भारत-रशिया न्याय्य और बहु ध्रुवीय विश्‍व के पक्ष में – रशियन विदेश मंत्रालय

मास्को – भारत और रशिया अधिक न्याय्य और बहु ध्रुवीय वैश्‍विक व्यवस्था के पक्ष में हैं। कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भारत और रशिया की भूमिका लगभग एक समान है, ऐसा बयान रशियन विदेश मंत्रालय ने किया हैं। भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर का रशिया दौरा शुरू हो रहा है और इसी बीच रशियन विदेश मंत्रालय ने किए दावे ध्यान आकर्षित करते हैं। यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए भारत कर रहें आवाहन के पृष्ठभूमि पर विदेश मंत्री जयशंकर की इस रशिया यात्रा पर पूरे विश्‍व की नज़ लगी होने का दावा किया जा रहा है।

न्याय्यविदेश मंत्री जयशंकर रशिया के विदेश मंत्री सर्जेई लैव्हरोव्ह से चर्चा कगे। इसमें दोनों देशों के व्यापार, निवेश के साथ दोनों देशों के मुद्रा का व्यापार में इस्तेमाल करने के मुद्दे का समावेश है। भारत और रशिया रुबल में कारोबार कगे और इसके लिए दोनों देशों ने आवश्यक कदम बढ़ाएँ हैं। इसके अनुसार रशियन बैंकस्‌ और कंपनियां भारतीय बैंको में खाता शुरू कर रहे हैं। साथ ही अक्तुबर महीने में रशिया ही भारत को सबसे अधिक मात्रा में कच्चे तेल प्रदान करने वाला देश बना था। इस वजह से भारत-रशिया का व्यापार रुपया और रुबल से होने की अहमियत काफी बढ़ी हैं। इस वजह से भारतीय रुपये की विश्‍वासार्हता अधिक मात्रा में बढ़ेगी और रशिया की तरह अन्य देश भी रुपये से कारोबार करने की तैयारी दिखा रहे हैं।

साथ ही उर्जा क्षेत्र के महत्वाकांक्षी प्रकल्प के सहयोग पर विदेश मंत्री जयशंकर और विदेश मंत्री लैव्हरोव्ह की चर्चा होगी। साथ ही ‘एशिया और पैसिफिक’ महासागर की सुरक्षा संबंधित रचना पर भी दोनों देशों के विदेश मंत्री चर्चा कगे, यह जानकारी रशियन विदेश मंत्रालय ने साझा की। अंतरराष्ट्रीय स्तर के मुद्दे और समस्या पर भी जयशंकर और लैव्हरोव्ह सोच विचार कग, ऐसा रशियन विदेश मंत्रालय ने कहा हैं। इन सभी राजनीतिक स्तर की चर्चा के आगे जाकर जयशंकर और लैव्हरोव्ह की मुलाकात की ओर पूरा विश्‍व देख रहा हैं, ऐसा दावा किया जा रहा है।

रशिया और यूक्रेन युद्ध रोकने में क्या भारत कामयाब होगा, यही चर्चा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शुरू हैं। एक ही समय पर रशिया और यूक्रेन से भी अच्छे ताल्लुकात रखनेवाले चुनिंदा देशोफ्ल में भारत का समावेश हैं। इसके अलावा भारत ने यूक्रेन युद्ध रोकने के लिए योगदान देने की तैयारी दिखाई थी। रशिया ने कब्ज़ा किए यूक्रेन के झैपोरिझिआ परमाणु प्रकल्प के क्षेत्र में घना संघर्ष होने यूरोप के इस सबसे बड़े परमाणु प्रकल्प के लिए खतरा बना था। इस संघर्ष की वजह से यहां से रेडिएशन शुरू होगा, इस ड़र से यूरोप समेत पूरा विश्‍व चिंता से घिरा था। लेकिन, भारत ने मध्यस्थता करके रशिया को रोकने का काफी बड़ा काम किया और इस वजह से यूक्रेन को भी समझौता करना पड़ा था।

भारत ने निभायी इस अहम ज़िम्मेदारी की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जितनी होनी आवश्‍यक थी उतनी चर्चा नहीं हुई। फिर भी भारत ने यूक्रेन युद्ध रोकने की कोशिश जारी रखी थी। इसी वजह से विदेश मंत्री एस.जयशंकर की इस रशिया यात्रा की अहमियत अधिक बढ़ी हैं और भारत को यह युद्ध रोकने में क्या सफलता प्राप्त होगी, ऐसी चर्चा शुरू हुई हैं। कुछ दिन पहले अमरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकन ने भी विदेश मंत्री जयशंकर से फोन पर बातचीत की थी। इस ओर भी माध्यम ध्यान आकर्षित कर रहे हैं। ऐसे में भारत ने यूक्रेन से गुहार लगाकर रशिया से चर्चा करने को कहा था। लेकिन, यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष झेलेन्स्की ने इसपर इन्कार करने की खब कुछ वृत्तसंस्थाओफ्ल ने दिए हैं। जबतक व्लादिमीर पुतिन रशिया के राष्ट्राध्यक्ष रहेंगे तबतक चर्चा मुमकिन ना होने की अड़ियल भूमिका यूक्रेन के राष्ट्राध्यक्ष ने अपनाई हैं। लेकिन, यूक्रेन में शुरू युद्ध परमाणु युद्ध में तब्दिल होने की कड़ी संभावना सामने आ रही हैं और ऐसें में अमरीका में भी काफी बड़ी राजनीतिक बदलाव के आसार दिख रहे हैं और ऐसें में युद्ध को लेकर बायडेन प्रशासन की भूमिका मे बदलाव होने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर यह युद्ध रोकने के लिए भारत कर रही कोशिशों को कामयाबी मिलने की संभावना अधिक बढ़ने के संकेत प्राप्त हो रहे हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published.