भारत को घातक हथियारों की आपूर्ति करने के लिए जापान तैयार

टोकियो – दूसरे विश्वयुद्ध में अपनायी रक्षात्मक नीति को पीछे छोड़कर जापान ने अपनी रक्षानीति में आक्रामक बदलाव किए है। चीन से निर्माण खतरे काफी बढ़ने के बाद जापान ने अपना रक्षाखर्च बढ़ाने के साथ ही हथियार और रक्षासामान का निर्यात करने का निर्णय किया। इस वजह से जापान ११ देशों के अलावा भारत को घातक हथियारों की आपूर्ति करेगा। इनमें मिसाइलों के साथ लड़ाकू विमानों का भी समावेश है। भारतीय प्रधानमंत्री की यात्रा के बाद जापान की नीति में आया यह बदलाव ध्यान आकर्षित कर रहा है।

घातक हथियारों की आपूर्ति‘क्वाड’ देशों की बैठक के लिए प्रधानमंत्री मोदी जापान के दौरे पर गए थे। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी और जापान के प्रधानमंत्री फुमिओ किशिदा में काफी अहम द्विपक्षीय चर्चा हुई। क्वाड की बैठक के दौरान ही चीन के लड़ाकू विमानों ने जापान के हवाई क्षेत्र के करीब काफी खतरनाक उड़ान भरी थी। इससे चीन ने जापान एवं क्वाड़ के अन्य सदस्य देशों को ‘संदेश’ देने की चर्चा हुई थी। इसके बाद जापान ने अपनी रक्षा संबंधी नीति में अहम बदलाव करने का ऐलान किया है।

जापान ने भारत और अन्य ११ देशों को हथियार और रक्षा सामान की आपूर्ति करने का निर्णय लिया है। इसमें ऑस्ट्रेलिया के अलावा आग्नेय एशियाई देश और यूरोपिय देशों का भी समावेश है। जापान का भारत के साथ यह सहयोग करना चीन की चिंता अधिक बढ़ा सकता है। इससे पहले साल २०१५ में भारत और जापान ने रक्षा प्रौद्योगिकी हस्तांतरित करने का समझौता किया था। साल २०२१ में दोनों देशों के बीच एक-दूसरे के रक्षाबलों को अपने सैन्य अड्डे एवं अन्य सहायता प्रदान करने संबंधी समझौता हुआ। इस समझौते की वजह से युद्ध की स्थिति में भारत और जापान एक-दूसरे को अधिक प्रभावी सहायता कर सकेंगे।

चीन की वर्चस्ववादी नीति के मद्देनज़र भारत और जापान ने इस सहयोग की नींव रखी थी। इस वजह से जापान की बदलती रक्षा संबंधी नीति का लाभ भारत को मिल सकेगा। चीन के जितनी बड़ी थलसेना, नौसेना एवं वायुसेना ना होने के बावजूद जापान के पास आधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकी है, इसका अहसास चीन को भी है। भारत जैसे देश को यह तकनीक और जापान की सहायता प्राप्त हुई तो भारत का सामर्थ्य अधिक बढ़ेगा, इस चिंता ने चीन को पहले भी परेशान किया था। इसी वजह से भारत और जापान के सहयोग को चीन काफी सावधानी से देख रहा है। चीन के सरकारी माध्यम भारत और जापान का सहयोग चीन विरोधि ही है, यह बात ड़टकर कह रहे हैं। इस पृष्ठभूमि पर जापान की बदलती रक्षा नीति पर चीन का बयान प्राप्त हो सकता है।

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