‘ऑर्बिटर’ ने खिंची ‘थर्मल इमेज’ की सहायता से ‘विक्रम लैंडर’ की खोज करना संभव

बंगलुरु – चांद की पृष्ठभूमि पर उतारने के आखरी स्तर में विक्रम लैंडर से संपर्क टूटने की वजह से इस्रो के महत्वाकांक्षी ‘चांद्रयान-२’ मुहिम को झटका लग रहा था| पर चांद के इर्द-गिर्द भ्रमण करनेवाले ऑर्बिटर ने विक्रम लैंडर के फोटोग्राफ्स नियंत्रण कक्ष को भेजे हैं| विक्रम लैंडर की खोज होने से उम्मीद जगी है और ऑर्बिटर एवं नियंत्रण कक्ष से लैंडर से संपर्क प्रस्थापित करने के लिए प्रयत्न किए जा रहे हैं| इस संदर्भ में मिली जानकारी का विश्‍लेषण किया जाएगा, यह जानकारी इस्रो के प्रमुख के.सिवन ने दी है|

‘चांद्रयान-२’ मुहिम के अंतर्गत रोबोटिक लैंडर एवं रोवर चांद के पृष्ठ भाग पर उतारकर वहां के पृष्ठ भाग का संशोधन करने के लिए भारत ने शुरू की मुहिम को झटका लगा था| शनिवार की सुबह चांद के पृष्ठ भाग पर उतरने से पहले केवल २.१ किलोमीटर उंचाई से विक्रम लैंडर भटका था और उसका संपर्क टूटा था| पर इस मुहिम के अंतर्गत अंतरिक्ष में भेजा गया ऑर्बिटर ठीक तौर पर काम कर रहा है और चांद के इर्द-गिर्द प्रदक्षिणा कर रहा है| जिसकी वजह से यह मुहिम ९५ प्रतिशत सफल ठहरी है| आनेवाले १४ दिनों में विक्रम लैंडर से संपर्क करने का प्रयत्न किया जाएगा| ऑर्बिटर पर बिठाए गए उच्च क्षमता के कैमरा की वजह से लैंडर की अधिक जानकारी मिल सकती है, ऐसी अपेक्षा संशोधन कर्ताओं ने व्यक्त की थी|

ऑर्बिटर से भेजे हुए थर्मल फोटोग्राफ्स की वजह से विक्रम लैंडर को खोजा गया| विक्रम योजना के अनुसार चंद्रमा के पृष्ठ भाग पर जहां उतरने वाला था, वहां से ५०० मीटर अंतर दूर पर होने के फोटोग्राफ से स्पष्ट हो रहा है| ऑर्बिटर पर ‘ऑप्टिकल हाई रेजोल्यूशन कैमरा’ (एचआरसी) यह फोटोग्राफ्स लिए गए हैं्|

इस्रो के प्रमुख के सिवन ने विक्रम लैंडर का पता लगाने की जानकारी घोषित की है| पर आज भी लैंडर से संपर्क नहीं हुआ है, ऐसा सिवनने स्पष्ट किया है| मिले हुए जानकारी का विश्लेषण शुरू है और आनेवाले १५ दिन विक्रम से संपर्क स्थापित करने का इस्रो का प्रयत्न होगा, ऐसा सिवन का कहना है|

विक्रम लैंडर के बारे में अनेक प्रश्न आज भी अनुत्तरित है| लैंडर का हार्ड लैंडिंग हुआ या सॉफ्ट यह अब तक स्पष्ट होना है| लैंडर पर होनेवाले चार छोटे इंजन में से एक ने काम नहीं किया होगा, जिसकी वजह से वह इस मार्ग से भटका है, ऐसी आशंका जताई जा रही है| पर लैंडर ठीक तौर पर चांद के पृष्ठ भाग पर उतरा है, तो उससे संपर्क किया जा सकता है, ऐसा वैज्ञानिक बता रहे हैं|

दौरान इस्रो के इस मुहिम की दुनिया भर से प्रशंसा हो रही है| अमरिका के नासा ने इस्रो के मुहिम की प्रशंसा करते हुए हम इस्रो से प्रभावित होने की बात कही है| तथा सौर मुहिम के लिए इस्रो के साथ काम करने की इच्छा नासा के वैज्ञानिको ने व्यक्त की है|

Leave a Reply

Your email address will not be published.