जापान और ब्रिटेन की ऐतिहासिक ‘हिरोशिमा अकॉर्ड’ को मंजूरी

टोकियो/लंदन – रक्षा, अर्थ और प्रौद्योगिकी क्षेत्र का सहयोग मज़बूत करके चीन के वर्चस्व को चुनौती देने वाले ऐतिहासिक ‘हिरोशिमा अकॉर्ड’ को जापान और ब्रिटेन ने मंजूरी प्रदान की। जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषी सुनाक के दौरे में यह ऐलान किया गया। यह समझौता दोनों देशों के रणनीतिक और सामरिक भागीदारी का हिस्सा है, यह कहकर ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ने इसकी अहमियत रेखांकित की। साथ ही ब्रिटेन का विमान वाहक युद्धपोत और ‘कैरिअर स्ट्राईक ग्रुप’ वर्ष २०२५ में फिर से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में दाखिल होगा, यह ऐलान भी प्रधानमंत्री सुनाक ने किया। 

‘हिरोशिमा अकॉर्ड’पिछले दशक में ब्रिटेन के उस समय के प्रधानमंत्री डेविड कैमेरॉन ने ब्रिटेन-चीन संबंधों का ज़िक्र सूवर्ण युग के तौर पर करके चीन के संबंध अधिक मज़बूत करने के लिए कदम बढ़ाए थे। लेकिन, पिछले कुछ सालों में ब्रिटेन और चीन के द्विपक्षीय संबंध बिगड़ना शुरू हुआ है। हाँगकाँग, ताइवान, उइगरवंशी, ५ जी, कोरोना के संकट जैसे कई मुद्दों पर दो देशों के बीच लगातार तनाव बढ़ रहा है। ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री ने हाल ही में ऐसी आक्रामक मांग की थी कि, चीन ही ब्रिटेन की सुरक्षा के लिए खतरा घोषित किया जाए। 

‘हिरोशिमा अकॉर्ड’चीन के इस तनाव की पृष्ठभूमि पर ब्रिटेन ने एशिया के अन्य देशों की भागीदारी मज़बूत करने के लिए कदम बढ़ाए हैं और जापान इसमें शीर्ष देश है। पिछले एक साल से अधिक समय से जापान और ब्रिटेन के वरिष्ठ अधिकारी और नेताओं की सहयोग बढ़ाने के लिए लगातार चर्चा हो रही थी। गुरुवार को घोषित ‘हिरोशिमा अकॉर्ड’ इसी का फल समझा जाता है।

‘हिरोशिमा अकॉर्ड’ में तीन मुद्दों पर जोर दिया गया है। इसमें ‘युरो अटलांटिक’ और ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र की सुरक्षा अहम मुद्दे हैं और इसके लिए दोनों देश रक्षा सहयोग बढ़ा रहे हैं। सुरक्षा के लिए स्थिरता और आर्थिक समृद्धी के योगदान पर गौर करके दोनों देश अपना आर्थिक सहयोग मज़बूत करेंगे। इसके लिए ऊर्जा और प्रौद्योगिकी क्षेत्र पर अधिक ध्यान दिया जाएगा। अंतरराष्ट्रीय स्तर की विभिन्न चुनौतियों का एक साथ मुकाबला करने का निर्धार भी इस समझौते का मुद्दा है। यह समझौता चीन के बढ़ते वर्चस्व को रोकने के लिए शुरू कोशिशों का हिस्सा होने का बयान ब्रिटीश सरकार ने किया है। 

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