भारत-इंडोनेशिया कारोबार में होगा स्थानिय मुद्रा का इस्तेमाल

गांधीनगर – प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के यूएई दौरे में दोनों देशों ने रुपया-दिरहम के माध्यम से कारोबार करने का निर्णय हुआ था। इस मुद्दे पर रिज़र्व बैंक और यूएई की सेंट्रल बैंक ने समझौता भी किया है। इसके बाद भारत-इंडोनेशिया कारोबार में भी स्थानिय मुद्रा का इस्तेमाल करने की चर्चा शुरू होने की जानकारी सामने आयी है। गुजरात के गांधीनगर में आयोजित ‘जी २०’ परिषद में शामिल भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारामन और इंडोनेशिया की वित्त मंत्री मुलियानी इंद्रावती के बीच इस मुद्दे पर चर्चा होने की खबर है। 

स्थानिय मुद्राकरीबन १९ देशों ने भारत के साथ स्थानीय मुद्रा के माध्यम से कारोबार करने का निर्णय किया है। आगे के दिनों में इन देशों से कारोबार करने के लिए भारत को डॉलर की आवश्यकता नहीं रहेगी। भारत का रुपया यह देश स्वीकार करेगा। इस वजह से भारत की अर्थव्यवस्था को अधिक मज़बूती प्राप्त होगी। साथ ही भारत के रुपये को अंतरराष्ट्रीय मुद्रा के तौर पर स्वीकृति प्राप्त होने के नज़रिये से भी यह कारोबार काफी अहम साबित होगा। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बने डॉलर के भविष्य को लेकर चिंता जताकर दुनिया भर के प्रमुख देश इसका विकल्प तलाश ने में लगे हैं। ऐसी स्थिति में भारत का रुपया स्वीकार ने की तैयारी विश्व के प्रमुख देशों ने भी की है और इन देशों की संख्या बढ़ रही हैं।

इससे भारत और इंडोनेशिया ने भी द्विपक्षीय कारोबार में स्थानीय मुद्रा इस्तेमाल करने के संकेत दिए हैं। ‘जी २०’ इसके लिए अच्छा व्यासपीठ होगा, ऐसा भारतीय अधिकारी ने कहा है। इस कारण से भारत और डॉलर के कारोबार से जल्द ही डॉलर हटेगा, ऐसे संकेत भी प्राप्त हो रहे हैं। यूएई जैसे देश ने भारत की मुद्रा पर दिखाए भरोसे का असर दिखने लगा है और आगे के दिनों में और कुछ देश भारत के कारोबार में रुपया इस्तेमाल करने के लिए पहल करेंगे, ऐसे संकेत भी प्राप्त हुए है।

नामांकित आर्थिक विशेषज्ञ नुरियल रुबिनी ने भारत का रुपया अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बन सकता है, यह दावा किया था। भारत को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्राप्त हो रही नई उंचई और इसके बढ़ रहे भरोसे के बलबूते पर रुपया प्रमुख अंतरराष्ट्रीय मुद्रा बनकर उभर सकता है, ऐसा रुबिनी ने कहा था।

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