‘चांद्रयान-२’ ने उडान भरी

श्रीहरिकोट्टा – सोमवार की दोपहर २.४३ बजे भारत के ‘चांद्रयान-२’ ने अंतरिक्ष की दिशा में उडान भरी और पूरे देश में एक ही जल्लोष हुआ| उडान के बाद १६ मिनीट और १४ सेकंद बाद ‘जीएसएलव्ही एमके३-एम१’ ने ‘चांद्रयान’ को पृथ्वी की कक्षा में छोड दिया| इस्रो के प्रमुख के.सिवनने यह सफलता एक ऐतिहासिक घटना होने का बयान करके इस सफलता पर खुशी जताई| इस सफलता के साथ ही चंद्रमा की सतह पर ‘रोबोटिक रोव्हर’ (प्रज्ञान) और ‘लैंडर’ (विक्रम) उतारनेवाला भारत दुनिया में चौथा देश होगा| वही, चंद्रमा की दक्षिणी हिस्से पर यान उतारने में सफलता प्राप्त करनेवाला भारत दुनिया में पहला ही देश साबित होगा|

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस सफलता पर इस्रो का अभिनंदन किया| वही, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस्रो के प्रमुख के.सिवन को बधाई देकर इस कामयाबी के लिए लगातार दिनरात मेहनत कर रहे इस्रो के वैज्ञानिकों की भर भर के सराहना की| ‘चांद्रयान-२’ का प्रक्षेपण १५ जुलै के रोज होना था| लेकिन, तकनीकी समस्या के चलते यह प्रक्षेपण आखिरी कुछ घंटों में रद्द किया गया था| ऐसा होते हुए भी ‘चांद्रयान’ के अगले स्तर में किसी भी प्रकार के बदलाव नही किए गए है| इसके लिए इस्रोने ‘जीएसएलव्ही एमके३-एम१’ की गति बढाई है और तय समय पर ही भारत का यह यान चंद्रमा की धरती पर उतर सके, इसका ध्यान रखा गया है|

इस बात का विशेष जिक्र करके प्रधानमंत्री ने इस्रो की इस सफलता की सराहना की| इस दौरान यह यान अब अगले सोलाह दिनों तक पृथ्वी के चक्कर काटेगा| इसके बाद यह यान चंद्रमा की दिशा में आगे बढेगा| चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश करने के लिए ‘चांद्रयान-२’ २१ दिन का समय लगेगा| चंद्रमा पर लैंडर और रोव्हर उतारकर यह मुहीम पुरी तरह से कामयाब होने के लिए कुल ४८ दिन तक प्रतिक्षा करनी होगी| इस दौरान प्रति सेकंद १० किलोमीटर गति से यह ‘चांद्रयान’ सफर करेगा और चंद्रमा पर लैंडर और रोव्हर उतारने का आखरी चरण इस मुहीम में सबसे कठीन और अहम चरण होगा|

चंद्रमा के दक्षिणी हिस्से में उतारे जा रहे लैंडर का नाम भारतीय अंतरीक्ष कार्यक्रम के जनक डॉ.विक्रम साराभाई दी याद में ‘विक्रम’ रखा गाय है| वही, रोव्हर का नाम ‘प्रज्ञान’ रखा गया है| ‘चांद्रयान-२’ ६ से ७ सितंबर के दरमियान चंद्रमा की सतह पर उतरेगा| इसके बाद रोव्हर और लैंडर उतारने की प्रक्रिया शुरू होगी| रोव्हर बाहर निकलने के बाद सिर्फ १५ मिनिटों में चंद्रमा के सतह के फोटो भेजने के लिए तैयार होगा|

इस दौरान इस्रो की इस मुहीम की तारीख लगातार आगे बढ रही थी| फरवरी में परीक्षण के दौरान लैंडर ‘विक्रम’ में बिगाड हुआ था| इस कारण यह उडान १५ जुलै तक टाल दिया गया| वही, १५ जुलै के दिन प्रक्षेपण के एक घंटे पहले प्रक्षेपण यान में तकनीकी समस्या देखी गई| इसपर चांद्रयान २ की उडान रोककर समस्या का हल निकाला गया?और आगे से ऐसी समस्या का निर्माण ना हो, इस के लिए जरूरी प्रावधान किए जाएंगे, यह जानकारी सिवन ने दी है| इसके लिए इस्रो के वैज्ञानिकों ने बडे कष्ट उठाए है और मात्र २४ घंटों में इस तकनीकी समस्या का हल निकाला| उसके बाद दिनरात काम करके ‘चांद्रयान-२’ उडान के लिए तैयार किया| यह प्रक्षेपण सफल करके इस्रो ने नई उडान भरी है, यह विश्‍वास इस्रो के प्रमुख के.सिवन ने व्यक्त किया|

चंद्रमा की सतेह पर बडे गड्डे है और यह यान उतारने के लिए प्लैन सतह उपलब्ध नही होगी, यह विचार रखकर वैज्ञानिकों ने इस रोव्हर को छह पहिये दिए है| इस वजह से रोव्हर का लैंडिंग आसान होगा और लैंडिंग के दौरान यान की हानि नही होगी, यह कहा जा रहा है| यह यान चंद्रमा पर उतरते ही उसके सतेह की काफी विस्तृत जानकारी प्राप्त हो सकेगी| इतना ही नही, बल्कि चंद्रमा पर मौजूद खदानों की जानकारी भी भारत को प्राप्त होती रहेगी|

भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम में यह काफी अहम स्तर है और अन्य देशों की तुलना में ‘इस्रो’ ने काफी सीमित खर्च में इस मुहीम को अंजाम दिया है| इसके लिए भी इस्रो की सराहना हो रही है| ‘चांद्रयान-२’ के लिए भारत में बने क्रायोजेनिक इंजन का इस्तेमाल किया गया है|

पूरी तरह से भारत में बने ‘चांद्रयान-२’ की सफलता विकसित देशों को भी चौकानेवाली होगी| मुख्य तौर पर इसके लिए इस्रो ने काफी कम ‘बजट’ रखा है और इतने खर्च में सफल हो रही यह मुहीम दुनियाभर के वैज्ञानिकों के लिए ताज्जुब की का विषय साबित हो रहा है| खास तौर पर पश्‍चिमी माध्यमों ने इस्रो की इस सफलता का गंभीरता से संज्ञान लिया है|

कुछ वर्ष पहले भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम का मजाक उडानेवाले कुछ पश्‍चिमी समाचार पत्रों को अपने शब्द पीछे लेने के लिए इस्रो की सफलता ने विवश किया है|

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