चीन, रशिया की हवाई गश्त को प्रत्युत्तर देने के लिए जापान, दक्षिण कोरिया ने लड़ाक़ू विमान भेजे

सेऊल – चीन और रशिया ने ‘सी ऑफ जापान’ तथा ‘ईस्ट चाइना सी’ इन सागरी क्षेत्रों में हवाई गश्त की थी। लेकिन बिन कोई सूचना देते हुए चीन-रशिया ने की हुई यह हवाई गश्त यानी हमारे हवाई क्षेत्र में घुसपैंठ साबित होती है, ऐसा दावा दक्षिण कोरिया ने किया है। उसके विरोध में दक्षिण कोरिया ने अपने लड़ाक़ू विमान रवाना किये थे। वहीं, दक्षिण कोरिया का साथ देने के लिए जापान के लड़ाक़ू विमान भी साथ में थे। इससे पूर्वी एशिया में तनाव पैदा हुआ था। 

हवाई गश्तचीन और रशिया लष्करी अभ्यासों का आयोजन करके, उनका आपसी सहयोग मज़बूत है यह दिखा रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर, मंगलवार को चीन-रशिया के हवाईबलों की संयुक्त गश्त संपन्न हुई। इसमें दोनों देशों के लड़ाक़ू तथा बॉम्बर विमान सहभागी हुए थे। दोनों देशों के बीच की वार्षिक हवाई कसरत का यह भाग था, ऐसा चीन के रक्षा मंत्रालय ने घोषित किया।

लेकिन चीन के ‘एच-६के’ और रशिया के ‘टीयू-९५’ इन बॉम्बर विमानों ने तथा ‘सुखोई-३५’ इस अतिप्रगत रशियन लड़ाक़ू विमान ने अपनी हवाई सीमा में प्रवेश किया होने का आरोप दक्षिण कोरिया ने किया है। चीन-रशिया की यह हवाई गश्त हमारी सार्वभौमिकता का उल्लंघन करनेवाली है, ऐसी आलोचना करते हुए दक्षिण कोरिया ने अपने लड़ाक़ू विमान रवाना किये। ‘सी ऑफ जापान’ में चीन-रशिया के इन कारनामों के विरोध में जापान ने भी अपने लड़ाक़ू विमान चीन-रशियन विमानों के पीछे रवाना किये। 

सन २०१९ से चीन और रशिया के हवाईबलों ने इस क्षेत्र में छह बार संयुक्त गश्त की। हर बार दोनों देशों के विमानों ने जापान एवं दक्षिण कोरिया की हवाई सीमा का उल्लंघन किया होने के आरोप इन देशों ने किये थे। इससे पहले दक्षिण कोरिया और जापान ने चीन-रशिया के इस हवाई गश्त पर इतनी आक्रामक प्रतिक्रिया नहीं दी थी। लेकिन पिछले साल रशिया ने युक्रेन के विरोध में शुरू किया युद्ध और ताइवान की ख़ाड़ी में चीन की बढ़ती आक्रामकता की पृष्ठभूमि पर, दक्षिण कोरिया तथा जापान ने इस मामले में सख़्त भूमिका अपनाने का फ़ैसला किया दिखाई दे रहा है। 

इस क्षेत्र में अमरीका और मित्रदेशों को चेतावनी देने के लिए चीन वर्चस्ववादी कारनामें कर रहा होने का दावा किया जाता है। पिछले कुछ महीनों से अमरीका ने जापान और दक्षिण कोरिया इन ‘नाटो प्लस’ के सदस्य देशों के साथ लष्करी सहयोग बढ़ाया है। उत्तर कोरिया का ख़तरा अधोरेखांकित करके अमरीका जापान-दक्षिण कोरिया के साथ रक्षा सहयोग कर रही है। कुछ ही दिन पहले, अमरीका ने जापान और फिलिपींस समेत ‘साऊथ चाइना सी’ की सीमा में पहला नौसेना अभ्यास आयोजित किया था। वहीं, अमरीका जल्द ही दक्षिण कोरिया और जापान समेत स्वतंत्र संयुक्त अभ्यास का आयोजन करनेवाली है। अमरीका का यह अभ्यास, चीन की सार्वभौमिकता और क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए ख़तरनाक होने की चेतावनी चीन ने दी थी।

इसी बीच, लष्करी ताकत के मामले में अमरीका के बाद चीन यह दुनिया का दूसरे नंबर का देश है, ऐसा दुनियाभर के अभ्यासगुटों का कहना है। लेकिन चीन का रक्षाबल केवल संख्या में बड़ा होकर, सामर्थ्य के मामले में वह खोख़ला है, ऐसा लष्करी विश्लेषकों का कहना है। चीन ‘वरयाग’ विमानवाहू युद्धपोत बड़ी सागरी मुहिम पर ले जाने के लिए सक्षम ना होकर, ‘फुजियान’ विमानवाहक युद्धपोत में क्रैक्स आये होने की बात सामने आयी है। हवाईबल के लड़ाक़ू विमान उड़ान भरने के लिए सक्षम ना होकर, चीन के पास के प्रशिक्षित पाइलटों की संख्या भी कम होती चली जा रही है। इसलिए रशिया को साथ लेकर चीन पूर्व एशिया में तनाव क़ायम रखने की कोशिश में होने का दावा लष्करी विश्लेषक कर रहे हैं।

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