पाकिस्तान की तरह नेपाल की सेना भी व्यावसायिक उपक्रम चलाएगी

काठमांडू – नेपाल में बड़ा राजनीतिक संघर्ष जारी है। इस वजह से नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली की सरकार किसी भी क्षण गिरने की संभावना बनी हुई है और ऐसे में नेपाल की सियासत में चीन की दखलअंदाज़ी बढ़ी है। इसके अलावा भारत और नेपाल के बीच बढ़ रही दूरी का लाभ उठाने की कोशिश चीन कर रहा है। ऐसे में चीन और पाकिस्तान के नेपाल पर बढ़ रहे प्रभाव का नया मामला सामने आया है। नेपाल की सेना अब व्यावासयिक निवेश करने की तैयारी में है। पाकिस्तानी सेना अलग अलग व्यावसायिक उपक्रम चलाती है। इसी तरह नेपाल की सेना अब ज़्यादा मुनाफेवाली परियोजनाओं में निवेश करेगी, ऐसी ख़बर नेपाल के समाचार पत्रों ने जारी की है।

Nepal-Armyनेपाली सेना ने करोबार में रूचि दिखाने से नेपाल में ही सेना पर आलोचना हो रही है। लेकिन, इस बात को नज़रअंदाज़ करके नेपाल की ‘नैशनल डिफेन्स फोर्स’ ने एक विधेयक तैयार किया है और इसके ज़रिए ‘नेपाल आर्मी ऐक्ट’ में बदलाव लाने का प्रस्ताव रखा गया है। पिछले कुछ वर्षों से नेपाली सेना इसके लिए बड़ा जोर लगा रही है। लेकिन, अब नेपाल की सरकार भी इसे मंजूरी दे सकती है, यह दावा किया जा रहा है। नेपाल की सेना फ़िलहाल पानी की बो्तल, गैस स्टेशन के कारोबार में शामिल है। लेकिन, अब बुनियादी सुविधा एवं बड़ी कंपनियों में निवेश करके अधिक मुनाफा पाने की कोशिश नेपाल की सेना कर रही है।

नेपाल की सेना ने रक्षा संबंधि क्षेत्रों को छोड़कर अन्य उपक्रमों में रूचि लेने के विपरित असर होंगे। इसकी वजह से आनेवाले दौर में नेपाल की सेना कमज़ोर पड जाएगी, यह बात नेपाल के विशेषज्ञ कह रहे हैं। पाकिस्तानी सेना कई व्यावसायिक उपक्रम चलाती है। बीमा से लेकर बैंकिंग, गृहनिर्माण एवं रीटेल उद्योगों में भी पाकिस्तानी सेना जुटी हुई हैं। इसी का प्रभाव नेपाल की सरकार पर होता दिखाई दे रहा है।

इसी बीच, नेपाल में सियासी संघर्ष जारी है। नेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहाल (प्रचंड) ने एक बार फिरसे नेपाल के प्रधानमंत्री के.पी.शर्मा ओली को फटकार लगाई है। पार्टी में दरार न पडे और एकता बरकरार रहे, यह इच्छा नेपाल की जनता के मन में थी। मगर पार्टी की एकता के नाम पर नेताओं के गलत उद्देश्‍य और विचारों का समर्थन नहीं हो सकता, यह बात प्रचंड ने कही। ओली और प्रचंड के बीच बना विवाद ख़त्म होने की संभावना कम है और नेपाल के प्रधानमंत्री संसद को विसर्जित करके मध्यवर्ती चुनाव करवा सकते हैं, ऐसे समाचार प्राप्त हुए थे।

इसी दौरान, भारत के साथ बढ़ रहे तनाव के लिए नेपाल भारत को ही ज़िम्मेदार ठहराया रहा है। लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा के मुद्दे पर हो रहा विवाद ख़त्म करने के लिए नेपाल ने कई बार कोशिश की, लेकिन भारत ने इस पर ध्यान नहीं दिया। अब इस मसले पर ज़ल्द से ज़ल्द चर्चा होनी चाहिए। लेकिन, भारत हमें छोड़कर सारे विश्‍व से चर्चा करता है, यह बात नेपाल के विदेशमंत्री ग्यावली ने कही है। साथ ही भारतीय सेना में नेपाली युवकों को शामिल करने के बारे में किया गया समझौता पुराना हो चुका हैं और इस समझौते की दुबारा समीक्षा करने की आवश्‍यकता ग्यावली ने व्यक्त की।

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