद हुई यह आरोप यूक्रेन एवंपश्‍चिमी देशों ने लगाया था। तभी यूक्रेन की नौसेना ने ‘ब्लैक सी’ के समुद्री क्षेत्र में लगाए बारुदी सुरुंग के कारण जहाज़ सुरक्षित यात्रा नहीं कर सकते, ऐसा दावा रशिया ने किया था। इस जुबानी संघर्ष में रशिया और यूक्रेन में लगभग दो करोड़ टन अनाज का निर्यात फंसा पड़ा था। इस पर हल निकालने के लिए तुर्की और संयुक्त राष्ट्रसंगठन ने पहल की थी।

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