यूरोप रशिया के ईंधन या यूक्रैन में से एक विकल्प चुनें – ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन की चेतावनी

Europe-Russiaलंदन/ब्रुसेल्स – ‘अपने यूरोपिय मित्रों को जल्द ही अहसास होगा कि, उन्हें किसी एक विकल्प का चयन करना है, नए ईंधन पाइपलाइन से प्राप्त होनेवाले रशियन ईंधन का स्वीकार करना है या शांति एवं स्थिरता के लिए यूक्रैन का साथ देना है, यह निर्णय करना पड़ेगा’, ऐसा इशारा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉन्सन ने दिया| यूरोप को फिलहाल बड़े ईंधन संकट का सामना करना पड़ रहा है और कुछ देशों में नैसर्गिक ईंधन वायु की कीमतों में २५० बढ़ोतरी देखी गई है| ईंधन संकट का दायरा बढ़ रहा है और तभी रशिया ने यूक्रैन की सीमा पर लगभग लाख सैनिकों की तैनाती करने से इस क्षेत्र में संघर्ष शुरू होगा, यह ड़र भी व्यक्त किया जा रहा है|

UK-Boris-Johnsonबीते कुछ दिनों से पश्‍चिमी देश रशिया की आक्रामक नीति और गतिविधियों पर लगातार ध्यान आकर्षित कर रहे हैं| यूरोप में उभरे ईंधन संकट के पीछे रशिया का हाथ होने के आरोप लगाए गए हैं| साथ ही बेलारूस और पोलैण्ड की सीमा पर शरणार्थियों की घुसपैठ का मुद्दा काफी बिगड़ा है और इसके पीछे रशिया के राष्ट्राध्यक्ष व्लादिमीर पुतिन का ही प्लैन होने के दावे किए जा रहे हैं| इन घटनाओं के साथ यूक्रैन की सीमा पर बढ़ रही सैन्य तैनाती भी रशिया की साज़िश का हिस्सा होने का बयान यूक्रैन एवं विश्‍लेषक कर रहे हैं|

Ukraineइस  पृष्ठभूमि पर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री का यूरोप को इशारा ध्यान आकर्षित करता है| इससे पहले वर्ष २०१४ में क्रिमिया और पूर्व यूक्रैन के मुद्दे पर भड़के संघर्ष के दौरान रशिया ने ईंधन को हथियार की तरह इस्तेमाल करने की बात सामने आयी थी| करीबी दिनों में नया संघर्ष शुरू हुआ तो रशिया फिर से इसी का इस्तेमाल करेगी, यह ड़र जताया जा रहा है| फिलहाल यूरोप की ज़रूरतों में से ३० प्रतिशत से अधिक ईंधन की आपूर्ति रशिया से हो रही है| यूरोप में ठंड़ का मौसम, ईंधन की बढ़ती मांग और पहले से सप्लाई में महसूस हो रही कमी पर गौर करें तो रशिया ने ईंधन को हथियार की तरह इस्तेमाल किया तो यूरोप गंभीर संकट में घिर सकता है|

इस बात का अहसास होने के बावजूद जर्मनी जैसे शीर्ष यूरोपिय देश ने रशिया के साथ ‘नॉर्ड स्ट्रीम २’ ईंधन पाइपलाइन प्रकल्प पूरा किया है| यह ईंधन पाइपलाइन अभी शुरू नहीं हुई है, फिर भी निकट भविष्य में कुछ ही महीनों में इसका इस्तेमाल शुरू होने के संकेत हैं| इस पृष्ठभूमि पर रशिया ने यूक्रैन के साथ संघर्ष शुरू किया तो यूरोपिय देश मुश्किल में फंसने की संभावना है और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के बयान से यही बात रेखांकित हो रही है|

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