अफ़गानिस्तान और नेपाल को पाकिस्तान का आदर्श रखना चाहिए – चीन की उम्मीद

नई दिल्ली – नेपाल और अफ़गानिस्तान को पाकिस्तान का आदर्श रखना होगा और चीन के साथ सहयोग और मज़बूत करें, ऐसी सलाह चीन के विदेशमंत्री वँग यी ने इन देशों को दी है। चीन, नेपाल, अफ़गानिस्तान और पाकिस्तान के विदेशमंत्रियों की मंगलवार को वर्च्युअल बैठक हुई। यह बैठक कोरोना की महामारी का मुकाबला करने के लिए सहयोग बढ़ाने के उद्देश्‍य से आयोजित की गई थी। लेकिन, इस बैठक के दौरान चीन ने ‘बेल्ट ऐण्ड रोड’ (बीआरआय) परियोजना के लिए नेपाल और अफ़गानिस्तान से सहयोग की उम्मीद जताई। इस पर चीन की बेचै स्पष्ट हो रही हैं, यह बात विश्‍लेषकों ने कही हैं।

पाकिस्तान का आदर्श

कोरोना वायरस की महामारी के बाद विश्‍वभर में चीन के प्रति बड़ा गुस्सा है। कई देश चीन के साथ बने अपने सहयोग घटा रहे हैं। गलवान वैली के संघर्ष के बाद भारत ने चीन के विरोध में आक्रामक भूमिका अपनाई है और विश्‍वभर से भारत को समर्थन प्राप्त हो रहा है। चीन ऐसी स्थिति में भारत के पड़ोसी देशों पर दबाव बढ़ाने की कोशिश कर रहा है। चीन-पाकिस्तान इकॉनॉमिक कॉरिडॉर का अफ़गानिस्तान तक विस्तार किया जाए तो इससे अफ़गानिस्तान को भी लाभ होगा, ऐसा कहकर चीन के विदेशमंत्री वँग यी ने अफ़गानिस्तान से सहयोग की माँग की है। नेपाल और अफ़गानिस्तान को इसके लिए अपने घनिष्ट मित्रदेश पाकिस्तान का आदर्श रखने की सलाह भी दी गई।

अफ़गानिस्तान के कार्यवाहक विदेशमंत्री मोहम्मद हनीफ अत्मार और नेपाल के विदेशमंत्री प्रदीप कुमार गवली इस बैठक में शामिल थे। लेकिन, पाकिस्तान के विदेशमंत्री शहा महमूद कुरेशी की ज़गह पर पाकिस्तान के वित्तमंत्री मखदूम खुसरो बख्तियार इस बैठक में उपस्थित रहे। इस दौरान पाकिस्तान ने फिरसे कश्‍मीर का मुद्दा उपस्थित किया।

चीन द्वारा नेपाल और अफ़गानिस्तान के साथ सहयोग बढ़ाने की कोशिश भारत के विरोध में पड़ोसी देशों का मोर्चा तैयार करने की बात स्पष्ट हो रही है। चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना बनी ‘बीआरआय’ फिलहाल मुश्‍किल में है। कोरोना की महामारी की वजह से चीन द्वारा निवेश किए गए देशों की अर्थव्यवस्था को बड़ी गिरावट का सामना करना पड रहा है और ऐसी स्थिति में चीन को इससे लाभ प्राप्त होने की संभावना कम होने की रपट प्राप्त हो रही है। साथ ही वर्तमान में भू-राजनीतिक समिकरण भी चीन के विरोध में है और दक्षिणी एशिया में भारत के पड़ोसी देशों को अपनी ओर खींचकर नया मोर्चा बनाने की कोशिश चीन कर रहा है।

ऐसे में नेपाल की चीन समर्थक के.पी.ओली की सरकार ने लगातार भारत के विरोध में भूमिका अपनाई है, लेकिन उसे अपने ही देश में विरोध का सामना करा पड़ रहा हैं। उनकी सरकार गिरने की स्थिति में है। नेपाल ने भारत के विरोध में विवादित निर्णय के बावजूद भारत के साथ चर्चा करने की कोशिश जारी रखी है। साथ ही नेपाल के लिए चीन कभी भी भारत का विकल्प साबित नहीं हो सकता, यह बात उस देश के विश्‍लेषक कह रहे हैं।

अफ़गानिस्तान की सरकार अपने देश में पाकिस्तान द्वारा की जा रही दखलअंदाज़ी और आतंकी गतिविधियों को विरोध कर रही हैं और ऐसी स्थिति में उन्हें पाकिस्तान का आदर्श रखने के लिए कहना हास्यास्पद साबित होता है, यह बात भी कई विश्‍लेषकों ने कही है। साथ ही सीपीईसी परियोजना का पाकिस्तान में ही विरोध हो रहा है और भारत अगर पीओके पर कब्ज़ा करे तो इस परियोजना का क्या होगा, यह ड़र भी चीन को सता रहा है। इसी बीच भारत इन दिनों चीन की इन गतिविधियों पर बारीकी से नज़र जमाए हुए है।

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