भारत और दक्षिण कोरिया के बीच हुआ ‘लॉजिस्टिक सपोर्ट’ के लिए समझौता

नई दिल्ली – भारत और दक्षिण कोरिया की नौसेना ने ‘लॉजिस्टिक सपोर्ट’ संबंधी समझौता किया है| रक्षामंत्री राजनाथ सिंग हाल ही में एक सुरक्षा संबंधी परीषद के लिए दक्षिण कोरिया की यात्रा पर थे| इस दौरान दोनों देशों में यह अहम समझौता हुआ है| इस समझौते की वजह से भारत और दक्षिण कोरिया की नौसेना आपातस्थिति के दौरान एक-दुसरे की नौसेना अड्डों का इस्तेमाल कर सकेंगे| इससे भारत को काफी बडा लाभ प्राप्त होगा|

भारत के रक्षामंत्री राजनाथ सिंग और दक्षिण कोरिया के रक्षामंत्री जियोंग क्यांगडूसे के बीच हुई बातचीत के बाद दोनों देशों ने सहयोग बढाने के लिए दो समझौतों पर हस्ताक्षर किए| इनमें से दोनों देशों की नौसेना ने किया ‘लॉजिस्टिक सपोर्ट’ समझौता सामरिक नजरिए से काफी अहमियत रखता है| इस समझौते के अनुसार भारतीय नौसेना दक्षिण कोरिया के नौसेना अड्डों का इस्तेमाल कर सकेगी| इससे भारत और दक्षिण कोरिया के युद्धपोत, पनडुब्बीयां और नौसेना के विमानों को आवश्यक सहायता दोनों देशों में उपलब्ध हो सकेगी|

चीन से प्राप्त समर्थन के बल पर उत्तर कोरिया हमला करने का डर दक्षिण कोरिया को परेशन कर रहा है| ऐसी स्थिति में दक्षिण कोरिया ने भारत के साथ ऐसा सहयोग करना ध्यान आकर्षित कर रहा है| इसके साथ ही कोरियन क्षेत्र में भी भारतीय नौसेना की गतिविधियां बढ सकती है| भारत और दक्षिण कोरिया की नौसेना में बना सहयोग चीन की आक्रामकता को प्रत्युत्तर देनेवाला साबित हो सकता है| इसी लिए व्यूहरचनात्मक नजरिए से इस समझौते का भारत और दक्षिण कोरिया को बडा लाभ होगा|

इससे पहले भारत ने अमरिका, फ्रान्स और सिंगापूर समेत ‘लॉजिस्टिक सपोर्ट’ समझौता किया है| इसके अलावा जापान, ऑस्ट्रेलिया यह इंडो-पैसिफिक देश भी भारत के साथ ऐसे ही समझौते करने की तैयारी में है| इसी बीच भारत-रशिया लॉजिस्टिक समझौते की बातचीत अंतिम स्तर पर होने का समाचार है|

पीछले वर्ष शांग्री-ला सुरक्षा परिषद में समुद्री क्षेत्र पर वर्चस्व करने की महत्वाकांक्षा भारत जरा भी नही रखता, यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट की थी| लेकिन, भारत को ‘इंडो-पैसिफिक’ क्षेत्र की सुरक्षा के लिए रचनात्मक सहयोग करने में रुचि होने की बात प्रधानमंत्री मोदी ने कही थी| इसके लिए इन क्षेत्रों के देशों के साथ लष्करी, खास तौर पर नौसेनाओं का सहयोग बढाने की भारत की कोशिश है, यह भी उन्होंने स्पष्ट किया था| इस क्षेत्र के देशों को भी भारत से यही उम्मीद है|

हिंद महासागर क्षेत्र के बाहर भारत का प्रभाव ना बढे, इसके लिए चीन ने पिछले कुछ वर्षों में बडी चलाखी से कदम बढाए थे| इस क्षेत्र दे देशों के बंदरगाह और अड्डों का इस्तेमाल करके हिंद महासागर क्षेत्र में ही भारत को मुश्किलों में फंसाने की साजिश चीन ने बनाई थी| इस दिशा में चीन ने शुरू की हुई कोशिश ध्यान में रखकर भारत ने भी चीन को प्रति शह देने की तैयारी शुरू की थी| चीन के वर्चरस्ववादी निती की वजह से आग्नेय एशियाई देशों के साथ जापान, दक्षिण कोरिया, ऑस्ट्रेलिया और न्युजिलैंड की चिंता भी बढी है| ऐसी स्थिति में चीन जैसे ताकदवर देश के विरोध में सामरिक मोर्चा बनाना इन देशों के लिए अनिवार्य बना है|

विशेष रूप से उत्तर कोरिया जैसे अपने नजदिकी सहयोगी देश का इस्तेमाल करके चीन दक्षिण कोरिया को लगातार धमका रहा है| दक्षिण कोरिया के अमरिका एवं अन्य पश्‍चिमी देशों के साथ बना सहयोग चीन को हमेशा दर्द देता रहा है| इसीलिए दक्षिण कोरिया की नौसेना ने भारत से सहयोग करना चीन की चिंता बढानेवाली बात साबित होती है|

इससे पहले अमरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया समेत भारत का बना सहयोग ‘क्वाड’ के तौर पर पहचाना जा रहा है| और यह सहयोग हमारे लिए चुनौती है, यह दावा चीन कर रहा है| ऐसे में दक्षिण कोरिया ने भी अमरिका, जापान और अन्य देशों के साथ सहयोग बढाकर चीन एवं उत्तर कोरिया की हरकतों को जवाब देने की तैयारी की है| इस पृष्ठभूमि पर भारत और दक्षिण कोरिया में हुए ‘लॉजिस्टिक सपोर्ट’ समझौते की अहमियत बढ रही है|

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