चीन प्रायोजित यूरोपिय गुट से लाटविया और इस्टोनिया बाहर

ब्रुसेल्स/बीजिंग – यूरोप के बाल्टिक क्षेत्र के लाटविया और इस्टोनिया ने चीन प्रायोजित यूरोपिय गुट से बाहर निकलने का ऐलान किया। चीन ने ताइवान के खिलाफ शुरू की हुई गतिविधियों की पृष्ठभूमि पर हुई यह घटना ध्यान आकर्िषत कर रही हैं। पिछले साल बाल्टिक क्षेत्र के लिथुआनिया ने चीन प्रायोजित गुट से बाहर निकलने का ऐलान किया था। पिछले दो सालों में चीन और यूरोपिय महासंघ के संबंधों में दरार बन रहीं हैं और यह घटना इसकी पुष्टी करती हैं। कुछ ही महीनें पहीले झ्ोक रिपब्लिक ने चीन प्रायोजित गुट छोड़ने की चेतावनी दी थी।

लाटविया और इस्टोनियाचीन और यूरोपिय महासंघ के बीच राजनीतिक, व्यापारी एवं निवेष संबंधित सहयोग स्थापीत होने के बावजूद साल २०१२ में ‘चायनासीईई’ (१६+१) का गठन किया गया था। मध्य और पूर्व यूरोपिय देशों से व्यापार और निवेष बढ़ाना इसकी मंशा होने का बयान चीन ने किया था। लेकिन, असल में महासंघ की नीति एवं नियमों से बचकर छोटे यूरोपिय देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने के लिए चीन ने यह चाल चली थी। चीन ने इस तरह से स्वतंत्र गुट गठित करना महासंघ में दरार बनाने की कोशिश हैं, ऐसी आलोचना भी यूरोपिय विश्लेषकों ने की थी। लेकिन, इसे अनदेखा करके चीन ने मध्य और पूर्व यूरोपिय देशों में अपना प्रभाव बढ़ाने की कोशिशें जारी रखी थी।

लेकिन, इस गुट के गठन होने का दशक पूरा हो रहा हैं और इसी दौरान इसे झ्ाटके लगने शुरू हुए हैं। हाँगकाँग, ताइवान और झ्ािंजियांग जैसें मुद्दों पर यूरोपिय देश और चीन के मतभेद तीव्र हो रहे हैं। इसी में कोरोना की महामारी और रशिया-यूक्रेन युद्ध का इज़ाफा हुआ हैं और यूरोपिय देशों की नाराज़गी हर दिन बढ़ रही हैं।

पिछले साल लिथुआनिया जैसें छोटे देश ने ताइवान के मुद्दे पर चीन को चुनौती दी थी। इस देश ने ‘चायना-सीईई’ गुट से बाहर होकर चीन को झ्ाटका दिया था। साथ ही अन्य देश भी यह गुट छोड़े, यह आवाहन किया था। इसके बाद अब बाल्टिक के लिथुआनिया के पड़ोसी देश लाटविया और इस्टोनिया इन देशों ने अब चीन प्रायोजित गुट छोड़कर चीन का दबाव ठुकराया हैं।

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