‘रिन्यूएबल एनर्जी’ के मुद्दे पर कतार की युरोपीय देशों को कड़ी चेतावनी – सऊदी अरब के ऊर्जामंत्री द्वारा कतार का समर्थन

दोहा – पिछले कुछ सालों से युरोपीय देशों ने अपनी ईंधन की ज़रूरत को पूरा करने के लिए पारंपरिक ऊर्जा के बजाय रिन्यूएबल एनर्जी (अक्षय ऊर्जा) की ओर एक विकल्प के रूप में देखना शुरू किया है। इसके लिए युरोपीय देशों ने ईंधन पर निर्भरता कम करने के लिए कुछ लक्ष्य निर्धारित किया है। इसपर कतार ने ग़ुस्सा ज़ाहिर किया है। ‘युरोपीय देशों ने अभी तक ईंधन के बिना ठंड़ का अनुभव नहीं किया है। युरोप ने अभी ईंधन की किल्लत का भयंकर अनुभव करना है, ऐसी कड़ी चेतावनी कतार के ऊर्जामंत्री साद अल-काबी ने दी। 

‘रिन्यूएबल एनर्जी’जलवायु परिवर्तन की पृष्ठभूमि पर अमरीका और युरोपीय महासंघ ने ‘एनर्जी ट्रांझिशन’ की घोषणा की है। इसके तहत युरोपीय महासंघ ने सन २०३० तक ईंधन तथा ईंधनवायु पर रहनेवाली निर्भरता को पूरी तरह ख़त्म करके रिन्यूएबल एनर्जी का स्वीकार करने की नीति अपनाई है। इस संदर्भ में मार्च महीने में युरोपीय महासंघ की बैठक संपन्न हुई थी। इसके लिए युरोपीय महासंघ कर रहे ईंधन की आयात को तथा उसमें किये जा रहे निवेश को कम करने पर इस बैठक में मान्यता दी गई थी।

‘लिक्विफाईड नॅचरल गैस’ यानी द्रवीकृत प्राकृतिक वायु के दुनिया के सबसे बड़े निर्यातक के रूप में कतार जाना जाता है। सन २०२७ तक १२ करोड़ ६० टन ईंधनवायु की निर्यात करने का लक्ष्य कतार ने रखा है। युरोप के अधिकांश देश कतार से मिलनेवाली ईंधनवायु पर निर्भर हैं। रशिया-युक्रेन युद्ध भड़कने के बाद युरोपीय देशों ने कतार से ईंधनवायु की निर्यात बढ़ाई थी। ऐसी परिस्थिति में, युरोपीय महासंघ के इस फ़ैसले पर कतार ने अपनी नाराज़गी ज़ाहिर की है।

‘युरोपीय महासंघ ने रिन्यूएबल एनर्जी के संदर्भ में किया फ़ैसला बहुत ही आक्रामक है। युरोप इस मामले में जल्दबाज़ी ना करें। क्योंकि युरोपीय महासंघ सिर्फ़ पर्यावरण की ज़िम्मेदारी निभाने के लिए यह कदम उठा रहा है, लेकिन आर्थिक स्थिरता के बारे में सोचने के लिए महासंघ तैयार नहीं है’, ऐसा आरोप कतार के ऊर्जामंत्री साद अल-काबी ने किया। साथ ही, युरोपीय देशों ने कड़ाके की ठंड़ का अभी तक अनुभव ही नहीं किया है, इसकी भी याद अल-काबी ने दिला दी। 

‘रिन्यूएबल एनर्जी’गत वर्ष युरोपीय देशों ने, युक्रेन युद्ध के लिए रशिया को ज़िम्मेदार ठहराकर रशिया पर प्रतिबंध लगाये थे। रशिया से ईंधन की ख़रीद रोकने का फ़ैसला युरोपीय देशों पर ही बूमरैंग हुआ था। ऐसी परिस्थिति में, युरोपीय देशों ने कतार से बड़े पैमाने पर ईंधनवायु की आयत करके अपनी ज़रूरत पूरी की थी। लेकिन आनेवाले दौर में रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल करने का फ़ैसला करके युरोपीय देश कतार को दग़ा दे रहे हैं, ऐसा कतार को लगने लगा है। इसी कारण, इस बात को लेकर कतार ने युरोपीय देशों को खरी-खरी सुनाई दिख रही है। ईंधनवायु के ना रहते कड़ाके की ठंड़ का सामना करने की आदत अब युरोपीय देशों को नहीं रही है, ऐसा कहते हुए अल-काबी ने, कतार युरोपीय देशों को की जानेवाली ईंधनवायु की आपूर्ति को रोक सकता है, ऐसी चेतावनी दी है।

सऊदी अरब के ऊर्जामंत्री प्रिन्स अब्दुलअझिझ ने भी कतार के ऊर्जामंत्री ने दी चेतावनी का समर्थन किया। युरोपीय महासंघ के वरिष्ठ नेताओं ने अपनी आँखों पर पट्टी लगाई होने की आलोचना प्रिन्स अब्दुलअझिझ ने की। ‘युरोप को ऐसा लग रहा है कि वे आसानी से ईंधन तथा ईंधनवायु पर रहनेवाली निर्भरता को कम करेंगे और रिन्यूएबल एनर्जी का इस्तेमाल करेंगे। लेकिन यह बहुत ही मुश्किल है’, इसका एहसास सऊदी के ऊर्जामंत्री ने करा दिया।

इससे पहले भी सऊदी अरब तथा युएई ने, ईंधनक्षेत्र में निवेश कम होने के कारण अमरीका तथा युरोपीय महासंघ की आलोचना की थी। रिन्यूएबल एनर्जी यह पारंपरिक ईंधन के लिए विकल्प नहीं है, ऐसी चेतावनी सऊदी तथा युएई ने दी थी।

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